खत्म हुआ टिहरी के प्रतापनगर क्षेत्र की आबादी का 14 वर्षों का इंतज़ार
यह पुल टिहरी ही नहीं,बल्कि पूरे प्रदेश में पर्यटन की नई परिभाषा है। इससे दुनिया भर के पर्यटक यहां आएंगे और डोबरा नया पर्यटक स्थल बनेगा : मुख्यमंत्री उत्तराखंड
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
डोबरा चांठी (टिहरी गढ़वाल) : उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सहित टिहरी की सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.धन सिंह रावत और कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल,विधायक विजय सिंह पंवार सहित धन सिंह नेगी ने विश्व प्रसिद्ध टिहरी झील के ऊपर देश का सबसे बड़ा मोटरेबल झूला पुल, डोबरा-चांठी का एक भव्य समारोह के दौरान लोकार्पण किया। हालांकि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की इच्छा थी कि इस पुल का लोकार्पण देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के हाथों हो लेकिन प्रधानमंत्री के व्यस्त कार्यक्रमों के चलते उन्हें समय नहीं मिल पाया। वहीं रविवार को हुए लोकार्पण के साथ ही डोबरा चांठी के लोगों सहित प्रतापनगर इलाके की लाखों की आवादी का लगभग 14 वर्षों का वनवास भी आज खत्म हो गया, इन्हें प्रतापनगर से नई टिहरी आने जाने में लगभग 45 किलोमीटर अतिरिक्त चलने से आज निजात भी मिला है।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने कुल 4 अरब 73 करोड़ 8 लाख 56 हज़ार की विभिन्न 60 योजनाओं का शिलान्यास एवं लोकार्पण भी किया। जिसमें 3 अरब 7 करोड़ 83 लाख लागत की 30 योजनाओं का लोकार्पण तथा 1 अरब 2 करोड़ 25 लाख की 30 योजनाओं का शिलान्यास शामिल है। लोकार्पण की गई योजनाओं में 9 योजनायें लोनिवि, 7 पीएमजीएसवाई, 10 शिक्षा विभाग, 2 पर्यटन एवं 1-1आयुर्वेदिक व क्रीड़ा विभाग से संबंधित है जबकि शिलान्यास योजनाओं में 7 लोनिवि, 20 पीएमजीएसवाई, 1 पर्यटन, 1 शिक्षा व 1 उद्यान विभाग से संबंधित है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने राजकीय इंटर कालेज मजफ के प्रान्तीकरण की भी घोषणा की।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने डोबरा-चांठी पुल के बनकर तैयार होने और इसके लोकार्पण पर खुशी जाहिर करते हुए कहा, ”प्रतापनगर, लंबगांव और धौंतरी के लोगों की पीड़ा को बेहतर तरीके से समझा जा सकता है। उन लोगों को काफी तकलीफ उठानी पड़ी। लेकिन सरकार ने 440 मीटर लंबे इस पुल के निर्माण में आ रही धन की कमी को दूर करते हुए एक साथ ₹88 करोड़ रुपए स्वीकृत किए। पुल बनकर तैयार है और आज इसे जनता को समर्पित कर दिया गया है। यह पुल टिहरी ही नहीं,बल्कि पूरे प्रदेश में पर्यटन की नई परिभाषा है। इससे दुनिया भर के पर्यटक यहां आएंगे और डोबरा नया पर्यटक स्थल बनेगा। जो यहां के लोगों के लिए किसी सपने के साकार होने की तरह है। इसके लिए मैं क्षेत्र की जनता,प्रतिनिधियों और इस पुल के निर्माण में लगे सभी अधिकारियों,इंजिनियरों,मजदूरों को बधाई देता हूं।
डोबरा चांठी पुल के निर्माण में हुआ लगभग तीन अरब रुपयों का खर्च
डोबरा चांठी वासियों की समस्याओं को देखते हुए,त्रिवेंद्र सरकार में इस पुल को अपनी प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर रखा कई सालों से निर्माणाधीन पुल के लिए त्रिवेंद्र सरकार ने एकमुश्त बजट जारी किया जिसका परिणाम भी जनता के सामने है। इस पुल की क्षमता 16 टन भार सहन करने की हैं,और इसकी उम्र 100 वर्ष तक बताई गई है। इस पुल की चौड़ाई 7 मीटर है जिसमें मोटर मार्ग की चौड़ाई 5.5 मीटर और फुटपाथ की चौड़ाई 0.75 मीटर है इसके निर्माण में 3 अरब रुपए खर्च हुए है।
