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मुख्यमंत्री ने ऐसा क्या कह दिया कि सत्ता के गलियारों में मच गई हलचल …..

अब निश्चित रूप से मंत्रिपद भरे जाने की महसूस हो रही आवश्यकता : मुख्यमंत्री 

लंबी है मंत्री बनने वालों की कतार लेकिन बनने हैं तीन मंत्री 

राजेन्द्र जोशी 

देहरादून:  मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के यह कहने पर कि अब निश्चित रूप से मंत्री पद भरे जाने की आवश्यकता महसूस हो रही है। उन्होंने साथ ही स्पष्ट किया कि मंत्रिमंडल के रिक्त स्थानों से विकास कार्य पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। सरकार तेजी से तथा बेहतर काम कर रही है और कैबिनेट के जरिये सभी अहम फैसले लिए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री के पहली बार दिए गए इस सार्वजनिक बयान के बाद मंत्री पद पाने की इच्छा रखने वालों में हलचल पैदा हो गयी है वहीँ सत्ता के गलियारों में अब इस बात की भी चर्चा शुरू हो गयी है कि मुख्यमंत्री अपने मंत्रिमंडल के मंत्रियों के विभागों में भी परिवर्तन कर सकते हैं क्योंकि मुख्यमंत्री कुछ मंत्रियों की कार्यशैली से नाखुश बताए जा रहे हैं क्योंकि इधर सरकार के तीन साला पूरे होने जा रहे हैं उधर सरकार पर दबाव है कि अगले दो साल में अपनी परफॉरमेंस दिखाकर पुनः सत्ता में वापसी भी करनी है।

गौरतलब हो कि वर्ष 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 70 में से 57 सीटों पर जीत हासिल कर पहली बार राज्य में पूर्ण बहुमत की सरकार बनायी थी।  इससे पहले की सभी सरकारें बैसाखियों के दम पर चलती तो रही साथ ही उनके सामने विधायकों की संख्या बल की परेशानी भी रही थी जिस्सके चलते सरकारें दबाव में रहती थी लेकिन त्रिवेंद्र सरकार के साथ ऐसा नहीं है। यही कारन है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने इन तीन वर्ष पूरे करने जा रही सरकार के कार्यकाल में तमाम महत्वपूर्ण निर्णय लेकर प्रदेश की जनता को मजबूत सरकार का सन्देश दिया है।

18 मार्च 2017 को 10 सदस्यीय मंत्रिमंडल ने शपथ ग्रहण के बाद से ही सत्ता के गलियारों में दो और मंत्रियों को बनाये जाने का मुख्यमंत्री पर दबाव रहा है। यह दबाव उनपर तब और बढ़ गया जब उनके मंत्रिमंडल के सहयोगी मंत्री प्रकाश पंत का असामयिक निधन हो गया। इससे बाद मंत्रिमंडल मंत्रियों की तीन स्थान रिक्त हो गए। हालाँकि सत्ता के गलियारों में कई बार मंत्रिमंडल विस्तार की खरें दौड़ती तो रहीं लेकिन भाजपा आलाकमान ने इस बात पर जरा भी ध्यान नहीं दिया। हालाँकि इस बीच सरकार के कुछ निर्णयों पर आलोचकों ने मुख्यमंत्री पर निशाना जरूर साधा लेकिन सरकार ने उनकी आलोचनाओं को दरकिनार करते हुए आगे बढ़ने रहने और जनहित के अन्य निर्णयों से उन आलोचनाओं को समाप्त कर दिया। 

अब बीते दिन मुख्यमंत्री ने ये क्या कह दिया कि वे अब निश्चित रूप से मंत्री पद भरे जाने की आवश्यकता महसूस करते हैं तो सत्ता के गलियारों से लेकर भाजपा खेमे तक हलचल शुरू हो गयी है। वर्तमान में भाजपा के पास पांच ऐसे विधायक हैं, जो पूर्व में मंत्री रह चुके हैं। जबकि दो या इससे ज्यादा बार विधायक आहे लोगों की संख्या भी लगभग 20 है। ऐसे में भाजपा आलाकमान और मुख्यमंत्री के सामने कई तरह की चुनौतियाँ भी होंगी और सभी को साधने में शक्ति ही लगानी होगी।  वहीँ सरकार के वर्तमान मंत्रियों के विभागों की समीक्षा की भी बात सत्ता के गलियारों में तैर रही है उससे भी भाजपा आलाकमान को दो चार होना होगा कि किसके पर करते जाएं और किसके सलामत रखे जाएँ। 

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