उत्तराखंड की आपदा और लंबी छलांग – 15 साल बाद इतिहास ने फिर दोहराया खुद को
2010 में मुख्यमंत्री निशंक की पहाड़ी गदेरा लांघने वाली छलांग बनी थी चर्चा का विषय, अब 2025 में डीएम सविन बंसल ने दोहराया वही दृश्य।

अनीता राजेंद्र जोशी , 11 जुलाई 2025
इतिहास अक्सर खुद को दोहराता है – और उत्तराखंड की आपदाओं के दौरान तो जैसे यह एक परंपरा बन चुकी है। वर्ष 2010 की एक दुर्लभ तस्वीर में तत्कालीन मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ को एक उफनते पहाड़ी गदेरे को लंबी छलांग लगाकर पार करते देखा गया था। वही दृश्य , लगभग 15 साल बाद, एक बार फिर दोहराया गया – इस बार देहरादून के डीएम सविन बंसल की ओर से।
दिनांक 10 जुलाई को जब पूरे राज्य में मानसूनी बारिश कहर बरपा रही थी, उसी दौरान डीएम सविन बंसल ने आपदा प्रभावित गांव का निरीक्षण करने के दौरान एक लबालब भरे पहाड़ी गदेरे को ‘निशंक स्टाइल’ में छलांग लगाकर पार किया। यह दृश्य कैमरे में कैद हुआ और सोशल मीडिया पर तुरंत वायरल हो गया।
इन दोनों तस्वीरों में एक गहरी साम्यता है – न सिर्फ दृश्य में बल्कि संदेश में भी। पहाड़ के कठिन जीवन की सच्चाई यही है कि यहां हर रोज स्कूली बच्चे, महिलाएं, शिक्षक, ग्रामीण और बुजुर्ग नदियों, नालों और गदेरों को ऐसे ही जान हथेली पर रखकर पार करते हैं। यह उनके लिए रोजमर्रा की बात है, पर वे कैमरों में नहीं आते, सुर्खियां नहीं बनते।
सिर्फ नेता और अधिकारी ही जब ऐसी विपरीत परिस्थितियों में कोई कार्य करते हैं तो वह ‘खबर’ बन जाता है। लेकिन यह तस्वीरें कहीं न कहीं उन हजारों गुमनाम पहाड़ी निवासियों के साहस और संघर्ष की भी याद दिलाती हैं जो हर दिन ऐसी छलांगें लगाते हैं – बिना किसी तालियों और लाइक्स के।
लंबी खोजबीन के बाद 2010 की निशंक की ऐतिहासिक छलांग की तस्वीर भी आज फिर सामने आई है। बरसात की भीषण झड़ी के बीच इन दोनों पलों को देख कर यही कहा जा सकता है कि उत्तराखंड की आपदा केवल चुनौतियों की कहानी नहीं है, यह जुझारूपन और जीवटता की मिसाल भी है।