परीक्षा जैसे गोपनीय कार्य में लगाए गए हैं बाल मजदूर!
अंदरखाने विश्व विद्यालय स्टाफ में काफी आक्रोश
बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने 18 को कुलपति को किया तलब
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
प्रदेश के श्रम एवं रोज़गार मंत्री का मामले में कहना है कि तकनीकी विश्वविधयालय में बाल श्रम का मामला उनके संज्ञान में आया है मामले की सम्यक जानकारी और जांच के बाद विश्वविधयालय के खिलाफ कार्रवाही की जाएगी।
डॉ. हरक सिंह रावत
देहरादून : उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय (यूटीयू) के आलाधिकारी शायद बालश्रम कानून से वाकिफ नहीं है या जानबूझकर बालश्रम कानून का मज़ाक उड़ा रहे हैं। ,मामला उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय का है जहां परीक्षा नियंत्रक अधिकारी द्वारा तकनीकी विश्वविद्यालय से जुड़े विद्यालयों को परीक्षा के दौरान उपयोग में आने वाली उत्तर पुस्तिकाओं की गोपनीय कोडिंग का कार्य दिया गया है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इससे पहले उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय इस तरह की उत्तरपुस्तिकाओं की गोपनीय कोडिंग के लिए समाचार पत्रों में स तरह के कार्य करने वाली किसी निजी कम्पनी के लिए निविदाएं आमंत्रित करती थी लेकिन इस बार यह कार्य बिना निविदा के अपने किसी चाहेती फर्म से करवाया जा रहा है और उसने यूटीयू को बाल मजदूर सौंप दिए, अब जिनसे यूटीयू आजकल उत्तर पुस्तिकाओं का कोडिंग का कार्य करवा रहा है यह कॉडिंग इस लिए की जाती है कि विश्वविद्यालय से सम्बद्ध किस विद्यालय को किस कोड की उत्तरपुस्तिकाएं आवंटित की गयी है ताकि उसकी जानकारी विश्व विद्यालय के पास रहे।
गौरतलब हो कि अंदरखाने विश्व विद्यालय का स्टाफ भी इसे लेकर काफी आक्रोश में है। पिछले कुछ समय से विवि व संगठक महाविद्यालयों में परीक्षा, स्टोर, पुस्तकालय, क्रीड़ा व वाणिज्य जैसे अहम विभागों में प्रशिक्षित अनुभवी कर्मचारियों को जबरन हटाकर उसके स्थान पर कम शिक्षित एवं बाल मजदूरों को कथित रूप से रखा जा रहा है।
विश्व विद्यालय पहले ही पीएचडी से लेकर शिक्षकों की भर्ती को लेकर चर्चा में बना हुआ है। सेमेस्टर परीक्षाओं के दौरान करीब आधा दर्जन पेपरों में आउट आफ सिलेबस से लेकर एक ही तरह के 90 फीसद सवाल दो अलग-अलग प्रश्न पत्रों में पूछे जाने को लेकर विश्व विद्यालयकी फजीहत हो चुकी है। परीक्षा में लगातार हो रही गलती को कुलपति डॉ.एनएस चौधरी भी स्वीकार कर चुके हैं।
मामला बाल मजदूरी से जुड़ा हुआ है और चित्र में सभी बच्चे 18 वर्ष से काम के नज़र आ रहे हैं इससे साफ़ है कि जहां विश्वविद्यालय के अधिकारी जानबूझकर बालश्रम से आँखे मूंदे हुए है या वे बालश्रम की अवहेलना कर रहे हैं यह तो वही जाने लेकिन इस सम्बन्ध में जब विश्वविद्यालय की रजिस्ट्रार अनिता रावत के फ़ोन नंबर 9412932004 के अधिकारियों से बात करने की कोशिश की गयी तो किसी ने भी फ़ोन नहीं उठाया। मामले में उत्तराखंड बाल आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी ने 18 जुलाई को विश्व विद्यालय के कुलपति को अपने कार्यालय में तलब किया है।
