Uttarakhand

ट‌िहरी झील का जल स्तर अब 825 मीटर से ज्यादा नहीं बढ़ेगा

केंद्रीय राज्यमंत्री ने की कईं घोषणाएं

देहरादून : टिहरी झील की जलाशय का जलस्तर बढ़ाए जाने की स्थिति में आसपास के गांवों में भूस्खलन की समस्या बढ़ने की संभावना को देखते हुए सरकार ने फैसला लिया है कि झील की जलाशय के अधिकतम जलस्तर की सीमा 825 मीटर ही रहेगी।

इस बात का एलान केंद्रीय ऊर्जा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने रविवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ बैठक के बाद किया। उन्होंने कहा कि टिहरी झील की जलाशय का जलस्तर फिलहाल नहीं बढ़ाया जाएगा।

मुख्यमंत्री कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत के दौरान गोयल ने कहा कि स्थानीय लोगों की चिंताओं का संज्ञान लेते हुए यह निर्णय लिया गया है कि टिहरी बांध की ऊंचाई को 825 मीटर तक रोक दिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि प्रतापनगर में डोबरा-चांटी पुल के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर की एजेंसी से इसका डिजाइन तैयार करवाया जाएगा। पुल की लागत का 50 फीसदी राशि टीएचडीसी द्वारा और शेष 50 फीसदी राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।

पुल के डिजाईन के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय से भी तकनीकी सहयोग देने का अनुरोध किया जाएगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में हॉस्पीटेलिटी यूनिवर्सिटी की स्थापना की जाएगी। प्रदेश सरकार द्वारा भवन उपलब्ध करवाते ही इसे प्रारंभ कर दिया जाएगा। इसकी लागत का 75 फीसदी हिस्सा टीएचडीसी सहित केंद्र सरकार के विभिन्न उपक्रमों द्वारा जबकि 25 फीसदी राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।

1 लाख 25 हजार पर‌िवारों को मिलेगी ऑफ ग्रिड बिजली 

​उत्तराखंड के युवाओं के कौशल विकास में यह यूनिवर्सिटी महत्वपूर्ण साबित होगी। उन्होंने कहा कि देहरादून और हरिद्वार में इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम(आईपीडीएस) के तहत बिजली की तारों को भूमिगत किया जाएगा। अंडर ग्राउंड केबिलिंग से बिजली में फाल्ट आने की समस्या दूर होगी। केंद्रीय ऊर्जा राज्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में लगभग 1 लाख 25 हजार ऐसे परिवार हैं जिन्हें बिजली नहीं मिल पाई है। ये परिवार ऐसे स्थानों पर रह रहे हैं जहां मुख्य ग्रिड से बिजली पहुंचाना संभव नहीं है। इन परिवारों को अरुणाचल प्रदेश की तर्ज पर ऑफ ग्रिड बिजली (सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा आदि) उपलब्ध करवाई जाएगी। इसके अलावा राज्य में रूफ टॉप सोलर को अधिक प्रोत्साहित किया जाएगा।

प्रदेश में हैं बिजली की असीम संभावनाएं: गोयल

केंद्रीय ऊर्जा राज्यमंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि उत्तराखंड में बिजली के क्षेत्र में असीम संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि यमुना वैली की कई परियोजनाओं का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। सरकार इसकी पैरवी कोर्ट में करेगी। गोयल ने पावर सेक्टर में उत्तराखंड की स्थिति ठीक है। बिजली की उपलब्धता भी ठीक है और कीमतें भी नियंत्रण मेें हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री और अधिकारियों के साथ बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा की गई है। इन योजनाओं को अमलीजामा पहनाएं जाने की स्थिति में इसका खुलासा किया जाएगा।

 उच्च स्तरीय मीटिंग में ये रहे मौजूद 

केंद्रीय ऊर्जा राज्यमंत्री पीयूष गोयल, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, मुख्य सचिव एस. रामास्वामी, प्रमुख सचिव ऊर्जा उमकांत पंवार, सचिव मुख्यमंत्री राधिका झा, यूजेवीएनल के एमडी एसएन वर्मा और यूपीसीएल के एमडी बीसीके मिश्रा सहित अन्य कई अधिकारी।

केंद्रीय ऊर्जा राज्यमंत्री की प्रमुख घोषणाएं 

-टिहरी झील की जलाशय का स्तर 825 मीटर के स्तर पर ही रहेगा।

-प्रतापनगर में डोबरा-चांटी पुल के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर की एजेंसी से इसका डिजाइन तैयार करवाया जाएगा।

-उत्तराखंड में हास्पीटेलिटी यूनिवर्सिटी की होगी स्थापना।

-देहरादून और हरिद्वार में बिजली की केबल्स को अंडरग्राउंड किया जाएगा।

-दुरस्थ इलाकों में रहने वाले परिवारों को आफ ग्रिड बिजली उपलब्ध कराई जाएगी।

-रूफ टॉप सोलर एनर्जी को दिया जाएगा बढ़ावा।

devbhoomimedia

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