UTTARAKHAND

पुलिस प्रमोशन में चाटुकार,कर्त्तव्यनिष्ठ या सीनियरटी में से आखिर किस पर लगेगी प्रमोशन की मुहर !

  • दारोगा प्रमोशन पर गृह विभाग की अहम् बैठक 

  • मुख्यमंत्री की बड़ी दुविधा : चरित्र पंजिका व सीनियरटी ?

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून: उत्तराखंड पुलिस में गृह विभाग की एक अहम् बैठक सोमवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में होने आ रही है जिसपर सूबे के पुलिस अधिकारियों सहित दरोगा और इंस्पेक्टर्स की नज़रें भी हैं।  लेकिन  मुख्यमंत्री के सामने सबसे बड़ी दुविधा यह होगी कि वे दरोगा और इंस्पेक्टर्स के प्रमोशन में चरित्र पंजिका के अनुसार प्रमोशन पर मुहर लगाते हैं या सीनियरटी को लेकर।  क्योंकि विभाग के भीतर पुलिस के दरोगा और इंस्पेक्टर्स में यह शंका घर क्र गयी है कि चाटुकार दरोगाओं और इंस्पेक्टर्स ने अपने मातहत अधिकारियों की जी-हुजूरी करके अपनी चरित्र पंजिका दुरुस्त कर दी है जबकि कुछ का कहना है कि सीनियरटी के हिसाब से यदि प्रमोशन को हरी झंडी मिलती है तो वह न्यायप्रद होगा अब इस पर मुख्यमंत्री क्या निर्णय करते हैं यह तो वही जाने लेकिन यदि चरित्र पंजिका के हिसाब से प्रोन्नति को हरी झंडी मिलती है तो कुछ पुलिस कर्मियों को आपत्ति हो सकती है।  वहीं दूसरी तरफ कुछ पुलिस अधिकारियों का कहना है प्रमोशन में चरित्र पंजिका के हिसाब से प्रमोशन इसलिए जरूरी है कि कई पुलिस के दरोगाओं और इंस्पेक्टर्स पर कई अन्य तरह के आरोप भी यही जो पंजिका में अंकित होंगे और उनका पिछला कार्यकाल जब ठीक नहीं दिखेगा तो उनसे आगे के अच्छे कार्यकाल में सुधर जाने की कैसे उम्मीद की जा सकती है।

 गौरतलब हो की बीते दिन गृह विभाग के एक  पत्र ने सरकार सहित पुलिस हेड क्वाटर तक को हिला कर रख दिया था जिसमें दरोगाओं और इंस्पेक्टर्स के वेतनमान को 22 जुलाई को होने वाली बैठक का हवाला दिया गया था हालाँकि बाद में हंगामा होने के आबाद इस पत्र को ही नकार दिया गया जिसको लेकर पुलिस हेड क्वाटर से लेकर मुख्यमंत्री तक ने अखबारों के सर ठिकारा फोड़ते हुए सफाई दी कि अखबारों ने गलत खबर प्रकाशित की है। लेकिन इसके बाद नया एजेंडा ानना फानन में तैयार किया गया जिसमें अब 90 दारोगाओं के इंस्पेक्टर बनने से लेकर 400 पीएसी के जवानों के प्रमोशन की बात कही गयी है। वहीं इसमें पुलिस नियमावली में भी संशोधन पर चर्चा का विषय को भी जोड़े जाने की बात कही जा रही है। अब सच क्या है यह तो मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित होनेवाली सोमवार की बैठक के बाद ही पता चलेगा। 

वहीं यह भी उल्लेखनीय है कि पुलिस विभाग से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण फाइलें लंबे समय से गृह विभाग में अटकी पड़ी है। जिनमें प्रमोशन से लेकर नियमावली में आंशिक संशोधन की फाइल भी है वहीं इन फाइलों में लंबे समय से दारोगा से इंस्पेक्टर बनने की फाइल भी सरकार के निर्णय के लिए लटकी है। फाइल में प्रमोशन पाने वाले दारोगाओं को वरिष्ठता या फिर नई नियमावली के आधार पर प्रमोशन देने पर निर्णय होगा। हालांकि मामले में दारोगाओं के प्रमोशन पर सरकार और पुलिस मुख्यालय के अलग-अलग सुर देखने को मिले रहे हैं ।वहीं पुलिस विभाग में सिपाहियों के प्रमोशन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसमें सिविल, इंटेलीजेंस की प्रक्रिया चल रही है। जबकि पीएसी को लेकर नियमावली में कुछ संशोधन होना है। इससे पीएसी के सिपाही भी बैठक में होने वाले निर्णय पर निगाहें लगाए हुए हैं। पुलिस में दारोगा और इंस्पेक्टरों के ग्रेड-पे डाउन मामले में विवाद होने से फिलहाल सरकार ने निर्णय ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। लेकिन रैंकर्स से दारोगा बनने वालों की नियमावली पर भी सोमवार को फैसले की उम्मीदें है।

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