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भारत-चीन तनातनी के बीच दोनों देशों का साझा बयान

क्‍या भारत -चीन के रिश्‍तों में जमी बर्फ पिघलने के संकेत है यह साझा बयान ?

चीन की मांग पर भारतीय सैनिक नहीं हटेंगे पीछे

भारत ने कहा अपने सैनिक वापस बुलाए चीन 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो
नई दिल्ली : भारत-चीन तनाव के बीच दोनों देशों के सैन्य कमांडरों की सातवें दौर की वार्ता समाप्त हो चुकी है। इस बातचीत का भी कोई हल नहीं निकला है। हालांकि दोनों ही पक्षों ने बातचीत के जरिए समस्या को सुलझाने की बात कही है।हालांकि अभी भी सेनाओं के डिसइंगेजमेंट (Disengagement of Troops) पर कोई सहमति बन नहीं पाई है।
भारत-चीन के सैन्य कमांडरों के बीच बातचीत के बाद संयुक्त बयान (India, China joint Statement) जारी किया गया। जिसमें दोनों पक्षों की ओर से सैन्य और राजनयिक स्तर पर बातचीत जारी रखने पर सहमति बनी है। हालांकि सेनाओं को पीछे हटाने पर कोई सहमति नहीं बन पाई।
सूत्रों ने बताया कि वार्ता में भारत ने जोर देकर कहा कि चीन को विवाद के सभी बिन्दुओं से अपने सैनिकों को जल्द और पूरी तरह वापस बुलाना चाहिए तथा पूर्वी लद्दाख में सभी क्षेत्रों में अप्रैल से पूर्व की यथास्थिति बहाल होनी चाहिए। ये गतिरोध पांच मई को शुरू हुआ था।
सीएसजी चीन के बारे में भारत की महत्वपूर्ण नीति निर्धारक इकाई है। सातवें दौर की सैन्य वार्ता शुरू होने से पहले सूत्रों ने कहा था कि भारत पैंगोंग नदी के दक्षिणी किनारे कई रणनीतिक ऊंचाइयों से भारतीय सैनिकों की वापसी की चीन की मांग का मजबूती से विरोध करेगा।
उल्लेखनीय है कि भारतीय सैनिकों ने 29 और 30 अगस्त की रात पैंगोंग नदी (Pangong River) के दक्षिणी किनारे स्थित रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण कई ऊंचाइयों पर कब्जा कर लिया था जिससे वहां भारतीय सेना की स्थिति काफी मजबूत हो गई है। भारतीय सेना ने चीनी सेना के जवाब में सीमा पर टैंक और अन्य भारी अस्त्र-शस्त्र उतार दिए हैं तथा ईंधन, भोजन और सर्दियों में काम आने वाली चीजों की पर्याप्त व्यवस्था की है।

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