पर्यटन सीजन सिर पर लेकिन पार्किंग के नहीं इंतजाम
नैनीताल। नगर में पर्यटन सीजन शुरू होने को है, लेकिन यहां अपेक्षित सुविधाओं का टोटा बना हुआ है। हालत यह हैं कि पार्किंग जैसी मूलभूत सुविधा को लेकर ठोस इंतजाम नहीं हैं। इसके चलते पीक सीजन में काफी परेशानी हो सकती है।
नगर में पार्किंग को लेकर वर्तमान में अधिकृत रूप से तीन स्थानों में व्यवस्था है। मल्लीताल फ्लैट्स के तिब्बती बाजार से लगे सीमित क्षेत्र में अधिकांश 350 वाहन खड़े करने की व्यवस्था है। वहीं, दूसरी पार्किंग सूखाताल में कुमाऊं मंडल विकास निगम की है। निगम मुख्यालय में आग लगने के बाद इस पार्किंग के एक हिस्से में अब निगम का दफ्तर चल रहा है। इससे यहां 250 से अधिक वाहन खड़े नहीं किए जा सकते हैं। तीसरी पार्किंग मल्लीताल में बीडी पांडे अस्पताल के पास एक दर्जन तक वाहनों को खड़े करने की व्यवस्था है।
इधर सीजन में भारी दबाव के चलते प्रशासन स्थानीय स्तर पर शत्रु संपत्ति के अंर्तगत आने वाले होटल मेट्रोपोल होटल परिसर में पार्किंग की व्यवस्था जरूर करता है, लेकिन यहां भी 300 वाहन ही खड़े किए जा सकते हैं। इधर पर्यटन विभाग और प्रशासन ने इस परेशानी से निपटने के लिए कोई कवायद नहीं की है।
मालूम हो कि सीजन में प्रत्येक दिन दो से तीन हजार तक वाहन यहां पहुंचते हैं। ऐसे में कुछ सैकड़ा वाहनों की पार्किंग की व्यवस्था से यहां होने वाली परेशानी को स्वयं समझा जा सकता है। इधर पर्यटन अधिकारी बीसी त्रिवेदी के अनुसार यहां आने वाले सैलानियों की संख्या हर साल बढ़ रही है। 2015 की तुलना में पिछले साल 57 हजार 590 सैलानी अधिक पहुंचे थे।
उत्तराखंड होटल एसोसिएशन के पदाधिकारी प्रवीण शर्मा का कहना है कि पार्किंग नहीं होने से खासी परेशानी है। हालत यह है कि लग्जरी बसों में आने वाले 50 प्रतिशत सैलानी यहां का रुख नहीं करते हैं। वहीं, अल्का होटल के संचालक वेद साह का कहना है कि अपने वाहनों से आने वाले सैलानियों की सुविधा का ख्याल रखने की जरूरत है। बाईपास और सूखाताल में गाड़ी खड़ी करके पर्यटक को होटल तक पहुंचने में परेशानी होती है। इसे दखते हुए सीजन में फ्लैट्स की पार्किंग अपने वाहन लाने वाले सैलानियों के लिए रखी जानी चाहिए।
नगर के कालाढूंगी मार्ग स्थित नारायण नगर के पास पार्किंग के प्रस्ताव को प्राथमिक मंजूरी दी गई है। एडीबी के बजट से बन रहे इस प्रस्ताव पर आगे का कार्य हो रहा है। उप निदेशक पर्यटन जेसी बेरी के अनुसार वन विभाग की अनापत्ति मिलने के बाद डीपीआर को अंतिम रूप दिया जाएगा। इसके बाद ही स्थिति साफ होगी कि यहां कितने क्षमता वाली पार्किंग बन सकेगी।