देहरादून : 1986 बैच के आईएएस अधिकारी उत्पल कुमार सिंह ने बुधवार को राज्य के 15 वें मुख्यसचिव के रूप में पदभार ग्रहण किया।इससे पहले पूर्व मुख्य सचिव रामास्वामी ने उनका स्वागत किया और कार्यभार सौंपने की प्रकिया पूरी की।मुख्य सचिव पद का कार्यभार ग्रहण करने के बाद उत्पल कुमार सिंह ने शासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने अधिकारियों से टीम भावना से कार्य करने का आह्वान किया। उन्होंने एसडीएम अपने सेवा काल के शुरुआत रानीखेत से डीएम नैनीताल तक और उत्तराखंड शासन में विभिन्न महत्वपूर्ण विभागों में अपने उत्तराखंड राज्य में 12 वर्षों के कार्यकाल का जिक्र करते हुए कहा कि वह राज्य की बुनियादी समस्याओं से परिचित हैं।बेहद प्रसन्नता है कि दोबारा मुझे उत्तराखण्ड में सेवा का अवसर मिला है।हम सबको खुले दिमाग से इन समस्याओं को चिन्हित करके प्राथमिकता के आधार पर उन्हें दूर करना है।
नवनियुक्त मुख्य सचिव ने कहा कि अगले तीन साल में राज्य अपनी स्थापना के बीस वर्ष पूरा कर लेगा। हमें 2020 तक का अपना लक्ष्य तय करना है। उन्होंने अधिकारियों से अपेक्षा की कि राज्य के लोगों के जीवन की बेहतरी के लिए मिलजुल कर कार्य करना है। इसके साथ ही फ्लैगशिप कार्यक्रमों की गति में और तेजी लानी है। उन्होंने कहा संकल्प से सिद्धि कार्यक्रम के तहत तय किये गये लक्ष्यों को हासिल करना है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य, शिक्षा, कौशल विकास, डिजिटल इंडिया सहित विभिन्न विभागों की समीक्षा करेंगे। अधिकारी विचार करें कि वे अपने विभाग में कौन-कौन नवाचारी(इनोवेटिव) कार्य कर सकते हैं।
कार्यभार ग्रहण करने के बाद उन्होंने सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से मुलाकात की। इस बैठक के दौरान मुख्यमंत्री रावत ने उन्हें राज्य सरकार की प्राथमिकता के बारे में जानकारी दी है।
गौरतलब हो कि नए मुख्य सचिव के रूप में शामिल उत्त्पल कुमार सिंह को लेकर एक बात हर किसी के दिमाग में घूम रही है कि अचानक राज्य में ब्यूरोक्रेटिक परिदृश्य कैसे बदल गया है। वहीँ सूत्रों ने बताया कि 20 अक्टूबर को केदारनाथ के प्रधान मंत्री के दौरे के दौरान प्रधानमन्त्री मोदी ने मुख्यमंत्री से केंद्र प्रायोजित योजना में धीमी गति से चल रही प्रगति पर नाराजगी व्यक्त की थी बस तब से ही मुख्यमंत्री रावत ने नौकरशाही में फेरबदल करने के लिए कवायद शुरू कर दी थी। अचानक हुए इस अभूतपूर्व परिवर्तन से मुख्यमंत्री ने पूरे राज्य में विशेषकर नौकरशाही को संदेश देने की कोशिश की कि या तो आप काम करें अन्यथा किनारे जाने के लिए तैयार रहें ।