Uttarakhand

पुलिस कर्मियों की खैर नहीं यदि सोशल मीडिया पर वीडियो हुआ वायरल : DGP

देहरादून  : सेना के जवानों द्वारा खाने व छुट्टी जैसी समस्याओं को लेकर एक के बाद एक वायरल हो रहे विडियो पर उत्तराखंड  के डीजीपी एमए गणपति ने  पुलिस और पीएसी जवानों को आगाह किया कि यदि विभाग से संबंधित कोई वीडियो और सूचना सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो ऐसे कर्मियों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई की जाएगी। यदि किसी की कोई समस्या है, तो एसएसपी, डीआईजी या फिर उनके सामने पेश होकर बताई जा सकती है। सेना के जवानों के वीडियोज सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद वैसी किसी फजीहत से बचने के लिए पुलिस महकमे के मुखिया ने यह एहतियाती कदम उठाया है।

गौरतलब हो कि उत्तराखंड के आला पुलिस अफसर सोशल मीडिया पर कांस्टेबलों के बगावती तेवर वाले वीडियोज की समस्या से पहले ही दो-चार हो चुके हैं। बमुश्किल उसे कंट्रोल किया जा सका था। लिहाजा इस बार बीएसएफ और सीआरपीएफ के तीन जवानों के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही उत्तराखंड पुलिस के आला अफसर सतर्क हो गए हैं।

सैनिकों के वायरल वीडियों में से एक भोजन की गुणवत्ता और दूसरा अधिकारियों द्वारा प्रताडित करने तो तीसरा वेतन विसंगति को लेकर है। जिससे सेना के अधिकारियों के साथ-साथ केंद्र सरकार तक में हड़कंप है। इन वीडियो के बाद सेना, अर्द्धसैनिक और पुलिस अफ सर भी अलर्ट हो गए हैं।

डीजीपी एमए गणपति ने तो जिलों के एसएसपी और पीएसी के सेनानायकों को अलर्ट भी कर दिया। उन्होंने दो टूक कहा कि पुलिस जैसे अनुशासित बल में किसी सदस्य द्वारा कोई भी संदेश (जो राज्य अथवा केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना, धर्म एवं जाति के आधार पर दुर्भावना फैलाने वाला, सामाजिक समरसता तोड़ने वाले और पुलिस की क्षति को धूमिल करने वाला) सोशल मीडिया पर प्रसारित अथवा अग्रसारित किया जाना पूर्णत: प्रतिबंधित रहेगा।

कोई भी पुलिसकर्मी सेवा संबंधी विषयों पर किसी प्रकार का चित्र या अन्य सामग्री अपलोड न करे। यदि कोई पुलिसकर्मी इसका उल्लंघन करता है तो दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। आदेश को नोटिस बोर्ड पर चस्पा करने के साथ अधीनस्थ को इसके बारे में अवगत भी कराया जाए।

उन्होंने कहा यदि किसी भी पुलिसकर्मी को सेवा संबंधी विषय पर कोई बात रखनी है, तो वे विभागीय प्रक्रिया के माध्यम से जिले के पुलिस कप्तान, पीएसी के सेनानायक के समक्ष मंगलवार, शुक्रवार को डीआईजी, सोमवार को आईजी के सामने और शुक्रवार को डीजीपी के सामने पेश हो सकते हैं। यदि जाना संभव न हो तो एसएमएस और व्हाट्स एप मेसेज द्वारा समस्या बता सकते हैं। संबंधित अधिकारी प्राथमिकता के आधार पर उनका निस्तारण करेंगे।

डीजीपी ने कहा कि पुलिस महकमे की प्रत्येक इकाइयों में पुलिस उपाधीक्षक स्तर के अधिकारी को वेलफेयर ऑफिसर नामित किया जाए, जिससे पुलिसकर्मी अपनी समस्याओं को लेकर उनसे संपर्क कर सकें। प्रत्येक शिकायत का रिकार्ड रखने के साथ उनके निराकरण को भी दर्ज किया जाए। वेलफेयर अधिकारी पुलिस लाइन और थानों में प्रचलित मेस में समय-समय पर जाकर भोजन की गुणवत्ता की जांच करे। यदि कमियां मिलती हैं तो उन्हें दूर किया जाए।

डीजीपी ने साफ़ साफ़ कहा कि सोशल मीडिया का प्रयोग पर्सनल कार्यों, विभाग की दक्षता बढ़ाने, आवश्यक सूचनाओं का आदान-प्रदान करने में ही किया जाए।

devbhoomimedia

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