नवी मुम्बई : कल्याणी महिला समिति के जरिए कौथिग 2017 में विशुद्ध पहाडी जैविक आर्गेनिक उत्पाद को लाया गया है। इसमें पहाडों के उत्पाद में खाद्यान राजमा बडिया मुगोरी, मंडुवे का आटा, लाला मिर्च. धनिया गहथ आदि कई उत्पाद लाए गए हैं। इसकी विशेषता है कि उत्पादोंको उत्तराखंड की महिलाओं के जरिए तैयार किया गया है। कल्याण समिति इसके जरिए अर्जित आय को महिलाओ के कल्याण और उत्थान पर खर्च करता है। यह स्वरोजगार को बढावा देने के लिए एक प्रयास है। संस्था के इस उत्पाद को तनुजा
मेलकानी वसुंधरा और खु शबू लेकर आई है। प्रो तनुजा मेलकानी शिक्षिका है और कत्थक नृत्यांगना है। वसुंधरा चर्चित रंगकर्मी है और खुशबू विधिक न्याय में अध्ययनरत है। उनका कहना है कि इस प्रयास का असल उद्देश्य जैविक उत्पाद को लोगों तक पहुंचाना है। साथ ही पहाडों के उत्पाद को प्रचार प्रसार कर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना है। इसके अच्छे परिणाम सामने आए हैं। तीनों अपने साथ लगभाग 14 क्विंटल सामग्री लाएं है। साथ में पहाडों की पैंटिग भी लाए हैं। मुंबई में इन उत्पादों के प्रति लोगों ने खासा रुझान दिखाया है।
उतराखंड के खानपान के इस बार तीन स्टाल लगे हैं। हरीश कैटलर्स उत्तराखंड केटलर्स और महेश भोजनालय के पहाडी खानपान का लोग लुत्फ उठाते रहे है। कोदे की रोटी , झंगोरा की खीर, आलू के गुटके मूली की थिचौणी, पहाडी रायता छछेंडा के अलावा और कई व्यंजन पहाडी रसोई में उपलब्ध है। इसके अलावा अल्मोडा की प्रसिद्ध बाल मिठाई भी यहा लाई गई।
कौथिग मेंले में कई स्टाला लगे हैं। इनमें सुरभी हवन की सुंगधित धूप और अगर बत्तियां इस बार भी लाई गई है। यह सुगंधित अगरबत्ती गोमूत्र से तैयार किया जाता है। नीलकंठ महादेल की अष्टधातु और लोहाघाट के लोहे की कडाई तव्वा चिमटा दूसरे चीजें यहां आई हैं। हिमाचली टोपी और पहाडी टोपी भी लोगों ने प्रतीक के तौर पर खरीदी।
कौथिग मेले में उत्तराखड उद्योग निदेशालय ने अपना स्टाल लगाया हुआ है। शादी वैवाहिक रिश्तो के लिए लोग ब्यो बारात . काम के स्टाल में भी आवश्यक जानकारी लेते रहे। मेले में स्टालों की रौनक देखते ही बनी है। केवल उत्तराखंडी समाज ही नहीं मुंबई में दूसरे समाज के लोगों ने भी स्टालों में घूम घूम पर और आवश्यक चीजें खरीद कर उत्तराखंड को जानने समझने की कोशिश की।