Uttarakhand

आपदा के साढ़े तीन साल बाद भी नहीं भरे जख्म

गौरीकुंड में न मिला रोजगार, न बने कुंड

इस बार चुनाव में जनता सिखाएगी सबक

रुद्रप्रयाग । आपदा के साढ़े तीन साल बाद भी गौरीकुंड के हालात जस के तस हैं। गर्मकुंड, तप्तकुंड के निर्माण से लेकर होटल व ढाबा संचालकों को रोजगार नहीं मिल पाया है। आज भी आपदा के जख्म यहां देखे जा सकते हैं। केदारनाथ यात्रा के अहम पड़ाव गौरीकंुड की सुध लेने को कोई तैयार ही नहीं है।
केदारनाथ से आई आपदा को साढ़े तीन साल का समय बीत चुका है। यह कोई छोटा समय नहीं है, बल्कि काफी लम्बा वक्त है जिसमें कईं कार्यों को किया जा सकता है। लेकिन केदार यात्रा के इस महत्वपूर्ण पड़ाव को सरकार भुला चुकी है। आज भी आपदा के जख्म यहां देखने को मिल जायेंगे। प्रलयकारी आपदा में तबाह हुए होटल, ढाबा, लाॅज तहस-नहस स्थिति में है। जिनका ना ही ट्रीटमेंट  हो पाया है और ना ही इनकी सुरक्षा के कोई इंतजाम किये गये हैं।

गौरीकुंड के व्यापारी रोजगार की मांग कर रहे हैं, मगर इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाये गये हैं। एक ओर केदारनाथ में सरकार ने तीर्थ पुरोहितों के भवनों का निर्माण कार्य शुरू  करवा दिया है, वहीं गौरीकुंड की उपेक्षा से ग्रामीणों में आक्रोश  बना हुआ है। केदारघाटी सृजनशील  जनमंच के अध्यक्ष कुलदीप सिंह रावत, प्रधान त्रियुगीनारायण विजय लाल, राम लाल, मदन लाल, ड्डाांति चमोला, मनोज बैंजवाल, यîाोधर अंथवाल, सते सिंह, जगदीश  पुजारी, महावीर असवाल, यशोधर गोस्वामी, राजेन्द्र सिंह राणा, संजय गोस्वामी, अनूप गोस्वामी, दामोधर प्रसाद गोस्वामी, श्रीकृष्ण सेमवाल, प्रमोद सिंह, मनोरी लाल, रोशन लाल,शिवानंद नौटियाल,सोमेश्वरी  भट्ट, वीरपाल कंडारी, अवधेद्द रावत ने कहा कि केदार यात्र के महत्वपूर्ण पड़ाव गौरीकुंड की कोई सुध नहीं ली गई है।

आपदा पीड़ित आज भी उसी हालात में जीवन यापन करने को मजबूर हैं। आपदा के बाद सरकार ने तप्तकुंड और गर्मकुंड का निर्माण तक नहीं करवाया। पुनर्निर्माण के नाम पर गौरीकुंड  में एक भी ईंट नहीं रखी गई है। ऐसे में प्रभावितों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। केदारघाटी सृजनशील जन मंच के अध्यक्ष कुलदीप रावत ने कहा कि केदारघाटी का रोजगार तीर्थाटन से जुड़ा हुआ है।

त्रियुगीनारायण मंदिर शिव -पार्वती का विवाह स्थल है और इस पवित्र स्थल का भी कोई खास प्रचार-प्रसार नहीं किया जा रहा है। इसके अलावा केदारनाथ यात्रा डोली के दौरान भगवान भोलेएक रात्रि प्रवास गौरीकुंड  मंदिर में करते हैं और मां गौरी भगवान भोले की पत्नी हैं। ऐसे पवित्र स्थलों पर ध्यान ना दिया जाना, सरकार और शासन-प्रशासन की उदासीनता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि जिन लोगों पर जनता विश्वास  करके चुनती है, वहीं लोग विकास कार्यों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। मगर अब ऐसा नहीं होगा, सोच-समझकर जनता इस बार अपने प्रत्याशी  का चुनाव करेगी। जो केदारघाटी का विकास कर सके।

devbhoomimedia

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