उत्तरप्रदेश राजकीय निर्माण निगम ने उत्तराखंड में निर्माण कार्यों में की जमकर लूट !

- स्पेशल ऑडिट में यूपीआरएनएन की 53 करोड़ की धांधली आयी सामने
- उत्तराखंड प्रोक्योरमेंट नियमावली के प्रावधानों का किया घोर उल्लंघन
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : राज्य सरकार की ओर से कराए गए स्पेशल ऑडिट में उत्तरप्रदेश राजकीय निर्माण निगम (यूपीआरएनएन) के कार्यों में बड़ी धांधली पकड़ी गई है। जिसमें उत्तराखंड प्रोक्योरमेंट नियमावली के प्रावधानों का घोर उल्लंघन तक किया गया है। वहीँ उत्तरप्रदेश राजकीय निर्माण निगम ने राज्य में नियमों को ताक पर रखकर सिडकुल में करोड़ों की धांधली के मामले को लेकर जांच के शिकंजे में फंसे यूपीआरएनएन को झटका लगा है। वहीँ बीते पांच सालों में उत्तरप्रदेश राजकीय निर्माण निगम ने मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) और समाज कल्याण विभाग में बतौर कार्यदायी एजेंसी 53 करोड़ से अधिक वित्तीय गड़बडिय़ां कीं। योजनाओं को दी गई धनराशि पर 1.26 करोड़ से ज्यादा ब्याज के रूप में प्राप्त धनराशि सरकार को वापस नहीं की। जबकि वहीं बगैर ठेकेदार निर्माण निगम पद्धति से कराए गए कार्यों पर कॉंट्रेक्टर प्रॉफिट की 23.56 करोड़ की राशि का समायोजित नहीं किये जाने की बात जांच में सामने आयी है।
त्रिवेन्द्र सरकार के सत्ता में आने के बाद भ्रष्टाचार पर सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाये जाने और उत्तरप्रदेश राजकीय निर्माण निगम की तमाम खामियों के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत के सामने आने के बाद सरकार की ओर से कराए गए स्पेशल ऑडिट में यूपीआरएनएन के कार्यों में धांधली पकड़ी गई है। एमडीडीए में बीते पांच वर्षों में निर्माण कार्यों के लिए धनराशि पर यूपीआरएनएन को 119.68 लाख रुपये ब्याज मिला, लेकिन इस राशि को महकमे को वापस नहीं कर यूपीआरएनएन ने राज्य सरकार के राजस्व को चूना लगाया । इसी तरह बगैर ठेकेदार के निर्माण निगम पद्धति से कराए गए कार्यों पर कॉंट्रेक्टर प्रॉफिट 22.81 करोड़ से ज्यादा धनराशि का समायोजन भी यूपीआरएनएन ने नहीं कराया । वहीँ जो परियोजनाएं पूरी या समाप्त हो गईं, उनकी अवशेष धनराशि 29.12 लाख को भी यूपीआरएनएन ने वापस नहीं किया ।इतना ही नहीं यूपीआरएनएन ने इस्टीमेट की मदों में निर्धारित रकम से अधिक कार्य कराते हुए इससे उत्तराखंड सरकार का 91.36 लाख अधिक खर्च हुआ।वहीँ जांच में यह बात भी सामने आयी है कि यूपीआरएनएनने सेंटेज के रूप में एमडीडीए निधि से 20.68 करोड़ से अधिक धनराशि खर्च की है।
इतना ही नहीं यूपीआरएनएन ने इसी तरह समाज कल्याण विभाग में भी निर्माण कार्यों की धनराशि पर ब्याज के रूप में प्राप्त 16.37 लाख रुपये अभी तक राज्य सरकार को नहीं लौटाए और कॉंट्रेक्टर प्रॉफिट के 75.44 लाख रुपये का समायोजन भी नहीं किया गया। वहीं यूपीआरएनएन ने संबंधित विभाग से टीडीएस कटौती भी नहीं की, इससे 4.98 लाख राजस्व की हानि राज्य सरकार को उठानी पड़ी है। इतना ही नहीं यूपीआरएनएन ने उत्तराखंड प्रोक्योरमेंट नियमावली के प्रावधानों का घोर उल्लंघन करते हुए और नियमावली को दरकिनार करते हुए 511 लाख की परियोजनाएं उत्तराखंड में क्रियान्वित की। जबकि इसी तरह तकनीकी स्वीकृति के बगैर ही 141.86 लाख की निर्माण परियोजनाओं को यूपीआरएनएन ने उत्तराखंड में क्रियान्वित कर डाला।