आज यह खबर हैरान करने वाली है। हर अभिवाक को अपने बच्चो की शिक्षा पर सोचने को मजबूर करने वाली है।खबर राज्य के जिले पोंडी गढवाल से है। बता दे की जिले के थेलीसेण क्षेत्र से आयी तस्वीर हैरान कर देने वाली है।राजकीय प्राथमिक विद्दयालय बग्वाडी,थलीसेण की है। जंहा की प्रभारी प्रधानअध्यापिका श्रीमती शीतल रावत अपनें पद पर किसी ग्रामीण लडकी को छात्र –छात्रो के अध्यन के लिए रखा है। जिसका नाम मधु रावत है।और बता दे की जिसे प्रति माह प्रधानअध्यापिका 2500.0 मात्र देती है।
यह पूरी घटना तब सामने आयी जब जिला के मुख्य शिक्षक अधिकारी 20 सिंम्बर 2022 को विद्दयालय मे औचक निरक्षण पर गये। तो इस घटने को देख कर अधिकारी भी हैरान है।तो उक्त के क्रम मे उप शिक्षा अधिकारी को आदेश दिए गये की वो इस घटना की जांच करे। तो इस सम्बन्ध मे प्रधानअध्यापिका की स्पष्टीकरण करे और उन्हे अपनी शाखा पर उपलब्ध कराये। तो प्रधानअध्यापिका की इस लापरवाही को देखते हुए उनके वेतन पर रोक लगाई है।
अब सवाल यह है की उन बच्चो की शिक्षा के लिए कौन जिम्मेदार है। जो बच्चे रोज सुबह घर से पढने के लिए यहां आते है। अपने सपनो के सौदागर बनने के लिए। राज्य की शिक्षा निति किसी से छिपी नही है।तो अब देखना होगा की शासन प्रशासन इस पर क्या फैसला लेते है।
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आज यह खबर हैरान करने वाली है। हर अभिवाक को अपने बच्चो की शिक्षा पर सोचने को मजबूर करने वाली है।खबर राज्य के जिले पोंडी गढवाल से है। बता दे की जिले के थेलीसेण क्षेत्र से आयी तस्वीर हैरान कर देने वाली है।राजकीय प्राथमिक विद्दयालय बग्वाडी,थलीसेण की है। जंहा की प्रभारी प्रधानअध्यापिका श्रीमती शीतल रावत अपनें पद पर किसी ग्रामीण लडकी को छात्र –छात्रो के अध्यन के लिए रखा है। जिसका नाम मधु रावत है।और बता दे की जिसे प्रति माह प्रधानअध्यापिका 2500.0 मात्र देती है।यह पूरी घटना तब सामने आयी जब जिला के मुख्य शिक्षक अधिकारी 20 सिंम्बर 2022 को विद्दयालय मे औचक निरक्षण पर गये। तो इस घटने को देख कर अधिकारी भी हैरान है।तो उक्त के क्रम मे उप शिक्षा अधिकारी को आदेश दिए गये की वो इस घटना की जांच करे। तो इस सम्बन्ध मे प्रधानअध्यापिका की स्पष्टीकरण करे और उन्हे अपनी शाखा पर उपलब्ध कराये। तो प्रधानअध्यापिका की इस लापरवाही को देखते हुए उनके वेतन पर रोक लगाई है।अब सवाल यह है की उन बच्चो की शिक्षा के लिए कौन जिम्मेदार है। जो बच्चे रोज सुबह घर से पढने के लिए यहां आते है। अपने सपनो के सौदागर बनने के लिए। राज्य की शिक्षा निति किसी से छिपी नही है।तो अब देखना होगा की शासन प्रशासन इस पर क्या फैसला लेते है।