PITHORAGARH

उत्तराखंड: शिक्षक हड़ताल के बीच चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को सौंपा गया स्कूल का प्रभार, शिक्षा विभाग की हुई किरकिरी

पिथौरागढ़ जिले में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी (चपरासी) को स्कूल का प्रधानाचार्य बनाने का मामला सामने आया है.

पिथौरागढ़।
अक्सर विवादों में रहने वाला उत्तराखंड का शिक्षा विभाग एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार मामला पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी क्षेत्र का है, जहां एक इंटर कॉलेज में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को अस्थायी तौर पर प्रधानाचार्य की जिम्मेदारी सौंप दी गई। मामला सामने आने के बाद विभाग की जमकर किरकिरी हुई और अंततः यह जिम्मेदारी खंड शिक्षा अधिकारी मुनस्यारी को दे दी गई।

दरअसल, शिक्षक संघ लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर है। इसके चलते कई स्कूलों में प्रशासनिक कार्य ठप हो गए हैं। जीआईसी खतेड़ा में भी प्रभारी प्रधानाचार्य का पद खाली हो गया था। पहले यह जिम्मेदारी प्रवक्ता छोटे सिंह के पास थी, लेकिन उन्होंने भी विरोध स्वरूप त्यागपत्र दे दिया। नियम के अनुसार केवल स्थायी कर्मचारी ही प्रभारी प्रधानाचार्य बन सकता है। अस्थायी शिक्षकों को यह जिम्मेदारी नहीं दी जा सकती थी, और स्थायी शिक्षक भी तैयार नहीं हुए।

ऐसे में स्कूल के एकमात्र शेष स्थायी कर्मचारी—चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी (चपरासी) राजू गिरी—को स्कूल का प्रभार सौंप दिया गया। इस आदेश के तहत राजू गिरी को घंटी बजाने के साथ-साथ प्रधानाचार्य स्तर के प्रशासनिक फैसले लेने की जिम्मेदारी भी मिल गई।

जैसे ही यह मामला मीडिया में सामने आया, शिक्षा विभाग की कड़ी आलोचना शुरू हो गई। इसके बाद विभाग ने आदेश को वापस लेते हुए जीआईसी खतेड़ा का कार्यभार खंड शिक्षा अधिकारी दिगंबर आर्या को सौंप दिया। आर्या ने बताया कि विद्यालय की शिक्षण व्यवस्था सामान्य रूप से संचालित हो रही है और किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं है।

गौरतलब है कि पूरे उत्तराखंड में लगभग 2000 विद्यालयों में स्थायी प्रधानाचार्य नहीं हैं। सिर्फ पिथौरागढ़ जिले में ही 87 हाईस्कूलों में से केवल 1 और 128 इंटर कॉलेजों में केवल 4 स्थायी प्रधानाचार्य तैनात हैं। इस गंभीर कमी के चलते कई बार प्रभारी प्रधानाचार्य पर कार्यभार डालना पड़ता है। फिलहाल शिक्षक संघ की हड़ताल के चलते यह समस्या और गहरा गई है।

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