- अभियान दल 8,848 मीटर ऊंची चोटी से कचरे के ढेर वापस लाएगा।
देहरादून : सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के सहायक कमांडेंट पद्मश्री लवराज सिंह धर्मशत्तू ने सातवीं बार माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराकर इतिहास रच डाला है। इसके साथ ही यह उपलब्धि हासिल करने वाले लवराज पहले भारतीय पर्वतारोही भी बन गए हैं। धर्मशक्तू सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के 25 लोगों की एक अभियान टीम का नेतृत्व कर रहे थे और शिखर के लिए गुरुवार को दुनिया के सर्वोच्च शिखर का दूसरा आधार शिविर छोड़ दिया था। लवराज की पत्नी रीना कौशल ने बताया कि लवराज ऐसा करने वाले देश के एकमात्र व्यक्ति बन गए हैं। लवराज की सफलता से सारे उत्तराखंड में जोरदार उत्साह है।
गौरतलब हो कि मई 2017 में लवराज धर्मशक्तू ने छठी बार एवरेस्ट में चढ़कर इतिहास रचा है। अब एक साल बाद लवराज ने अपने ही रिकॉर्ड को तोड़कर नया कीर्तिमान स्थापित कर लिया है। माउंट एवरेस्ट को फतह करने के 10वें सफर में बीएसएफ की 15 सदस्यी टीम को लेकर निकले लवराज धर्मशक्तू ने सातवीं बार दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर कदम रखने में सफलता हासिल की है।
इस बार टीम दो समूहों में विभाजित थी पहले समूह ने आज सुबह शिखर को बढ़ा और उसने दुनिया की सबसे ऊँची छोटी को फतह कर डाला जबकि दूसरे समूह के आज रात तक चोटी तक पहुंचने की संभावना है। अभियान दल को 20 मार्च को नई दिल्ली में खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने ध्वजांकित किया था। टीम ने बीएसएफ के ‘स्वच्छ और बचाने वाले ग्लेशियरों’ अभियान को एवरेस्ट में ले जाया था, यह अभियान दल 8,848 मीटर ऊंची चोटी से कचरे के ढेर को वापस लाएगा।
उल्लेखनीय है कि अप्रैल पहले सप्ताह में टीम भारत से नेपाल को निकली थी ।जो दो दिन काठमांडू में रुकने के बाद टीम अप्रैल के दूसरे सप्ताह में एवरेस्ट के मुख्य बेसकैंप के लिए रवाना हुई थी। बीते 19 मई को लवराज धर्मशक्तू बीएसएफ की टीम के पहले बैच के सदस्य प्रवीन, प्रवीन कुमार, प्रीतम, विकास सिंह, आसिफ जान के साथ 8 हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित एवरेस्ट के अंतिम बेस कैंप साउथ कोल पर थे। रात करीब 10 बजे के बाद लवराज की अगुवाई में टीम के सदस्यों ने एवरेस्ट की अंतिम चढ़ाई शुरू की। रात में 9 घंटे की चढ़ाई के बाद रविवार सुबह 6.50 बजे लवराज ने एवरेस्ट पर कदम रखे। यहां से आधे घंटे तक रहने के बाद टीम बेस कैंप उतर गई थी। टीम में तीन अधिकारी, तीन अधीनस्थ अधिकारी, 17 अन्य रैंक और दो चिकित्सा कर्मचारी शामिल थे । ट्रेक शुरू करने से पहले, टीम ने जनवरी और फरवरी माह में मनाली के धौलाधर और पीर पंजाल पर्वतमाला में 37 दिनों के प्री-अभियान प्रशिक्षण लिया था।
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड में मुनस्यारी के बोना गांव से रहने वाले धर्मशक्तू उत्तराखंड के सातवें अभियान में पहले उत्तराखंड के बीएसएफ के डोईवाला में तैनात किया गया था। उन्हें अभियान दल में अपने पांच पूर्व ट्रेक के लिए 2014 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। इससे पहले लवराज को 2003 में तेनजिंग नोर्गे नेशनल अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है ।
लवराज ने कब-कब जीता एवरेस्ट
- 1998: फर्स्ट इंडियन सिविलियन अभियान
- 2006: बीएसएफ का अभियान
- 2009: नेहरु पर्वतारोहण संस्थान का अभियान
- 2012: ईको एवरेस्ट अभियान
- 2013: एवरेस्ट अभियान
- 2017: ओएनजीसी के एवरेस्ट एक्सप्लोर
- 2018 : बीएसएफ का अभियान
We did it again!!!!!
1st group of 2nd #BSF #MtEverest Expedition scaled the peak this morning in the leadership of Loveraj Singh Dharmshaktu.
This is the 7th successful summit to Mt Everest of Mr Loveraj Singh, a new Indian record
2nd group will move tonight to the peak.
— BSF (@BSF_India) May 20, 2018