-निशंक, त्रिवेंद्र, धनसिंह और तीरथ ने फेसबुक में लगाया जोर -सभी नेता लेना चाहते हैं श्रेय -अलग-अलग समय पर सोशल मीडिया में दी बैठक की जानकारी -जयपुर से एनआईटी की सुमाड़ी वापसी को लेकर जद्दोजहद
वरिष्ठ पत्रकार अविकल थपलियाल की फेसबुक वाल से साभार
सावन का पहला सोमवार। दिन 22 जुलाई 2019। दिल्ली के उत्तराखंड सदन में एकाएक हलचल। दोपहर 1बजे के करीब सदन के वरिष्ठ व्यवस्थापक रंजन मिश्रा तेजी से एयरपोर्ट का रुख करते हैं। मंत्री जी आ रहे है..मंत्री जी आ रहे हैं…भाजपा नेता सुरेश जोशी भी मौके पर मौजूद। जोशी जी ने पूछा कौन मंत्री आ रहे हैं। उन्हें बताया गया कि उत्तराखंड के उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत की मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से कुछ मुद्दों पर चर्चा होनी है। उत्तराखंड सदन में फुसफुसाहट हुई कि धनिया पुदीना तो है नहीं दुकान में… और बात आयी गयी हो गयी। बहरहाल, मुझे दोपहर की जन शताब्दी ट्रेन से देहरादून जाना था। लिहाजा, रंजन जी व जोशी जी को बाय बाय कर मैं सामान पैकिंग में जुट गया।
झेलाऊ जन शताब्दी लगभग सवा घण्टे की देरी से रात 10.30 के बाद देहरादून के प्लेटफार्म में लगी। 7 घण्टे की थकाऊ रेल यात्रा के बाद घर पहुंचा। देर रात 11.30 के आसपास फेसबुक पर उंगलियां चलीं तो दोपहर को उत्तराखंड सदन में मची हलचल का सबब भी समझ में आ गया। एक ही मुद्दे पर मानव संसाधन मंत्री निशंक, उच्च शिक्षा मंत्रीधन सिंह रावत, सांसद तीरथ सिंह रावत और मुख्यमन्त्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की फेसबुक पोस्ट की प्रतिस्पर्धात्मक झड़ी लगी हुई थी। फेसबुक पोस्ट बांचने से लगा कि NIT सुमाड़ी के दिन फिर से बहुरने वाले हैं। सरकारों की अपनी ही कमियों से जयपुर शिफ्ट हो चुका NIT संस्थान वापस पौड़ी गढ़वाल के सुमाड़ी में ही स्थापित किया जाएगा। फेसबुक पोस्ट में चारों नेताओं ने अलग-अलग समय में बैठक के फोटो भी चस्पा किये। यही नहीं दिल्ली में हुई इस बैठक के फैसले के बारे में मुख्यमन्त्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी रात्रि में सोशल मीडिया में जानकारी दी।
चूंकि केंद्र और प्रदेश में भाजपा सरकार के बावजूद एनआईटी सुमाड़ी की जयपुर शिफ्टिंग से भाजपा नेतृत्व चारों तरफ से घिरा हुआ था। जनता आक्रोशित थी। लगभग 10 महीने पहले हुए केंद्र के इस फैसले के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र समेत अन्य भाजपा नेता एनआईटी की वापसी को लेकर अपने अपने तर्क गढ़ रहे थे। एक आध नेता तो काफी हुंकार भी भर रहे थे। लेकिन मसला एक इंच भी नहीं खिसका।
इधर, केंद्रीय मंत्री निशंक के नेतृत्व में सोमवार को दिल्ली में हुई बैठक के बाद इस महत्वपूर्ण संस्थान का भविष्य तय होता नजर तो आया। साथ ही भाजपा के इन चारों नेताओं में सहज श्रेय लेने की होड़ भी साफ साफ दिखी। बैठक के बाद चारों नेताओं ने अपने अपने हिसाब से जानकारी देने की कोशिश की। उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने तो अपनी फेसबुक पोस्ट में सुमाड़ी के अलावा अन्य मुद्दों का भी विस्तार से जिक्र किया।
लेकिन सुमाड़ी के बाबत पोस्ट लिखने में केंद्रीय मंत्री निशंक व धनसिंह रावत बाजी मारते दिखे। उनकी फेसबुक पोस्ट रात 8.15 पर चस्पा हुई। 9.15 पर धन सिंह रावत अवतरित हुए। धन सिंह रावत की एक अन्य पोस्ट पर सांय 7 बजे के आसपास का समय भी दर्ज कर ही है।मुख्यमन्त्री का स्टाफ इस खबर में लीड लेने से चूक गया। मुख्यम्बत्री ने NIT के बाबत सोशल मीडिया में 9.59 पर जानकारी दी। सबसे आखिर में पौड़ी के सांसद तीरथ सिंह रावत रहे। तीरथ जी ने रात 11.04 पर फेसबुक पर फ़ोटो समेत बैठक का जिक्र किया। NIT सुमाड़ी का भविष्य जो भी हो लेकिन भाजपा के ही राज में हाथ से फिसली इस बाजी को फिर से थामने की दिल्ली में एक कोशिश की गई। अब जनता इस बड़े संस्थान की घर वापसी का सेहरा किस भाजपा नेता के सिर पर बांधती है। आने वाले कल में यह भी फैसला हो जाएगा।
खास बात यह भी रही कि अभी तक पहाड़ के मसलों पर सुर्खियां बन रहे राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी की तरफ से इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नही दिखी और न ही वो इस अति महत्वपूर्ण बैठक में नजर आए। हालांकि, सोमवार को अनिल बलूनी ने फेसबुक में राज्यसभा में अपने वक्तव्य के अलावा चंद्रयान के सफल प्रक्षेपण की चर्चा जरूर की। जबकि पूर्व में अनिल बलूनी एनआईटी के मुद्दे पर विशेष सक्रिय दिखे थे। चर्चा यह भी है कि भाजपा के ही एक बड़े नेता ने विशेष रणनीति के तहत यह बैठक निर्धारित की थी ताकि श्रेय कोई और न ले उड़े।