- राज्य आंदोलनकारी ऊषा नेगी बनीं राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष
- उत्तराखण्ड राज्य गठन की प्रखर नेत्री रहीं हैं उषा नेगी
देहरादून । उषा नेगी ने उत्तराखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष का कार्यभार संभाल दिया है। कार्यभार संभालने के अवसर पर उन्होंने कहा जिस तरह से उन्होंने राज्य आंदोलन के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने में भी कोई कमी नहीं छोड़ी अब इस कार्य को भी वे तन, मन से समर्पित भाव से करने की पूरी कोशिश करेंगी और राज्य के बच्चों व महिलाओं के अधिकारों के लिए उनके साथ न्याय करने करने का पूरा प्रयास करेंगी। उन्होंने कहा जिस दायित्व को सरकार ने उन्हें सौपा है मेरी कोशिश होगी मैं उनके उम्मीदों पर खरा उतरने का प्रयास करुँगी।
गौरतलब हो कि उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन की प्रखर आंदोलनकारी ऊषा नेगी को उत्तराखण्ड सरकार ने उत्तराखण्ड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष नियुक्त किया है। ऊषा नेगी तिवारी सरकार में भी उत्तराखण्ड आंदोलनकारी कल्याण परिषद की उपाध्यक्षा भी रही थी । उषा नेगी को बाल संरक्षण आयोग का अध्यक्ष बनाये जाने पर भाजपा महिला संगठन की कई नेताओं सहित राज्य आंदोलनकारियों ने मुख्य्मंत्री के निर्णय का स्वागत किया है।
गौरतलब है कि उत्तराखण्ड राज्य गठन आंदोलन की तेज़तर्रार महिला नेत्रियों में एक ऊषा नेगी ने महिलाओं के छापामार आंदोलनकारी के रूप में देहरादून से लेकर दिल्ली में प्रशासन की नाक में दम कर रखा था। राज्य गठन आंदोलन में देहरादून में आंदोलन में प्रधानमंत्री राव के खिलाफ व्यापक आंदोलन हो या दिल्ली में प्रधानमंत्री आवास पर छापामार प्रदर्शन हो या गणतंत्र दिवस परेड़ में नारेबाजी करने वाली महिला गुट की प्रमुख आंदोलनकारी ऊषा नेगी हमेशा आगे ही रहीं ।
उत्तराखण्ड महिला संयुक्त संघर्ष समिति की महामंत्री रही ऊषा नेगी दिल्ली में 6 साल तक निरंतर धरना देने वाले उत्तराखण्ड संचालन समिति से लेकर उत्तराखण्ड जनसंघर्ष मोर्चा व उत्तराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा के साथ संयुक्त रूप से आंदोलन में निरंतर भाग लेती रही। उत्तराखण्ड महिला संयुक्त संघर्ष समिति कोशल्या डबराल की अध्यक्षता में ऊषा नेगी, आशा बहुगुणा, कमला कण्डारी सहित दर्जनों महिला नेत्री देहरादून से लेकर दिल्ली तक सदैव आंदोलनरत रहती थी।
देहरादून में सक्रिय महिला संयुक्त संघर्ष समिति के अलावा कमला पंत की अध्यक्षता वाला उत्तराखण्ड महिला मंच का भी राज्य गठन जनांदोलन में सदैव सक्रिय भागेदारी रही। उस समय जनता संघर्ष मोर्चा के संयोजक रहे वर्तमान भाजपा नेता प्रकाश सुमन ध्यानी व पूर्व सैनिक संगठन के समन्वयक पीसी थपलियाल के साथ देहरादून की दोनों महिला संगठनों का ऐतिहासिक योगदान राज्य गठन आंदोलन में रहा। आंदोलन मेें श्रीनगर सम्मेलन हो या दिल्ली सम्मेलन सदैव राज्य गठन आंदोलन में इन दोनों महिला संगठनों की गर्जना की स्मृति आज भी मन को उद्देलित कर देती है।
राज्य गठन के बाद जहां ऊषा नेगी ने भाजपा का दामन थामा। वहीँ वे भाजपा की तेजतरार महिला नेत्री भी शुमार रहीं । परन्तु विधानसभा व बाद में जिला पंचायत सदस्य का टिकट न मिलने से उन्होने भाजपा से इस्तीफा देकर निर्दलीय चुनावी दंगल में उतरी। इसके बाद वह कांग्रेस की तिवारी सरकार में दायित्वधारी के तौर पर उत्तराखण्ड आंदोलनकारी कल्याण परिषद की उपाध्यक्षा भी रही। ऊषा नेगी भले ही भाजपा व कांग्रेस दल में रही परन्तु वह मोम की गुडिया नहीं तेज़तर्रार महिला नेत्री की तरह अपनी छाप छोड़ने में सफल रही।
वे दोनों दलों में राज्य गठन आंदोलनकारियो की उपेक्षा से आहत रही। हालांकि वर्तमान समय में श्रीमती नेगी का भाजपा में पुनः वापसी हो गयी थी। परन्तु अपनी पकड़ के कारण वह इस बार भाजपा में भी दायित्वधारी बन ही गयी। इससे भाजपा संगठन के कुछ लोग पचा नहीं पा रहे हैं।वहीँ मुख्यमंत्री ने ऊषा नेगी के राज्य गठन आंदोलन व उसके बाद भाजपा में तेजतरार भूमिका का सम्मान करते हुए उनको बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष योगेन्द्र खण्डूडी के कार्यकाल समापन से पहले ही ऊषा नेगी की अध्यक्ष के रूप में ताजपोशी कर दी गयी है । भाजपा में लम्बे समय से दायित्वधारियों की नियुक्ति किये जाने की मांग भाजपा संगठन व कार्यकर्ता सरकार से कर रहे थे। वहीँ भाजपा महिला मोर्चे की कई महिला नेत्रियों ने सरकार के इस निर्णय का स्वागत किया है।