डोबरा चांठी पुल के निर्माण में लगा 14 वर्ष का अतिरिक्त समय
वर्ष 2006 में डोबरा चांठी पुल का निर्माण शुरू हुआ। लेकिन इसके निर्माण के दौरान कई उतार-चढ़ाव और समस्याएं सामने आने लगी। गलत डिजाइन,कमजोर प्लानिंग और विषम परिस्थितियों के चलते 2010 में इस पुल का काम बंद हो गया था। वर्ष 2010 में पुल के निर्माण में लगभग 1.35 अरब खर्च हो चुके थे। साल 2016 में एक बार फिर से लोक निर्माण विभाग ने 1.35 अरब की लागत से इस पुल का निर्माण कार्य शुरू कराने का निर्णय लिया। कई पड़ावों और दिक्कतों से गुजरते हुए इस पुल निर्माण एक बार फिर से शुरू हुआ।
2006 से शुरू हुआ डोबरा -चांठी पुल वर्ष 2020 में बनकर हुआ तैयार
डोबरा चांठी पुल की डिजाइन के लिए अंतरराष्ट्रीय टेंडर निकाला गया। जिसके बाद साउथ कोरिया की यूसीन कंपनी को यह टेंडर मिला। कंपनी ने पुल का नया डिजाइन तैयार किया और जैकी किम की निगरानी में तेजी से पुल का निर्माण शुरू हुआ। साल 2018 में एक बार फिर काम में व्यवधान पड़ा जब निर्माणाधीन पुल के तीन सस्पेंडर अचानक टूट गए। तमाम मुश्किलों के बाद अब 2020 में यह पुल पूरी तरह से बनकर तैयार हो चुका हैं,जिसे 8 नवंबर 2020 को उत्तराखंड स्थापना दिवस से ठीक एक दिन पहले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस पुल को जनता को समर्पित किया। लंबे उतार-चढ़ाव के बाद अब प्रताप नगर की जनता सीधे कम समय में जिला मुख्यालय आ जा सकेगी।
डोबरा चांठी पुल से जुड़ी कुछ खास बातें
सन् 2005 में जब टिहरी बांध पर झील बनने लगी तो टिहरी के प्रतापनगर आने-जाने का रास्ता बंद हो गया। जिसको लेकर इस क्षेत्र के ग्रामीणों रोष व्यापत हो गया। जिसके बाद इन ग्रामीणों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी से अपने क्षेत्र में आने जाने के लिए पुल निर्माण करने का आग्रह किया। कई सालों के संघर्षों के बात ग्रामीणों ने जब तत्कालीन सरकार पर दबाव बनाया तो नारायण तिवारी को इस पुल को बनाने के लिए स्वीकृति देनी पड़ी और इस तरह जनवरी 2006 में भागीरथी नदी पर 592 मीटर लंबे पुल का निर्माण कार्य शुरू हुआ। लेकिन आगे चलकर इस पुल की लंबाई 725 मीटर की गई है।
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डोबरा चांठी पुल,उत्तराखंड की विश्व प्रसिद्ध टिहरी झील के ऊपर बना देश का सबसे बड़ा मोटरेबल झूला पुल है। जिसकी लंबाई 725 मीटर है और यह पुल भारी वाहन चलाने लायक बना है।
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डोबरा चांठी पुल में आकर्षक है फसाद लाइट, आपको बता दें कि डोबरा चांठी पुल पर 5 करोड़ रुपए की लागत से पुल को फसाट लाइट से सजाया गया है। क्योंकि फसाद लाइट कोलकाता के हावड़ा ब्रिज की तर्ज पर लगाई गई हैं। जिसमें रंग-बिरंगी लाइट जगमगाती हुई लोगों को आकर्षक का केंद्र बनी हुई है।
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डोबरा-चांठी पुल बनने से प्रतापनगर से जिला मुख्यालय की दूरी कम हो जाएगी। अभी तक नई टिहरी से पीपलडाली या भल्डियाणा होते हुए प्रतापनगर पहुंचा जाता था। लेकिन अब सीधा डोबरा पुल से प्रतापनगर पहुंचा जा सकेगा।
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डोबरा चांठी पुल एक पर्यटक स्थल भी बनने जा रहा है। यहां पर पुरानी टिहरी की तर्ज पर रोजगार का केंद्र भी होगा। यह जगह कई गांव से जुड़ी हैं,यह जगह पुरानी टिहरी की कमी दूर करने का काम भी करेगी और आपसी भाई चारा एवं संस्कृति भी जिंदा होगी।