- सरकार ने दी सरकारी नौकरी और 10 लाख की दोहरी खुशी
देहरादून : इंडोनेशिया में चल रहे एशियाई खेलों में हेप्टाथलन में देश के लिए पहली बार स्वर्ण पदक जीतने वाली स्वप्ना बर्मन को राज्य सरकार 10 लाख रुपये का नकद इनाम और सरकारी नौकरी देगी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को इसका एलान किया। पश्चिम बंगाल एथेलेटिक्स एसोसिएशन के सचिव कमल मैत्र ने बताया कि पर्यटन मंत्री गौतम देब ने गुरुवार को जलपाईगुड़ी जाकर स्वप्ना के घरवालों से मुलाकात की और फोन पर मुख्यमंत्री से स्वप्ना की मां की बात कराई।
स्वप्ना ने अपने स्कूल में फुटबॉल और कबड्डी बहुत खेली है। उनके पिता रिक्शा खींचते हैं। 2013 में स्वप्ना के पिता को स्ट्रोक हुआ, जिसके बाद से वह बिस्तर पर हैं। उनकी मां चाय पिकर का काम करती थी। स्वप्ना ने बतौर हाई-जंपर अपने करियर की शुरुआत की, लेकिन उन्हें कहा गया कि वह इस इवेंट के हिसाब से बहुत छोटी हैं। 2011 और 2012 में दो बार खारिज होने के बाद साईं में उनका चयन हो गया।
साईं में चुने जाने के बाद स्वप्ना ने अपना दायरा बढ़ाया और उन चीजों में ध्यान बढ़ाया, जिसमें वह बेहतर थी। हालांकि, उनके लिए सबसे विचित्र चुनौती पैरों की थी क्योंकि उनके दोनों पैरों में 6-6 अंगुलियां हैं जबकि उन्हें जूते पांच अंगुलियों वाले पहनने होते थे। स्वप्ना ने बताया, ‘हर समय पैरों में दर्द रहता था। मुझे अपनी जिंदगी में 6 अंगुलियों वाले जूते खोजने में तकलीफ हुई।’
स्वप्ना ने जकार्ता में कहा कि उनका परिवार गोल्ड मेडल जीतने के बाद खूब रोया होगा। स्वप्ना घर में कमाई करने वाली एकमात्र सदस्य हैं। यह पूछने पर कि परिवार ने मुश्किल समय में कैसे सामंजस्य बैठाया तो भारतीय एथलीट ने कहा- ‘मैं हूं न।’
वहीँ मैत्र ने बताया कि मुख्यमंत्री ने स्वप्ना को 10 लाख रुपये नकद इनाम के साथ ही सरकारी नौकरी देने का भी एलान किया है। देब ने स्वप्ना के घर पर लगभग आधा घंटा बिताया और उन्होंने भी परिवार को हरसंभव सहायता देने का भरोसा दिया। मैत्र ने बताया कि स्वप्ना तीन या चार सितंबर को स्वदेश लौटेगी। एसोसिएशन जलपाईगुड़ी के इस गोल्डन गर्ल का अभिनंदन समारोह आयोजित करने की योजना बना रहा है।
जलपाईगुड़ी के गरीब परिवार की 21 साल की स्वप्ना ने जकार्ता में 6026 के अपने निजी सर्वश्रेष्ठ स्कोर के साथ देश को हेप्टाथलन में पहला स्वर्ण पदक दिला कर नया इतिहास रच दिया। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली समेत तमाम लोग स्वप्ना को इस उपलब्धि के लिए लगातार बधाई दे रहे हैं। स्वप्ना बेहद गरीबी में पली-बढ़ी है और अपनी मेहनत व लगन के बूते उसने यह मुकाम हासिल किया है। खराब जूतों की वजह से उसे दौड़ने में काफी दिक्कत होती थी।
स्वप्ना के पिता पंचानन बर्मन एक रिक्शा वैन चला कर अपने परिवार का पेट पालते थे। लेकिन दिल का दौरा पड़ने के बाद अब वे घर पर ही रहते हैं। उसकी मां बासना देवी दूसरों के घर में बर्तन मांजती है और चाय बागान में पत्तियां तोड़ती है। खेलों के प्रति अपनी सबसे छोटी बेटी की दिलचस्पी देख कर स्वप्ना के पिता अपने कच्चे मकान के पीछे खेतों में बांस की बल्लियां गाड़ देते थे ताकि सपना ऊंची कूद का अभ्यास कर सके।