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परीक्षा जैसे गोपनीय कार्य में लगाए गए हैं बाल मजदूर!अंदरखाने विश्व विद्यालय स्टाफ में काफी आक्रोशबाल अधिकार संरक्षण आयोग ने 18 को कुलपति को किया तलबदेवभूमि मीडिया ब्यूरो प्रदेश के श्रम एवं रोज़गार मंत्री का मामले में कहना है कि तकनीकी विश्वविधयालय में बाल श्रम का मामला उनके संज्ञान में आया है मामले की सम्यक जानकारी और जांच के बाद विश्वविधयालय के खिलाफ कार्रवाही की जाएगी।डॉ. हरक सिंह रावतदेहरादून : उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय (यूटीयू) के आलाधिकारी शायद बालश्रम कानून से वाकिफ नहीं है या जानबूझकर बालश्रम कानून का मज़ाक उड़ा रहे हैं। ,मामला उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय का है जहां परीक्षा नियंत्रक अधिकारी द्वारा तकनीकी विश्वविद्यालय से जुड़े विद्यालयों को परीक्षा के दौरान उपयोग में आने वाली उत्तर पुस्तिकाओं की गोपनीय कोडिंग का कार्य दिया गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इससे पहले उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय इस तरह की उत्तरपुस्तिकाओं की गोपनीय कोडिंग के लिए समाचार पत्रों में स तरह के कार्य करने वाली किसी निजी कम्पनी के लिए निविदाएं आमंत्रित करती थी लेकिन इस बार यह कार्य बिना निविदा के अपने किसी चाहेती फर्म से करवाया जा रहा है और उसने यूटीयू को बाल मजदूर सौंप दिए, अब जिनसे यूटीयू आजकल उत्तर पुस्तिकाओं का कोडिंग का कार्य करवा रहा है यह कॉडिंग इस लिए की जाती है कि विश्वविद्यालय से सम्बद्ध किस विद्यालय को किस कोड की उत्तरपुस्तिकाएं आवंटित की गयी है ताकि उसकी जानकारी विश्व विद्यालय के पास रहे। गौरतलब हो कि अंदरखाने विश्व विद्यालय का स्टाफ भी इसे लेकर काफी आक्रोश में है। पिछले कुछ समय से विवि व संगठक महाविद्यालयों में परीक्षा, स्टोर, पुस्तकालय, क्रीड़ा व वाणिज्य जैसे अहम विभागों में प्रशिक्षित अनुभवी कर्मचारियों को जबरन हटाकर उसके स्थान पर कम शिक्षित एवं बाल मजदूरों को कथित रूप से रखा जा रहा है।विश्व विद्यालय पहले ही पीएचडी से लेकर शिक्षकों की भर्ती को लेकर चर्चा में बना हुआ है। सेमेस्टर परीक्षाओं के दौरान करीब आधा दर्जन पेपरों में आउट आफ सिलेबस से लेकर एक ही तरह के 90 फीसद सवाल दो अलग-अलग प्रश्न पत्रों में पूछे जाने को लेकर विश्व विद्यालयकी फजीहत हो चुकी है। परीक्षा में लगातार हो रही गलती को कुलपति डॉ.एनएस चौधरी भी स्वीकार कर चुके हैं।मामला बाल मजदूरी से जुड़ा हुआ है और चित्र में सभी बच्चे 18 वर्ष से काम के नज़र आ रहे हैं इससे साफ़ है कि जहां विश्वविद्यालय के अधिकारी जानबूझकर बालश्रम से आँखे मूंदे हुए है या वे बालश्रम की अवहेलना कर रहे हैं यह तो वही जाने लेकिन इस सम्बन्ध में जब विश्वविद्यालय की रजिस्ट्रार अनिता रावत के फ़ोन नंबर 9412932004 के अधिकारियों से बात करने की कोशिश की गयी तो किसी ने भी फ़ोन नहीं उठाया। मामले में उत्तराखंड बाल आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी ने 18 जुलाई को विश्व विद्यालय के कुलपति को अपने कार्यालय में तलब किया है।