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दार्जिलिंग में ह‌िंसा और देहरादून में बेचैनी

देहरादून : दार्जिलिंग व आसपासके क्षेत्रों में हिंसा व अशांत‌ि से देहरादून में भी बैचेनी बढ़ गई है। यहां रह रहे गोरखा समुदाय के लोग खासे परेशान हैं। गोरखा समाज के वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता सूर्य बिक्रम शाही बताते हैं कि यहां के गोरखालियों के बहुत से रिश्तेदार दार्जिलिंग व आसपास के इलाके में रहते हैं। इसलिए वे चिंतित हैं। बड़ी संख्या में यहां के बच्चे दार्जिलिंग में शिक्षा हासिल करते हैं।

हरिद्वार क्षेत्र में लगी फर्मों के उत्पादों की दार्जिलिंग में अच्छी खपत है। वहां से उत्तराखंड चाय आती है। उद्यमियों का कहना है कि चाय का स्टाक रहता है तो कुछ दिन सप्लाई न आने से फर्क नहीं पड़ता। लेकिन अधिक दिनों तक सामान न आने पर दिक्कत हो जाती है।

व्यापारी नेता व्यापार मंडल के वरिष्ठ पदाधिकारी बिपिन नागलिया का कहना है कि इस समय जीएसटी के कारण कारोबार में मंदी छा रखी है। इस पर दार्जिलिंग समेत आसपास के इलाके में अशांति से कारोबार पर असर तो पड़ ही रहा है।
चाय उद्यमी रोशन लाल बख्श का कहना है कि फिलहाल तो इतना असर नहीं दिख रहा है, लेकिन हालात न सुधरे तो आपूर्ति प्रभावित हो सकती है।

गोरखा समाज के वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता सूर्य बिक्रम शाही बताते हैं कि यहां के गोरखालियों के बहुत से रिश्तेदार दार्जिलिंग व आसपास के इलाके में रहते हैं। इसलिए वे चिंतित हैं। बड़ी संख्या में यहां के बच्चे दार्जिलिंग में शिक्षा हासिल करते हैं।

उन्होंने बताया कि गोरखा समाज का प्रतिनिधिमंडल वहां जाकर लोगों से मिलेगा। सारिका प्रधान का कहना है कि दार्जिलिंग में हिंसा से गोरखाली समाज परेशान है।

लोगों की वहां रिश्तेदारियां हैं। केंद्र व प्रदेश सरकार हस्तक्षेप कर वहां शांति बहाली का प्रयास करे। गोरखाली समुदाय की प्रभा शाह और पूजा सुब्बा का कहना है कि दार्जिलिंग में हो रही हिंसा व अशांत‌ि से हम लोग चिंतित हैं।

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