स्कूल से लौटने के बाद वह वहीं अभ्यास करती थीं। स्कूली प्रतियोगिता में ऊंची कूद में पहला स्थान हासिल करने के बाद स्वप्ना की मां भी लगातार उसका हौसला बढ़ाती रहती थीं। उसकी मां उसे जलपाईगुड़ी खेल परिसर मैदान में छोड़ आती थीं ताकि उसके अभ्यास में खलल नहीं पडे़। स्वप्ना को यहां तक पहुंचाने में उसके कोच सुभाष सरकार की भी अहम भूमिका रही है।
स्वप्ना बर्मन ने बुधवार को दांतों और 12 कीलों से लड़ते हुए भारत के लिए हेप्टाथलोन स्पर्धा में पहली बार गोल्ड मेडल जीता। एक मेडल के लिए तीन दिनों तक सात थकाउ स्पर्धाओं में अव्वल आना, किसी भी एथलीट का पूरा दम खींच लेता है। स्वप्ना के लिए तो यह और भी मुश्किल काम हुआ क्योंकि उनके दोनों पैरों में 6-6 अंगुलियां हैं, जिसकी वजह से वह लंबे समय तक फिट नहीं आने वाले जूते पहनकर अभ्यास करती रहीं।
जलपाईगुड़ी की 21 वर्षीया स्वप्ना ने बिलकुल भी नहीं सोचा होगा कि जकार्ता की तैयारी के दौरान वह दांतों के गहरे दर्द से जूझने लगेंगी। स्वप्ना ने रूट केनाल का उपचार कराया, लेकिन इसके बाद उनके दांतों में इंफेक्शन फैल गया। इसकी वजह से स्वप्ना गहरे दर्द से जूझी और फिलहाल उन्होंने अपने दाएं जबड़े पर किनेसियो टेप लगा रखा है।
स्वप्ना को चॉकलेट और रोसोगुल्ला बहुत पसंद है। गीत गुनगुनाना तो उनकी पसंदीदा हॉबी है। अगर वह एथलीट नहीं होतीं तो निश्चित ही सिंगर बनने की कोशिश करतीं। मगर पिछले तीन दिनों से एक गीत गुनगुनाने में उन्हें बहुत दर्द हो रहा है। गोल्ड मेडल जीतने के बाद स्वप्ना ने कहा, ‘मुस्कुराने भी मुश्किल हो रहा है, गीत गाने की तो बात ही छोड़िए।’ इसके बावजूद वह मुस्कुराती रहीं क्योंकि गोल्ड मेडल जीता। उन्होंने साथ ही कहा, ‘हर चीज मुश्किल दे रही है और चोटिल हूं। एड़ी, घुटने, पीठ, अंगुलियां और अब दांत सभी में दर्द और चोट से जूझ रही हूं।’
दर्द और सूजन से प्रतिस्पर्धा करते हुए स्वप्ना ने 6026 अंक बनाये। इस दौरान उन्होंने ऊंची कूद (1003 अंक) और भाला फेंक (872 अंक) में पहला तथा गोला फेंक (707 अंक) और लंबी कूद (865 अंक) में दूसरा स्थान हासिल किया था। उनका खराब प्रदर्शन 100 मीटर (981 अंक, पांचवां स्थान) और 200 मीटर (790 अंक, सातवां स्थान) में रहा।
लांग जंप में स्वप्ना को दूसरे स्थान पर आने का भय था। उन्हें अंतिम दिन 800 मीटर दौड़ में चीन की वांग किंगलिंग को पीछे छोड़ने की जरूरत थी ताकि 63 अंकों की बढ़त बरकरार रहे। बर्मन ने कहा, ‘उछाल लेने की वजह से जंप लेना सबसे मुश्किल काम था। इससे दर्द बहुत ज्यादा बढ़ गया था। मुझे पहले दिन लगा कि प्रतिस्पर्धा कर नहीं पाउंगी। मगर फिर मेरे मन में आया कि जितनी कड़ी मेहनत की है, उसे कहां लगाऊंगी। दांतों के दर्द के कारण रात में बुखार आ गया और ऐसा लगा कि सात चुनौतियां पर्याप्त नहीं। मगर वह इन चुनौतियों से पार पाने में सफल रहीं।’