DEHRADUN

बिना प्रमाणपत्रों के 40 टीचरों ने पूरी कर दी 23 साल की नौकरी

देहरादून : देहरादून जिले  के 40 टीचरों की 23 साल की नौकरी हो चुकी है, लेकिन उनके पास बीटीसी के प्रमाणपत्र नहीं हैं। प्रदेश में फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर नियुक्तियों के मामले की जांच शुरू हुई तो इन टीचरों को भी अपने प्रमाणपत्रों की याद आई। इन टीचरों का कहना है कि डायट (जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान) से उन्हें प्रमाणपत्र नहीं मिले।

उन्हें आशंका है कि उनके प्रमाणपत्रों का गलत इस्तेमाल किया गया है। उन्हें आशंका है कि कहीं ऐसा न हो उनके प्रमाणपत्रों के आधार पर कोई और नौकरी कर रहा हो। वहीं डायट प्राचार्य राकेश जुगरान के मुताबिक 1993 बैच के किसी भी छात्र-छात्राओं के प्रमाणपत्र संस्थान में नहीं हैं। संस्थान की ओर से इसके लिए यूपी बोर्ड को लिखा जा रहा है।

दून के विभिन्न ब्लॉकों के स्कूलों में कार्यरत इन टीचरों की ओर से डायट (जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान) को बीटीसी के प्रमाणपत्र के लिए लिखा गया है। इन टीचरों का कहना है कि वह संस्थान के कई चक्कर लगा चुके हैं, लेकिन उन्हें आज तक प्रमाणपत्र नहीं मिला।

​उस दौरान अंक पत्र के आधार पर उनकी नियुक्ति हुई पर संस्थान ने उन्हें कभी प्रमाणपत्र दिया ही नहीं। सहसपुर ब्लॉक की शिक्षिका के मुताबिक उन्हें अंदेशा है कि उनके प्रमाणपत्रों के आधार पर विभाग में कहीं कोई अन्य व्यक्ति नौकरी कर रहा है।
संस्थान ने कभी प्रमाणपत्र दिया ही नहीं

यही वजह है कि वर्ष 1992-93 बैच के अधिकतर प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाणपत्र मिले ही नहीं। शिक्षिका के मुताबिक उसकी 23 साल की नौकरी हो चुकी है। बीटीसी के प्रमाणपत्र के लिए वह लोग जब डायट गए तो उन्हें इसके लिए उत्तर प्रदेश जाने के लिए कहा गया। शिक्षिका ने बताया कि इक्का दुक्का नहीं बल्कि 40 टीचरों के प्रमाणपत्र गायब हैं, जबकि उनके साथ के कुछ अन्य अभ्यर्थियों को डायट दून से ही प्रमाणपत्र मिल चुके हैं।

हमारे पास 1958 बैच के प्रशिक्षणार्थियों का रिकार्ड है पर 1993 बैच का रिकार्ड नहीं मिल रहा है। कहीं न कहीं कोई चूक हुई है, पूर्व में कार्यालयों के इधर उधर होने से भी रिकार्ड गुम हो सकता है। इन टीचरों ने प्रार्थना पत्र दिया है जिसे इलाहाबाद बोर्ड भेजा जा रहा है।-राकेश जुगरान, प्राचार्य डायट

शिक्षा महानिदेशक,कैप्टन आलोक शेखर तिवारी का कहना है कि इसके लिए सीधे विभाग पर जिम्मेदारी नहीं डाली जा सकती, प्रभावित टीचरों को इसके लिए इलाहाबाद जाकर बोर्ड में पड़ताल करनी चाहिए। हम भी इसके लिए उत्तर प्रदेश शासन को लिखेंगे।

devbhoomimedia

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