HARIDWAR

विद्यारंभ संस्कार,सरस्वती पूजन का हुआ आयोजन

वासुदेव लाल मैथिल सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कालेज ब्रह्मपुर रुड़की,हरिद्वार में शिक्षा उपनयन संस्कार,सरस्वती पूजन का भव्य आयोजन 

वक्ताओं ने मानव जीवन क्रम के सोलह संस्कारों में से एक शिक्षा उपनयन संस्कार एवं मां की भूमिका पर डाला प्रकाश 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

रुड़की : वासुदेव लाल मैथिल सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कालेज ब्रह्मपुर रुड़की,हरिद्वार में शिक्षा उपनयन संस्कार,सरस्वती पूजन का भव्य आयोजन किया गया। जिसमें वक्ताओं ने बसंत आगमन पर मानव जीवन क्रम के सोलह संस्कारों में से एक शिक्षा उपनयन संस्कार एवं मां की भूमिका पर प्रकाश डाला।

कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के माननीय जिला संघचालक श्रीमान प्रवीण गर्ग, शिक्षाविद एवं वर्तमान सरकार में दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री डॉक्टर कल्पना सैनी, शिक्षाविद,भारत सरकार में राष्ट्रीय शिक्षा परिषद की सदस्य,एंजिल्स एकेडमी बहादराबाद की प्रधानाचार्य श्रीमती रश्मि चौहान एवं विद्यालय के सह व्यवस्थापक श्रीमान राकेश सैनी जी ने मां शारदा के चित्र का अनावरण कर दीप प्रज्जवलित करते हुए संयुक्त रुप से कार्यक्रम का उद्घाटन किया।

कार्यक्रम में मातृशक्ति को सम्बोधित करते हुए उत्तराखंड सरकार में दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री अति पिछड़ा वर्ग आयोग की सम्मानित अध्यक्षा डॉक्टर कल्पना सैनी ने कहां कि आज का दिन ऋतु परिवर्तन के साथ प्रकृति में प्राकृतिक सौन्दर्यता के साथ मानव जीवन क्रम के सोलह संस्कारों में मुख्य शिक्षा उपनयन संस्कार(विद्यारंभ संस्कार) के लिए शुभ माना गया है। आज के ही दिन सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी द्वारा सृजित देवी सरस्वती का अवतरण इस प्रकृति में हुआ जिसने हमें स्वरज्ञान दिया।हम सबको मालूम होगा कि सृष्टि की उत्पत्ति से ही इस प्राणी जगत को संवारने में देवी स्वरूप मां सरस्वती का विशेष योगदान रहा है। अगर हम बच्चे के जन्म से उसका अच्छा लालन-पालन भली प्रकार से करेंगे तो वहीं बच्चे हमारे देश,धर्म और संस्कृति के रक्षक बनेंगे। बच्चों के व्यक्तित्व विकास में ही भारतीय संस्कृति एवम् सभ्यता निहित है।विद्या भारती द्वारा संचालित सरस्वती शिशु मंदिर एवं विद्या मंदिर सम्पूर्ण देशभर में इसी उद्देश्य को लेकर पिछले 1952 से शिक्षा के क्षेत्र में सतत् प्रयत्नशील हैं।

उपस्थित जन समुदाय को सम्बोधित करते हुए डॉक्टर कल्पना सैनी ने कहां कि बाल्यकाल से ही अगर देखा जाए तो मां अपनी ममता से शिशु के जीवन पर विशेष प्रभाव डालती है।परिवार में बच्चों का सर्वाधिक रुझान मां के प्रति ही होता है। इसलिए बच्चों के प्रति मां की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि सच्चे मायने में मां शिशु की एक ऐसी शिल्पकार है,जिसमें शिशु का विकास काफी हद तक निहित है।

कार्यक्रम में भारतीय शिक्षा परिषद भारत सरकार में सदस्य शिक्षाविद प्रधानाचार्य एंजिल्स एकेडमी बहादराबाद श्रीमती रश्मि चौहान ने कहां कि वसंत पंचमी का पर्व एक प्रकार से खुशी का त्योहार है। प्रत्येक मां चाहती है,कि मेरा बालक वीर बनें बच्चे के हर अच्छे कार्य के पीछे मां की महति भूमिका रहती है।घर और विद्यालय में मिले संस्कारों से ही बालक समाज और देश में श्रेष्ठ बनता है। नई शिक्षा नीति में भी पूर्व प्राथमिक कक्षाओं से विशेष ध्यान दिया गया है।हमारी भारतीय शिक्षा प्रणाली एक ऐसी शिक्षा प्रणाली है,बालक के शारीरिक,मानसिक,प्राणिक तथा आध्यात्मिक विकास में मातृ शक्तियों को वर्तमान पाश्चात्य शिक्षा एवं संस्कार से सजग रहने का आह्वान किया तथा भारतीय शिक्षा के आधार पर बच्चों का पालन पोषण करने को कहा।

कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के माननीय जिला संघचालक श्रीमान प्रवीण गर्ग जी ने अपने आशीर्वचन स्वरुप अध्यक्षीय उद्बोधन में उपस्थित मातृशक्ति को सम्बोधित करते हुए कहां कि विद्यालयी शिक्षा में अंक ज्ञान,अक्षर ज्ञान के लिए माघ शुक्ल पंचमी का दिन सबसे उपयुक्त माना गया है।अगर सतयुग,त्रेता,द्वापरयुग की बात करें तो राम,कृष्ण,कौरव,पाण्डवों की शिक्षा-दीक्षा का प्रारंभ भी इसी दिन से हुआ था।दूसरा आज की भौतिकतावादी शिक्षा के प्रभाव और मूल्यपरक शिक्षा के अभाव में लोग जन्म देनेवाली मां को ही भूल रहे हैं। जिस कारण परिवार में अनुशासन का अभाव तथा विकृतियां बढ़ने से परिवार लगातार टूट रहे हैं।बच्चों का लालन-पालन कर बड़ा करने वाली मां वृद्धा आश्रमों में जीवन गुजारने को मजबूर हैं। जिससे हमारी भारतीय परम्परा,संस्कृति का ताना-बाना टूट रहा है। विद्यालय परिवार द्वारा बसंत पंचमी के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम इसी परंपरा को पुनर्जीवित करने का अनूठा प्रयास है। इस आयोजन के लिए विद्यालय परिवार बधाई एवं साधुवाद का पात्र है,मेरी विद्यालय परिवार को शुभकामनाएं हैं। हवन यज्ञ के साथ प्रारंभ हुए कार्यक्रम में आज नये सत्र 2020-21के लिए नवीन प्रवेश प्रक्रिया में दो प्रवेशों के साथ प्रवेश प्रारंभ हुए।

श्री कमल किशोर डुकलान के संचालन में चले कार्यक्रम में कार्यक्रम की प्रमुख आचार्य बहिन श्रीमती सुनीता सिंह ने कार्यक्रम के उद्देश्यों पर विस्तृत प्रकाश डाला तथा प्रधानाचार्य श्री वीरपाल सिंह ने आगंतुक अतिथि एवं अभ्यागतों का आभार व्यक्त किया। डॉक्टर नाथीराम जी,अंकुर मण्डल कार्यवाह बेलडा,योगाचार्य पवन सैनी अभिभावक गण,मातृशक्ति,आचार्य परिवार एवं काफी संख्या में भैया-बहिन उपस्थित थे।

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