- दो मासूमों को भुगतना पड़ रहा है प्रशासनिक लापरवाही का खामियाज़ा
- मासूमों की किस्मत इतनी खराब है कि पैदा होते मां छोड़ कर चली गई
- माँ के जाने के कुछ देर बाद दोनों मासूमों ने भी तोड़ दिया था दम
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : महंत इंद्रेश अस्पताल में दो मासूम नवजात बच्चों का शव मोर्चरी में रखा है…एक महीने से भी ज्यादा का वक्त हो चला है लेकिन अब तक इन मासूमों का अंतिम संस्कार नहीं हो पाया…प्रशासन की गैर जिम्मेदारी का खामियाज़ा इन दो मासूमों को भुगतना पड़ रहा है…इन मासूमों की किस्मत इतनी खराब है कि पैदा होते मां छोड़ कर चली गई और मरने के बाद उनके मृत शरीर की भी कोई सुध लेने वाला भी नहीं …
दो मासूम नवजात बच्चे मौत के बाद भी अपने अंतिम संस्कार को तरस रहे हैं जिनका मृत शरीर पिछले एक महीने से प्रशासन की लापरवाही और उदासीनता की वजह से मोर्चरी (शव गृह) में रखा है …दरअसल वाकया 22 अक्टूबर का है जब नीतू नाम की एक महिला ने देहरादून के महंत इंद्रेश अस्पताल में दो नवजात बच्चों को जन्म दिया और जन्म देने के बाद ही उन मासूमों को यहां छोड़ कर न जाने कहां चली गई …उसके जाने के कुछ देर बाद मासूमों ने भी दम तोड़ दिया और तभी से ही उनका मृत शरीर महंत इंद्रेश अस्पताल के शव ग्रह में पड़ा हुआ है…
मानवीय संवेदना की हद तो तब हो गई जब अस्पताल प्रबंधन की ओर से उचित कार्रवाई करने के लिए एक के बाद एक नहीं तीन-तीन चिट्ठियां देहरादून के जिलाधिकारी को लिखी गई लेकिन आज तक उन चिट्ठियों का कोई जवाब नहीं आया… वहीं अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि नवजात बच्चों के अंतिम संस्कार पर वह खुद कोई फैसला नहीं ले सकते लिहाजा जिलाधिकारी से ही चिट्ठी के जरिए निवेदन किया जा रहा है कि वही बताएं कि नवजात बच्चों के मृत शरीर का अंतिम संस्कार कैसे हो……
जिला प्रशासन की उदासीनता और संवेदनहीनता तो देखिए की अस्पताल प्रबंधन की ओर से तीन-तीन बार चिठियां लिखने के बावजूद भी अभी तक जिलाधिकारी की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है… आलम ये है कि महंत इंद्रेश अस्पताल की मोर्चरी में रखें इन नवजात शिशुओं का शरीर भी अब धीरे-धीरे गलता जा रहा है… संवाददाता आज उस मोर्चरी में पहुंचा जहां पर इन मासूमों का शरीर रखा हुआ है और उसकी तस्वीरें भी ली…तस्वीरें मन को झकझोर देने वाली थी क्योंकि जिन मासूमों ने अभी ठीक से दुनिया भी नहीं देखी थी वह मरने के बाद भी इंसाफ के लिए तरस रहे हैं…इसे प्रशासन की गैर जिम्मेदारी ना कहे तो क्या कहें कि एक महीने से भी ज्यादा वक्त हो चुका है ,लेकिन अब तक डीएम साहब को इन मासूमों के अंतिम संस्कार करने के लिए सुध तक लेने का वक्त ही नहीं मिला…
वहीं इस पूरे विषय पर जब हमने देहरादून के जिलाधिकारी एसए मुरुगेशन से सवाल किया तो डीएम साहब ने कहा कि उन्हें इसकी सूचना मिल रही है और अस्पताल की ओर से ऐसा कोई खत उन्हें अभी तक नहीं मिला…डीएम साहब ये भी कहते हैं कि अस्पताल प्रबंधन को ये खत मुझे लिखने के बजाय शहर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को लिखना चाहिए था…अब ख़त ना मिलने की बात में कितनी सच्चाई है यह हम नहीं जानते लेकिन अस्पताल प्रबंधन खुद कह रहा है कि पिछले एक महीने में उसने तीन-तीन बार खत लिखकर जिला अधिकारी को सूचित किया…
जिलाधिकारी से संपर्क करने के बाद प्रशासन ने इसकी सूचना देहरादून के सीएमओ डॉ एस. के. गुप्ता को दी…जिसके बाद सीएमओ साहब ने कहा कि इस पूरे मामले का संज्ञान लिया जाएगा और उचित कार्रवाई भी की जाएगी।
अब देखना यह का कि इन मासूमों कि कब तक सुध ली जाती है और कब तक इनका अंतिम क्रियाकर्म होता है। क्या अब प्रशासन नींद से जागेगा और उचित कार्रवाई करेगा..यह एक बहुत बड़ा सवाल है क्योंकि पिछले एक महीने से जिस तरह की लापरवाही और गैर जिम्मेदाराना रवैया जिला प्रशासन ने दिखाया है वह मानवीय संवेदना तो तार-तार हुई ही वहीं यह मामला मानवीय दृष्टिकोण के हिसाब से कतई भी स्वीकार करने लायक नहीं है…..