Unique : एक अनोखा मंदिर जहां सामने से कोई नहीं करता देवता के दर्शन!

पुरोला : उत्तरकाशी जिले के सीमांत विकासखंड मोरी के नैटवाड़ में एक ऐसा मंदिर है,और यहाँ विराजमान देवता का इतना खौफ कि क्षेत्र में चोरी व क्रूर अपराध करने से लोग आज भी डरते हैं। यहाँ लोग मंदिर को देख तो सकते हैं लेकिन वहां विराजमान देवता को नहीं देखते। यहाँ मंदिर का पुजारी भी देवता की ओर पीठ करके ही पूजा करता है। आपने आज तक देखा होगा कि पूजा के समय हमारा मुख भगवान की तरफ होता हैं। लेकिन यहाँ श्रद्धालु भी पीठ मूर्ति की तरफ करके इस मंदिर में स्थापित भगवान् के दर्शन करते हैं। इतना ही नहीं प्राचीन समय से यह मान्यता चली आ रही है कि अगर किसी को अविलंब न्याय चाहिए तो वह इस देवता के दरबार में अपनी अर्जी लगाते हैं। तो उसे तुरंत न्याय मिलता है। स्थानीय लोग कोर्ट कचहरी में जाने की बजाए इसी देवता के यहां पर फरियाद लगाना बेहतर मानते हैं। इस मंदिर में विराजमान देवता में प्रति गांव सहित आस -पास के क्षेत्र के लोगों की अटूट श्रद्धा है। क्षेत्रवासी लोग न्याय के देवता के रूप में इस पूजा करते हैं। यह मंदिर कोई और नहीं बल्कि नैटवाड के पोखू देवता का मंदिर है।
उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से लगभग 160 किमी की दूरी पर हिमाचल प्रदेश की सीमा से लगे मोरी विकासखंड के नैटवाड़ गांव में रुपिन और सुपिन नदियों के संगम तट के पास स्थित पोखू देवता का प्राचीन मंदिर स्थित है। इन्हें इस इलाके का राजा भी माना जाता है। इस क्षेत्र के प्रत्येक गांव में दरांतियों और चाकुओं के रूप में देवता की पूजा की जाती है। किवदंतियां है कि इस देवता का मुंह पाताल में और कमर का ऊपर का हिस्सा धरती पर है। ये उल्टे हैं और नग्नावस्था मे विराजमान हैं।लिहाज़ा इन्हें इस हालत में इन्हें देखना अशिष्टता है। यही कारण है कि स्थानीय लोग इनकी ओर पीठ करके पूजा करते हैं। इतना ही नहीं पूजा से पूर्व पुजारी रुपिन नदी में स्नान करके सुराई ओर घड़े में पानी लाते हैं। इसके बाद मंदिर में ढोल-दमाऊं की थाप से साथ करीब आधे घंटे तक पूजा होती हैं।
वहीँ मान्यता है कि क्षेत्र में यदि किसी भी प्रकार की विपत्ति या संकट आये तो पोखू देवता गांव सहित क्षेत्र के लोगों की मदद करते हैं। जून व अगस्त के माह में क्षेत्र के लोगों की ओर से भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। पोखू देवता को लोग न्याय के रूप में भी पूजा करते हैं। इसी विशेषताओं के साथ पोखू देवता का मंदिर एक तीर्थ के रूप में प्रसिद्ध है जो सैलानियों के लिए आकर्षण का केन्द्र है। मान्यता है कि पोखू देवता को कर्ण का प्रतिनिधि और भगवान शिव का सेवक माना गया। जिनका स्वरूप डरावना और अपने अनुयायिओं के प्रति कठोर स्वभाव का था।इलाके में चोरी व क्रूर अपराध करने से लोग आज भी डरते हैं।