UTTARAKHAND

उत्तराखंड का जनादेश, मुद्दों पर चिंतन का परिणाम।

उत्तराखंड का चुनाव नतीजा उदाहरण है कि कांग्रेस कैसे आपसी कलह और काहिली के कारण जीतने वाला चुनाव भी हार सकती है। उत्तराखंड में पूरे चुनाव में यह स्पष्ट ही नहीं हुआ कि कांग्रेस आलाकमान ने पूरे चुनाव के दौरान हरीश रावत पर भरोसा किया कि नहीं।
कमल किशोर डूकलान 
उत्तराखंड में मिला जनादेश कई बातों को स्पष्ट करता है। सबसे पहली बात यह कि राज्य का मतदाता अब हर चुनाव की प्रक्रिया को महत्वपूर्ण समझने लगा है तथा प्रदेश का अति निर्धन व्यक्ति भी परस्पर बराबरी की भावना से उन मुद्दों पर चिंतन करता है, जिसमें उसका अपने हित होने के साथ राष्ट्र की राजनीतिक संप्रभुता भी निहित है। उत्तराखंड में चौंकाने वाले नतीजों को देखें तो पांचों राज्यों में सबसे हैरान करने वाले नतीजे उत्तराखंड के रहे, उत्तराखंड में राज्य गठन से लेकर बीते पिछले इक्कीस वर्षों में बारी-बारी से सत्ता पर काबिज भाजपा, कांग्रेस को बहुमत की सरकार होने के बाबजूद भी मुख्यमंत्री बदलने पड़े।
आसन्न 2022 के विधानसभा चुनाव में ऐसा लगता था कि राज्य की विपक्षी कांग्रेस बरोजगारी, मंहगाई को मुद्दा बनाकर सत्ता विरोधी लहर बनाने में कामयाब होगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। दूसरी ओर कांग्रेस को लगता था कि उसके बड़े नेता हरीश रावत उत्तराखंड के सबसे बड़े नेता बनकर उभरेंगे और राज्य की सत्ता हस्तांतरण में मददगार बनेंगे लेकिन हरीश रावत नैनीताल की लालकुआं सीट से बड़े अन्तर से चुनाव हार गए।
कांग्रेस राज्य में बेरोजगारी,मंहगाई को मुद्दा नहीं। जाहिर है,जनता ने उत्तराखंड में केन्द्र सरकार की जनाकांक्षी योजना दुनिया के सर्वमान्य नेता मोदी के चेहरे के रूप में भाजपा को चुना है,न कि किसी कद्दावर और दिग्गज नेताओं को। 2014 के बाद से ही राज्य की जनता ने भाजपा और उसके एजेंडे पर भरोसा कायम है। उत्तराखंड के भाजपा को मिला प्रचंड बहुमत उदाहरण है कि कांग्रेस कैसे आपसी कलह और काहिली के कारण जीतने वाला चुनाव भी हार सकती है। उत्तराखंड में पूरे चुनाव में यह स्पष्ट ही नहीं हुआ कि आलाकमान ने चुनाव संचालन समिति के अध्यक्ष हरीश रावत पर भरोसा किया कि नहीं।
उत्तराखंड को मिले जनादेश को देखें, तो कांग्रेस के लिए यही कहा जा सकता है कि कांग्रेस को न माया मिली न राम। हंगामा बहुत,किंतु राजनीतिक प्रदर्शन बिल्कुल शून्य। जाहिर है, कांग्रेस को अपनी खोई हुई जमीन पाने के लिए अभी काफी मेहनत करने की जरूरत है, अन्यथा उसका कोई नामलेवा भी नहीं रहेगा।

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