…..जब एक ही रात में उग गए 10 फीट ऊँचे सुपारी के पेड़!
देहरादून : उत्तराखंड में ओम का इतना प्रकाश फ़ैल रहा है कि सड़क किनारे पेड़ लगते ही 10 फीट ऊँचे हो रहे हैं, है ना आश्चर्यजनक बात 18 सितम्बर की ही तो बात है जब रात को ही तो ये पेड़ लगाये गए थे और 19 की सुबह ये पेड़ एक ही रात में हो गए सीधे आठ से दस फीट ऊँचे। वह भी सुपारी के पेड़, सुभाष रोड पर सचिवालय से बाहर निकलने वाले गेट से लेकर बहल चौक तक एकाएक सुबह दिखाई देने वाले इन पेड़ों को देख लोग पहले तो समझ बैठे थे कि ये खजूर के पेड़ हैं लेकिन बाद में लोगों को पता चला ये तो सुपारी के पेड़ हैं, लोगों ने सोचा शायद मोटे भाई के स्वागत के लिए मिडिल व नार्थ -ईस्ट देशों से आयात किये गए हैं। बताया तो यहाँ तक जा रहा है कि एक पेड़ की कीमत साढ़े चौदह हज़ार रुपये हैं और नकली राजधानी में ये लगभग एक सौ से ज्यादा रोपित किये गए हैं। खैर यह ओम के प्रकाश का कमाल है या उसके जिगरी दोस्त भोले शंकर जी के पुत्र का अभी कहा नहीं जा सकता।
काश ओम का यह प्रकाश पूरे प्रदेश में बरसात के मौके पर फैलता जिन दिनों सूबे का वन विभाग वृक्षारोपण कर एक बहुत बड़े बजट का वारान्यारा करता आया है अंग्रेजों के समय से। विभाग छोटे -छोटे पौधों को लगाकर उनका सालभर कुछ इंच बड़े होने का इंतज़ार करते हैं इनमें से कुछ पौधे बेचारे लगाने के कुछ दिन बाद ही काल कलवित हो जाते हैं, लेकिन वन विभाग के आंकड़ों में पौधों की संख्या अगले साल तक आधी जिन्दी रहती है ताकि अगले वर्ष एक बार फिर विभाग को फिर वृक्षारोपण करना होता है,और विभाग को अगली बरसात का इंतज़ार, ताकि एक बार फिर वृक्षारोपण हो और उनका बैंक बैलेंस बढ़े । हां कुछ समय बाद अब आपको इन सुपारी के पेड़ों के नीचे पान के खोखे जरूर नज़र आएंगे जहाँ ताज़ी सुपारी से लवरेज़ पान का मज़ा भी उत्तराखंड वासी उठा सकते हैं।
भले ही आपको सुनने में अजीब सा लग रहा होगा कि एक ही रात में 100 से ज्यादा सुपारी के पेड़ वह भी देहरादून जैसी जलवायु वाले महानगर में जहाँ लीची और आम की फसल कभी लहलहाया करती थी उन बगीचों में अब कंक्रीट के जंगल उग आये हैं, हमारे सूबे के अधिकारी भी गज़ब के कारीगर हैं जिन लोगों ने सुपारी के पेड़ नहीं देखे होंगे कभी उन्हें वे भी दिखा दिए वह भी देहरादून में, अब पेड़ों की किस्मत है कि वे जीवित बचें या न बचें लोगों ने कम से कम मोटे भाई के दौरे के बहाने एक ही रात में आठ से दस फीट के पेड़ अचानक खड़े देख तो लिए उनके लिए यह कौतुहल का विषय हो सकता है लेकिन उत्तराखंड के अधिकारियों के लिए यह सामान्य सी बात है । अभी आगे आगे देखिये होता है क्या नकली राजधानी वासियों को न जाने क्या –क्या देखने को मिले ।