1 से 12 तक की सभी कक्षाएं और विषय इस कैलेंडर में शामिल होंगेः रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
इंटरनेट न होने की स्थिति में शिक्षक, विद्यार्थियों का कर सकते हैं मार्गदर्शन मोबाइल पर एसएमएस भेजकर या फोन कॉल से
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
नई दिल्ली। कोविड-19 से पैदा हुईं परिस्थितियों को देखते हुए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने छात्र-छात्राओं की शैक्षणिक गतिविधियों को सुचारू रखने के लिए आज नई दिल्ली में वैकल्पिक अकादमिक कैलेंडर जारी किया। लॉकडाउन की स्थिति में बच्चे घर में, अभिभावकों और शिक्षकों की मदद से, रुचिकर ढंग से शिक्षा प्राप्त कर सकें, इसी उद्देश्य के साथ मानव संसाधन विकास मंत्रालय के दिशा-निर्देश पर एनसीईआरटी ने यह वैकल्पिक कैलेंडर बनाया है।
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वर्तमान में शिक्षा को आनंददायक और रुचिपूर्ण बनाने वाली बहुत सी प्रौद्योगिकी, तकनीकें और सोशल मीडिया उपकरण मौजूद हैं, जिनका उपयोग बच्चे घर पर रहकर कर सकते हैं। इसके बावजूद हमें इसकी एक रूपरेखा बच्चों के लिए बनाने की आवश्यकता थी, ताकि वे व्यवस्थित ढंग से घर में रह कर सीख सकें|
उन्होंने बताया कि यह कैलेंडर शिक्षकों को दिशा निर्देश देता है कि वे किस प्रकार विभिन्न तरह के प्रोद्योगिकी और सोशल मीडिया उपकरणों का उपयोग कर, घर पर ही बच्चों को उनके अभिभावकों की मदद से शिक्षा दे सकें| यह हो सकता है कि हम में से कई लोगों के मोबाइल फोन में इंटरनेट की सुविधा न हो और हम सोशल मीडिया उपकरणों को उपयोग नहीं कर पाएं। इसलिए यह कैलेंडर इस बात के दिशा निर्देश देता है कि शिक्षक, विद्यार्थियों का मार्गदर्शन मोबाइल पर एसएमएस भेजकर या फोन कॉल करके कर सकते है| इंटरनेट होने की स्थिति में सोशल मीडिया जैसे – व्हाट्स एप, फेसबुक, ट्विटर, टेलीग्राम, गूगल मेल और गूगल हैंगआउट का उपयोग कर एक समय में एक से ज्यादा विद्यार्थियों और अभिभावकों से जुड़ा जा सकता है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 1 से 12 तक की सभी कक्षाएं और विषय इस कैलेंडर में शामिल होंगे। यह कैलेंडर सभी बच्चों के सीखने की ज़रूरत का ध्यान रखेगा जिसमे दिव्याङ्ग बच्चे भी शामिल हैं| औडियो बुक्स, रेडियो कार्यक्रमों आदि से उनकी आवश्यकताओं को संबोधित किया जाएगा।
डॉ. निशंक ने कहा कि इस कैलेंडर को सप्ताहवार दिया गया है और इसमे पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तक के अध्याय या विषय से संबंधित रुचिकर और चुनौतीपूर्ण गतिविधियाँ सम्मिलित हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इन गतिविधियों की मैपिंग सीखने के प्रतिफलों के साथ की गई है। सीखने के प्रतिफलों की सहायता से न केवल अभिभावक और शिक्षक बच्चों के सीखने की प्रगति देख सकेंगे बल्कि वे पाठ्यपुस्तकों के परे जाकर बच्चों को सीखने के लिए अभिप्रेरित कर सकेंगे।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इसमें अनुभव आधारित अधिगम के लिए कला शिक्षा तथा शारीरिक शिक्षा जिसमे योग भी शामिल है, से संबंधित गतिविधिया भी दी गईं हैं| तनाव और चिंता को दूर करने के तरीके भी सुझाए गए हैं | इस कैलेंडर में चार भाषा विषयों को शामिल किया गया गया है- संस्कृत, उर्दू, हिन्दी एवं अंग्रेजी। इसमे ई-पाठशाला, एनआरओईआर और दीक्षा पोर्टल पर अध्यायवार दी गई ई-सामग्री के लिंक्स को भी शामिल किया गया है।
उन्होंने कहा कि ये गतिविधियाँ सुझावात्मक है न कि आदेशात्मक और इसमें क्रम की भी कोई बाध्यता नहीं है। शिक्षक और अभिभावक क्रम का ध्यान दिए बिना विद्यार्थी की रुचि वाली गतिविधियों का चयन कर सकते हैं।
इसे एससीईआरटी, राज्य स्कूल शिक्षा विभाग, स्कूल शिक्षा बोर्ड्स, केन्द्रीय विद्यालय संगठन, नवोदय विद्यालय समिति, इत्यादि संस्थाओं के साथ विडियो कॉन्फ्रेंसिंग और डीटीएच चेनलों द्वारा प्रसारित और प्रचारित किया जाएगा|
यह विद्यार्थियों, शिक्षकों, अभिभावकों और स्कूल के प्राचार्यों को सशक्त करेगा, ऑनलाइन संसाधनो का उपयोग कर सकारात्मक तरीकों से कोविड-19 की चुनौतियों का सामना करने में तथा घर-घर में स्कूली शिक्षा द्वारा बच्चों के अधिगम के प्रतिफलों को बढ़ाने में सहयोग करेगा।
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