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धर्म गुरुओं को भीड़ वाले धार्मिक आयोजन न करने की सलाह दें राज्यपालः उपराष्ट्रपति

डॉक्टरों पर हुए हमलों पर चिंता जताई, जनता से हिंसा के विरुद्ध जागरूक रहने को कहा

जनता से विस्थापित श्रमिकों की आश्रय और भोजन से मदद करने को आह्वान

विद्यार्थियों की शिक्षा को सुचारू करने को ऑनलाइन क्लास का प्रबंध करने को कहा 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने आज प्रदेशों व केंद्र शासित प्रदेशों के राज्यपालों व उप राज्यपालों से कहा कि अध्यात्मिक और धार्मिक गुरुओं से आग्रह करें कि वे अपने अनुयायियों को भीड़ वाले सामुदायिक धार्मिक आयोजन करने से रोकें तथा कोविड-19 के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सामुदायिक व्यवहार में परस्पर दूरी बनाए रखें।

उपराष्ट्रपति ने डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के साथ हुई हिंसा को अक्षम्य बताते हुए ऐसी हिंसा की कड़ी निन्दा की। उन्होंने कहा कि यह देश के हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह उन डॉक्टरों की रक्षा करे, जो व्यक्तिगत खतरा मोल लेकर भी जन सेवा में लगे हैं।

कोराना महामारी को सम्पूर्ण मानवता के लिए चुनौती बताते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि कोविड-19 संक्रमण की रोकथाम के लिए व्यापक सामुदायिक सामाजिक प्रतिकार की आवश्यकता है।

सामाजिक दूरी तथा घरों में सीमित रहने को कोराना संक्रमण की रोकथाम का एकमात्र उपाय बताते हुए उपराष्ट्रपति ने राज्यपालों/ उप राज्यपालों से सभी धार्मिक गुरुओं से संपर्क करने की सलाह दी, जो अपने अनुयायियों को सरकार द्वारा सामाजिक दूरी बनाने के निर्देशों से अवगत कराएं।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा आयोजित वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के राज्यपालों, उप राज्यपालों और प्रशासकों को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि राज्यपालों और उप राज्यपालों को अपने राज्यों में किसी भी धार्मिक समागम की इजाज़त नहीं दी जानी चाहिए।

उपराष्ट्रपति ने विस्थापित श्रमिकों तथा कृषकों को राहत मुहैया कराने में विभिन्न सरकारों के प्रयासों की सराहना की।

वर्तमान में कटाई के समय की चर्चा करते हुए उपराष्ट्रपति नायडू ने राज्यपालों तथा उप राज्यपालों से कहा कि कृषि उत्पादों की कटाई, भंडारण तथा खरीद के लिए प्रबंध करने पर विशेष ध्यान दें। राजकीय एजेंसियां कृषि उपकरणों के अबाध आवागमन और उपलब्धता को सुनिश्चित करें, जिससे किसानों किसी कठिनाई का सामना न करना पड़े। उन किसानों के उत्पाद की सौ फीसदी खरीद सुनिश्चित की जानी चाहिए। “यह समय की मांग है”।

हाल में डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के साथ हुई अक्षम्य हिंसा की निन्दा करते हुए उन्होंने ऐसी घटनाओं को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह उन स्वास्थ्य कर्मियों की रक्षा करे, जो व्यक्तिगत खतरा मोल लेकर भी संक्रमित रोगियों की सेवा में लगे हैं। उन्होंने राज्यपालों तथा उप राज्यपालों से अपेक्षा की कि लोगों को डॉक्टरों, नर्सों, स्वच्छता कर्मियों तथा कोविड-19 संक्रमण के विरुद्ध अभियान में अग्रिम पंक्ति के अन्य योद्धाओं की जीवन रक्षक भूमिका के बारे में जागरूक बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के मनोबल को गिराती हैं।

उन्होंने राज्यपालों तथा उप राज्यपालों से आग्रह किया कि विद्यार्थियों की सुचारू शिक्षा को सुनिश्चित करने के लिए ऑनलाइन क्लास का प्रबंध किया जाना चाहिए।

उपराष्ट्रपति ने फंसे हुए विस्थापित मजदूरों, लोगों को रोजमर्रा के जरूरी सामानों तथा दवाओं की आपूर्ति के विषय में जानकारी प्राप्त की। उन्होंने कहा यद्यपि सरकार विस्थापित मजदूरों की कठिनाई को कम से कम करने का हरसंभव प्रयास कर रही है तथापि यह समाज का भी दायित्व है कि उनको भोजन और आश्रय का प्रबंध करे।

उन्होंने पूर्ण बंदी के उद्देश्यों को समर्थन देने तथा उसका पालन करने के लिए नागरिकों की सराहना की। उन्होंने नागरिकों से सोशल डिस्टेंसिंग का अक्षरशः पालन करने की अपील की। नागरिकों से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सलाह का पालन करने का आग्रह करते हुए, उन्होंने डॉक्टरों तथा वैज्ञानिकों से स्वास्थ्य मंत्रालय तथा आईसीएमआर से जारी निर्देशों का पालन करने की सलाह दी।

विभिन्न राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के लगभग 35 राज्यपालों, उप राज्यपालों और प्रशासकों ने अपने राज्यों में कोविड-19 संक्रमण की रोकथाम के लिए किए जा रहे प्रयासों के विषय में विचार-विमर्श किया गया।

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