टिकट बंटवारे से नाखुश नेताओं ने बनाया अपना गुट
कांग्रेस प्रत्याशी लक्ष्मी राणा का जबर्दस्त विरोध
कहा, कांग्रेस-भाजपा के चरित्र को समझ रही जनता
भाजपा व कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने पार्टी से बगावत का लिया निर्णय
दोनों विधानसओं में उतारेंगे अपना प्रत्याशी
इस बार हो सकता है बड़ा फेरबदल, निर्दलियों की पड़ सकती है पौबारह
रुद्रप्रयाग । उत्तराखण्ड के भीतर दोनों राजनीतिक पार्टियों के प्रत्याशियों की घोषणा के बाद चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। अब तक जनता कांग्रेस पार्टी द्वारा प्रत्याशियों के चयन का इंतजार कर रही थी, मगर यह इंतजार भी खत्म हुआ। जिन लोगों को कांग्रेस की ओर से टिकट मिला है, उन्हें कांग्रेस कार्यकर्ता अपना प्रत्याशी मानने को तैयार नहीं है। ऐसे में बड़ी बगावत शुरू हो गई है।
टिकट बंटवारे के बाद रुद्रप्रयाग और केदारनाथ विधानसभा में बगावत के स्वर फूट चुके हैं। दोनों विधानसभाओं से ऐसे लोगों को टिकट दिया गया है, जिन्हें कार्यकर्ता अपना प्रत्याशी मानने को तैयार नहीं है। एक ओर रुद्रप्रयाग विधानसभा से कांग्रेस ने निष्काषित प्रत्याशी सुश्री लक्ष्मी राणा को टिकट सौंपा गया है तो वहीं केदारनाथ विधानसभा से पत्रकार मनोज रावत को टिकट मिलने से कार्यकर्ताओं का पारा सातवें आसमान पर चढ़ा है। कार्यकर्ता दोंनो ही लोगों को टिकट मिलने से नाखुश हैं। पहले ही भाजपा में टिकट बंटवारे के बाद कार्यकर्ताओं में आक्रोश बना था, लेकिन अब कांग्रेस ने भी वही गलती दोहरा दी। रुद्रप्रयाग विधानसभा में भाजपा से भरत सिंह चैधरी को टिकट मिला है तो केदारनाथ विधानसभा से श्रीमती शैलारानी रावत को टिकट दिया गया, लेकिन यहां केदारनाथ विधानसभा से ज्यादा विरोध सामने आ रहा है। कांग्रेस से बागी बनकर भाजपा में शामिल हुई श्रीमती शैलारानी रावत को टिकट मिलने से कार्यकर्ता आशा नौटियाल के समर्थन में खड़े हो गये हैं। श्रीमती नौटियाल निर्दलीय तौर पर 27 जनवरी को नामांकन करने जा रही है। ऐसे में भाजपा में बगावत के स्वर पहले ही फूटे थे कि कांग्रेस ने भी गलती दोहराकर कार्यकर्ताओं को आक्रोशित कर दिया है।
रुद्रप्रयाग सीट से जिला पंचायत अध्यक्ष लक्ष्मी राणा को टिकट मिलने से तो कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बगावत के सुर अपना लिये हैं और कांग्रेस जिलाध्यक्ष प्रदीप थपलियाल का दामन थाम लिया है। श्री थपलियाल कांग्रेस से प्रबल दावेदार थे, जिनका टिकट काटा गया। ऐसे ही केदारनाथ विधानसभा से सुमंत तिवाड़ी का नाम सबसे आगे था और तय भी माना जा रहा था कि श्री तिवाड़ी को टिकट मिलेगा। युवाओं के बीच पकड़ और पंडा समाज से ताल्लुख रखने वाले श्री तिवाड़ी का अपना वोटबैंक है। उन्हें भी पार्टी ने टिकट नहीं दिया। जिस कारण दोनों ही कांग्रेसी कार्यकर्ता बगावत के तेवर अपनाए हुए हैं। कांग्रेस और भाजपा से बगावत कर रहे नेताओं ने अब अपना एक अलग संगठन बनाने की ठान ली है और दोनों ही विधानसभाओं पर भाजपा व कांग्रेस के खिलाफ अपना प्रत्याशी उतारने का मन बना चुके हैं। कांग्रेस जिलाध्यक्ष प्रदीप थपलियाल ने कहा कि भाजपा व कांग्रेस दोनों ही पार्टियां अपने सिद्धांतों से भटक गई हैं। जनता इनके चरित्र को समझ चुकी है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय और मुख्यमंत्री हरीश रावत बिक चुके हैं। उन्होंने कहा कि टिकट बंटवारे से नाखुश भाजपा व कांग्रेस के वरिद्दठ पदाधिकारियों, युवाओं व जनता से राय ली जायेगी और फिर प्रत्याशियों को उतारा जायेगा। ऐसे में अब देखने वाली बात यह होगी कि दोनों पार्टिंयों से उठे बगावती स्वर का कौन फायदा उठाता है।