HISTORY & CULTURE

उपासना को भाषा और लोकसंस्कृति के संरक्षण की उपासना का पुरस्कार

  • तीलू रौतेली पुरस्कार से नवाज़ी जाएँगी उपासना
  •  6 जुलाई को देहरादून मे मिलेगा सम्मान

डाॅ. वीरेंद्र बर्त्वाल/संजय चौहान

देहरादून : उत्तराखंड में इस बार का तीलू रौतेली पुरस्कार ऐसी महिला को दिया जा रहा है, जो लोकभाषा और लोकसंस्कृति के संरक्षण और प्रचार-प्रसार के क्षेत्र में अहम भूमिका निभा रही हैं। ये हैं,उपासना सेमवाल पुरोहित। उपासना एक उच्च कोटि की कवयित्री, जागर गायिका हैं। उन्होंने गढ़वाल की संस्कृति के साथ ही अन्य कई समसामयिक मसलों पर काव्यात्मक अभिव्यंजना की है।

खास बात यह कि सणगु पाली (तल्ला नागपुर, गढ़वाल) की रहने वाली उपासना का जन्म कानपुर में हुआ और बचपन भी वहीं बीता। वे अपने दादा जी के साथ बाद में अपने गांव आने लगी और यहां के नैसर्गिक सौंदर्य और सांस्कृतिक समृद्धि ने उन्हें अपनी ओर खींचा और उनका मन यहीं रम गया। वे पहाड़ को अपनी दृष्टि में शब्दों के रूप में उकेरने लगीं। उनकी कई रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं। मंचों पर अभिव्यक्ति देने के साथ ही उन्होंने जागर लेखन-गायन भी किया।

उपासना का पहाड़ में न जन्मने के बाद भी पहाड़ के प्रति बेहद लगाव और छोटी-सी आयु में इतनी बड़ी उपलब्धियां हासिल करना बड़ी बात है। उपासना ने गढ़वाल की उस नागपुरिया भाषा का परिचय अनेक लोगों से कराया है, जिसे सुनने के लिए मुझ जैसे भाषा प्रेमी व्यक्ति तरस जाते हैं। गढ़वाली भाषा के अंतर्गत नागपुरिया ऐसी भाषा है, जिसकी लयात्मकता बरबस व्यक्ति को खींच लेती है। इसी शब्द संपदा भी आकर्षक है।

उपासना का विवाह उनका विवाह गुप्तकाशी के ह्यूण गांव के विपिन सेमवाल से हुआ है। उपासना सेमवाल को मिल रहा यह पुरस्कार वास्तव में लोकसंस्कृति का सम्मान और लोकसंस्कृति के प्रति उपासना की उपासना का परिणाम होगा। किसी पुरस्कार की प्रतिष्ठा और महत्त्व तभी है, जब वह योग्य व्यक्ति को मिले, परंतु सचाई यह है कि आज 75 प्रतिशत पुरस्कार जुगाड़बाजी के अंतर्गत दिए जाते हैं, चाहे उन्हें सरकार प्रदान करे या कोई संस्था।

लोकसंस्कृति और महिलाओं की वर्तमान स्थिति पर उपासना से लम्बी गुफ्तगू करने पर उपासना कहती हैं की मेरे मम्मी पापा मेरे आदर्श रहें हैं। माँ के साथ जीवन को मुश्किल वक्तों में कैसे जिया जाता है सीखा तो पिताजी से सपनो को पूरा करने का जज्बा। शादी के बाद पति ने हर कदम पर सहयोग किया और आगे बढने की प्रेरणा दी। आज मैं जो कुछ भी अपने पति विपिन सेमवाल जी की बदौलत ही हूँ। उन्होंने मेरे सपनों को पूरा करने की हर मुमकिन कोशिश की है।अभी तो बस एक छोटी शुरुआत की है, मंजिल तो कोसों दूर है।

कहती हैं की बेटी होना समाज में गर्व की बात है। मगर बेटी के अंदर एक आदिशक्ति भी है। इसकी पहचान कराना बेटी के लिए आवश्यक है। बेटियों को जागरूक कराने के लिए माँ-पिता को आगे आना चाहिए। स्कूलों में बच्चों को सिर्फ किताबों का ही ज्ञान दिया जाता है में चाहती हूँ की स्कूलों में बालिका शिक्षा के लिए अलग से पढाई हो और बच्चों को बेटे बेटी में समानता की शिक्षा मिले ताकि आगे चलकर महिला अपराधों पर कमी लायी जा सके।

गृहस्थ, नौकरी और सृजन में तारतम्यता बैठाना बेहद मुश्किल होता है। लेकिन पति के सहयोग ने मुझे हमेशा नया होंसला प्रदान किया है। में चाहती हूँ की कविताओं के माध्यम से समाज को जागरूक किया जाय और समाज में ब्याप्त बुराइयों को मिटा सकूँ। कविताओं के लिए शब्द खोजने की जरुरत महसूस नहीं होती है बस एक बार लिखने बैठ जाओ तो शब्द अपने आप आज जाते हैं। मैं कलश के ओमप्रकाश सेमवाल जी का आजीवन ऋणी रहूंगी जिन्होंने मुझे एक पलेटफॉर्म दिया और जीवन की दिशा और दशा बदल कर रख दी।
लोग आज पहाड़ और अपनी दुधबोली भाषा को छोड़ कर गांवो से शहर की और जा रहें है। लेकिन हम शहर को छोड़ अपनी माटी में लौट आये हैं। गढ़वाल के सांस्कृतिक विरासत के पुरोधा नरेंद्र सिंह नेगी जी गढ़वाल के कण कण में सुशोभित हैं और जागर गायिका बसंती बिस्ट वीणा के हर तार में बसी है जैसे गढ़ की माटी की सोंधी सी खुशबू, दोनों महान ब्यक्तिवों का जीवन मेरे लिए प्रेरणादाई है और मेरे हृदय में दोनों की लिए अपार श्रद्दा है।

कहती है कि बड़ा दुःख होता है कि आज हम अपनी लोकसंस्कृति, लोकभाषाओं से दूर होते जा रहे हैं।मैं युवा पीढ़ी खासतौर पर युवा महिलाओ से अनुरोध करना चाहती हूँ कि वो अपनी लोकसंस्कृति, लोकभाषा के संवर्धन और संरक्षण व महिलाओं को बराबरी का हक देने के लिए अपने अपने स्तर से आगे आये। पहाड़ की बेटियों का हौसला और जज्बा पहाड़ जैसा होता है। इसलिए अपनी ताकत पहचानिये और अपने सपनों को पूरा करने की हर मुमकिन कोशिश कीजिएगा।

वास्तव में उपासना सेमवाल पुरोहित जैसी युवा महिलाओं का आगे आना भविष्य के लिए सुखद उम्मीद का भरोसा जगाता है। आशा करते है कि वे बहुत आगे तक जायेगी।
हमारी ओर से उपासना सेमवाल को तीलू रौतेली पुरूस्कार’ हेतु चयनित होने पर ढेरों बधाईया। बाबा केदार हर साल उन्हें ऐसे ही अनगिनत पुरूस्कार देते रहें।

devbhoomimedia

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