VIEWS & REVIEWS

…तो मोदी-शाह को भाने लगी पुराने चावलों की खुशबू

राजनीतिक विश्लेषण

बुजुर्ग बंशीधर भगत को मिली उत्तराखण्ड भाजपा संगठन की कमान

2014 में युवा तो 2019 से अनुभव को मिल रही तरजीह

निशंक, कोश्यारी के बाद अब बुजुर्ग बंशीधर पर जताया भरोसा

अविकल थपलियाल

जबर्दस्त ठंड की गिरफ्त में आये पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में पुराने चावलों की खुशबू फिर से महकने लगी है। सत्तर साल के बंशीधर भगत प्रदेश भाजपा के मुखिया चुन लिए गए।  कुमाऊं की कालाढूंगी सीट से भाजपा विधायक बंशीधर भगत 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के मुख्य रणनीतिकार होंगे।

भगत के अध्यक्ष बनने से 2014 की भाजपा और 2019 की भाजपा में साफ अंतर नजर आ रहा है । जहां 2014 में मोदी और अमित शाह ने उत्तराखंड भाजपा के पुराने चावलों को दरकिनार कर नए चेहरों पर दांव खेला, वहीं अब 2019 की भाजपा ने फिर से पुराने चावलों पर भरोसा करना शुरू कर दिया है। 2014 में जब केंद्र में मोदी सरकार आई तो उत्तराखंड से नए नवेले सांसद अजय टम्टा को केंद्र में मंत्री बनाया गया। यह फैसला सभी को इसलिए भी चौंका गया क्यों कि 2014 में उत्तराखंड से तीन पूर्व मुख्यमंत्री संसद में पहुंचे थे।

उम्मीद जताई जा रही थी कि प्रधानमंत्री मोदी उत्तराखंड से सांसद भुवन चंद्र खंडूरी भगत सिंह कोश्यारी व रमेश पोखरियाल निशंक में से किसी एक को अपनी टीम में शामिल करेंगे। लेकिन सभी संभावनाओं को दरकिनार करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने पिथौरागढ़-अल्मोड़ा सीट से निर्वाचित सांसद अजय टम्टा को केंद्र में राज्य मंत्री बनाकर सभी को जोर का झटका दे दिया। अजय टम्टा के लिए यह किसी जैकपॉट से कम नहीं था। प्रदेश भाजपा के ये तीनों पूर्व मुख्यमंत्री कम अनुभवी युवा टम्टा के मंत्री बनने से बदलती राजनीति की आहट साफ सुन रहे थे।

2017 के विधानसभा चुनाव में भी मोदी-अमित शाह की जोड़ी ने पुराने नेताओं के बजाय त्रिवेंद्र सिंह रावत को कमान सौंपना उचित समझा। खंडूड़ी खराब सेहत की वजह से पहले ही दौड़ से बाहर माने जा रहे थे। लेकिन भगत सिंह कोश्यारी और निशंक समर्थक किसी बड़ी खुशखबरी की आस में थे। मोदी के फैसलों से लगा कि उत्तराखंड भाजपा के पुराने किले अब ज्यादा नहीं टिक पाएंगे। भगत-खंडूड़ी-निशंक की आपसी खींचतान से पार्टी को हो रहे नुकसान से भी मोदी-शाह की जोड़ी पूरी तरह वाकिफ थी। लिहाजा, सरकार की कमान त्रिवेंद्र और संगठन की कमान अजय भट्ट को सौंप प्रदेश में दो नए शक्ति केंद्र बनाने की कोशिश की गई। ये दोनों भी युवा नेतृत्व की श्रेणी में शुमार किये गए।

इन निर्णयों से एकबारगी यह साफ लगने लगा कि पूर्व मुख्यमंत्रियों के दिन लद गए। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में जीत के बाद मोदी-शाह को फिर से पुराने चावलों की खुशबू नजर आने लगी। और तमाम कयासों को धता बताते हुए पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को कैबिनेट मंत्री ही नही बनाया बल्कि मानव संसाधन मंत्री को महत्वपूर्ण ओहदा भी दे दिया। अब ये विवाद का विषय हो सकता है कि देश भर के छात्रों के सड़क पर उतरने से केंद्रीय मंत्री निशंक की कार्यकुशलता पर उंगलियां उठने लगी है। निशंक के अलावा 2019 के लोकसभा चुनाव से कन्नी काट चुके पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी को भी महाराष्ट्र का राज्यपाल बना कर मोदी ने बदलती रणनीति का एक और उदाहरण पेश किया। ये अलग बात है कि बतौर राज्यपाल महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर हुए विवाद से कोश्यारी की छवि पर भी असर पड़ा है।

इधर, 2020 की शुरुआत में भी मोदी ने पुराने चावलों पर ही भरोसा जताया। उत्तर प्रदेश के जमाने से मंत्री रहे और 6 बार के विधायक बंशीधर भगत को संगठन की कमान सौंपी गई। हालांकि, भाजपा के सूत्र यह गुपचुप दावा करते नहीं थक रहे थे कि संगठन की चाबी किसी युवा नेता को ही सौंपी जाएगी। लेकिन हुआ बिल्कुल उलट। मोदी और शाह ने सत्तर साल के भगत पर 2022 के विधानसभा चुनाव में फिर से कमल खिलाने की जिम्मेदारी सौंप दी है। 2014 के युवा एजेंडे से इतर 2019 की केंद्रीय भाजपा उत्तराखंड में कम से कम पुराने व अनुभवी नेताओं की ओर लौटती दिखाई दे रही है।
( लेखक वरिष्ठ पत्रकार व पूर्व सदस्य, राज्य वित्त आयोग )

Dev Bhoomi Media

तीन दशक तक विभिन्न संस्थानों में पत्रकारिता के बाद मई, 2012 में ''देवभूमि मीडिया'' के अस्तित्व में आने की मुख्य वजह पत्रकारिता को बचाए रखना है .जो पाठक पत्रकारिता बचाए रखना चाहते हैं, सच तक पहुंचना चाहते हैं, चाहते हैं कि खबर को साफगोई से पेश किया जाए न कि किसी के फायदे को देखकर तो वे इसके लिए सामने आएं और ऐसे संस्थानों को चलाने में मदद करें। एक संस्थान के रूप में ‘ देवभूमि मीडिया’ जनहित और लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुसार चलने के लिए प्रतिबद्ध है। खबरों के विश्लेषण और उन पर टिप्पणी देने के अलावा हमारा उद्देश्य रिपोर्टिंग के पारंपरिक स्वरूप को बचाए रखने का भी है। जैसे-जैसे हमारे संसाधन बढ़ेंगे, हम ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचने की कोशिश करेंगे। हमारी पाठकों से बस इतनी गुजारिश है कि हमें पढ़ें, शेयर करें, इसके अलावा इसे और बेहतर करने के सुझाव अवश्य दें। आप अपना सुझाव हमें हमारे ई-मेल devbhumi.media@gmail.com अथवा हमारे WhatsApp नंबर +919719175755 पर भेज सकते हैं। हम आपके आभारी रहेंगे

Related Articles

Back to top button
Translate »