उत्तराखंड में अब भ्रूण हत्या करना नहीं होगा आसान, सरकार का प्लान !

- पीसीपीएनडीटी अधिनियम, 1994 को किया जाएगा और कड़ा
देहरादून : प्रदेश सरकार अब गर्भ में ही बेटियों की पहचान बताने और इनकी हत्या करने वालों को सबक सिखाने के लिए को रोकने के लिए पीसीपीएनडीटी अधिनियम, 1994 को और कड़ा करने जा रही है । इस कानून की समीक्षा और इसमें कड़े प्रावधान जोड़ने के लिए सूबे का महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग एक एक्शन प्लान बनाने की तैयारी में है। समीक्षा के बाद विभाग प्रसव पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीसीपीएनडीटी) अधिनियम, 1994 की धाराओं में परिवर्तन करके इसे और कड़ा करने का प्रयास करेगी। इस विषय पर महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री(स्वतंत्र प्रभार) रेखा आर्य का कहना है कि कन्या भ्रूण हत्या पर रोक लगाने के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया गया है। यह एक्शन प्लान पीसीपीएनडीटी की धाराओं के तहत तैयार किया जाएगा।
केंद्र द्वारा पूरे देश में कन्या भ्रूण हत्या और गिरते लिंगानुपात को रोकने के लिए पीसीपीएनडीटी एक्ट लागू किया है और यह कानून प्रदेश में भी लागू है। इस अधिनियम में प्रसव पूर्व लिंग परीक्षण करना प्रतिबंधित है। अल्ट्रासाउंड कराने वाले जोड़े, डॉक्टर व लैब कर्मी को तीन से पांच साल की सजा व दस से 50 हजार रुपये जुर्माने तक का प्रावधान है। इसमें अल्ट्रासाउंड सेंटर सीज होना तक शामिल है। हालांकि, संबंधित महकमों की लापरवाही व अधिकारियों की कमी भी इसे पूर्ण रूप लागू कराने में आड़े आ रही है। स्थिति यह है कि कई स्थानों पर धड़ल्ले से लिंग परीक्षण किया जा रहा है।
अब तक शिकायत मिलने पर ऐसे संस्थानों के खिलाफ सिर्फ नाममात्र की ही कार्रवाई होती है। लेकिन अब लिंग परीक्षण की यह बीमारी पर्वतीय इलाकों में भी बढऩे लगी है। यहाँ तक कि पर्वतीय जिलों के छोटे कस्बों में भी अल्ट्रासाउंड केंद्र खुल चुके हैं और यहां चोरी छिपे भ्रूण परीक्षण किये जाने की जानकारी भी सामने आ रही है। अल्ट्रासाउंड केंद्र में बेटियों के खुलासे के बाद कई बेटियां जन्म से पहले ही इस दुनिया से विदा हो जा रही हैं। इसका असर प्रदेश के शिशु लिंगानुपात (प्रति हजार बालक पर बालिकाओं की संख्या) में भी पड़ रहा है। हाल ही में नीति आयोग की रिपोर्ट में इसकी पुष्टि भी हुई है। नीति आयोग की रिपोर्ट बताती है कि जन्म के समय लिंगानुपात में 27 अंक की गिरावट दर्ज की गई है।
अभी प्रदेश में जन्म के समय लिंगानुपात काफी चिंता जनक है सूबे में यह अनुपात 844 तक जा पहुंचा है जबकि वर्ष 2011 में 0-6 वर्ष का लिंगानुपात 871 था। वर्तमान में लिंगानुपात में प्रदेश केवल हरियाणा से ही आगे है। इसे देखते हुए महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग प्रदेश में बेटियों को बचाने के लिए एक वृहद एक्शन प्लान बना रहा है। इसमें पीसीपीएनडीटी की धाराओं को लागू करने के साथ ही कानूनी प्रावधान भी किए जाएंगे।
प्रदेश में लिंगानुपात की स्थिति
देहरादून – 832
पौड़ी – 756
उत्तरकाशी – 759
पिथौरागढ़ – 758
अल्मोड़ा – 986
चंपावत – 991
नैनीताल – 854
यूएस नगर – 948
हरिद्वार – 921
टिहरी गढ़वाल – 953
चमोली – 950
रूद्रप्रयाग – 879
कुल प्रतिशत – 844