EXCLUSIVE

डोलियों में दुल्हन की जगह ले जाये जा रहे हैं बीमार और घायल

  • प्रदेश के तीन मैदानी जिलों तक सिमटी सरकार की सभी योजनाएं
  • कई किलोमीटर पैदल चलकर बीमारों को  पहुँचाया जाता है अस्पताल
  • एम्बुलेंस की जगह बीमारों को दुल्हनों की डोलियां और चारपाई ही मात्र सहारा 

https://youtu.be/fNYQcGtXh_w

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

नैनीताल। आज़ादी के 70  साल बाद आज भी उत्तराखंड के बहुत से ऐसे इलाके हैं जहाँ सड़क के अभाव में ग्रामीण अपने घरों में ही दम तोड़ने को मजबूर हैं। वह भी तब जब पलायन की मार झेल रहे ऐसे गांवों में कुछ ही लोग बचे हुए हैं जो बीमार को कभी कुर्सी का स्ट्रेचर बनाकर तो कभी चारपाई पर लिटाकर कई मील पैदल चलकर सड़क तक पहुँच रहे हैं।  आपको शायद ये सुनकर कुछ अटपटा सा लगता होगा लेकिन आज भी पर्वतीय इलकों का सच यही है जहां किसी तरह ग्रामीण बीमार को लेकर सड़क तक तो पहनक जाते हैं लेकिन उसके बाद भी उन्हें अस्पताल तक पहुँचाने के लिए एम्बुलेंस नहीं मिल पाती है मजबूर होकर उन्हें बीमार को जीप या ट्रक इ बीमार को हिचकोले खाते हुए अस्पताल तक पहुँचाना पड़ता है।  बीमार की किस्मत कि वह गांव से अस्पताल तक सही सलामत पहुँच जाए।

उदाहरण बीते दिन का है जब ओखलकांडा के गांव कूकना में रहने वाली 21 वर्षीय हंसा देउपा पेड़ पर चढ़कर चारा काटते हुए पेड़ से गिरी और उसे गंभीर चोटें आई। जिसके बाद उसके परिजनों ने उसे डोली में बैठाया और उसे अपने कंधों पर लादकर उसे इलाज के लिए ले गए। मिली जानकारी के अनुसार सरोवर नगरी नैनीताल से कुछ किलोमीटर दूरी स्थित ओखलकांडा के गांव कूकना में रहने वाली 21 वर्षीय हंसा देउपा पेड़ पर चढ़कर चारा काट रही थी । अचानक वह पेड़ से गिरी और उसकी कमर में गहरी चोट लग गई। हंसा के पेड़ से गिरने की खबर ने गांव में अफरा तफरी मचा दी और उसके परिजन आनन फानन में उसके पास पंहुचे। जिसके बाद हंसा के परिजनों व ग्रामीणों ने उसे डोली में बैठाया और उसे कंधों पर उठाकर इलाज के लिए ले गए। सवाल उठा कि ग्रामीणों ने हंसा को डोली में बैठाकर क्यों ले गए तो जवाब मिला कि जहां यह हादसा हुआ वहां सड़क नहीं है जिसकी वजह से घायल हंसा को डोली में बैठाया गया और पैदल ही 15 किमी दूर देवली गांव में सड़क तक पहुंचाया गया। दर्द से कर्राहती हुई हंसा और उसकों अपने कंधों पर उठाए ग्रामीणों की परेशानी यहां भी खत्म नहीं हुई।

वहीं 108 स्वास्थ्य सेवा की हड़ताल के कारण हंसा के परिजनों व ग्रामीणों ने उसे निजी वाहन से हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल ले जाया गया। ग्रामीणों ने शासन प्रशासन और विधायक पर आरोप लगाया कि वह पिछले कई वर्षों से सड़क की मांग कर रहे हैं लेकिन उनकी सुध आज तक किसी ने नहीं ली। सड़क की मांग के लिए 2014 में लोकसभा चुनाव का बहिष्कार भी किया गया था, लेकिन उसके बाद भी अभी तक सड़क नहीं बन पाई। सड़क नहीं होने के कारण कई किलोमीटर पैदल चलकर जाना पड़ रहा है। विधायक राम सिंह केडा ने उन्हें सड़क बनवाने का आश्वासन दिया था लेकिन आज तक सड़क नहीं बन सकी। बता दें कि कुछ माह पूर्व ओखलकांडा ब्लॉक में 51 वर्षीय खिला देवी चारा लेने के दौरान करेंट लगने से पेड़ से गिर गई थी जिसे बमुश्किल अस्पताल तक ले जाया गया था। वहीं ओखलकांडा के डालकन्या निवासी चूड़ामणि पनेरू की पुत्री तुलसी भी बृहस्पतिवार को घास काटते समय से पेड़ से गिरकर घायल हो गई थी। इसका भी एसटीएच में इलाज चल रहा है। विधायक कैड़ा ने एसटीएच जाकर दोनों घायलों का हाल जाना। बताया कि कुकना, घेना, कैड़ा गांव का मोटर मार्ग स्वीकृत हो चुका है। इसी साल सड़क निर्माण कार्य शुरू होने की उम्मीद है।

अब सवाल उठता है कि वह राज्य जो विकास के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन उनका यह विकास सिर्फ और सिर्फ अगर कहीं दिखता है तो वह प्रदेश के मैदानी जिले ही नजर आते है। उत्तराखण्ड के ग्रामीण इलाकों में आजा भी मरीजों व दुर्घटना के शिकार हुए लोगों को अपना इलाज कराने के लिए पैदल व डोलियों के सहारे ही मुख्य सड़क मार्ग तक पंहुचना पड़ रहा है। यहां यह कहना गलत नहीं होगा कि सरकार जो राज्य के चंहुमुखी विकास का दम भरती है वह एक छलावे के रूप में ही देखा जा रहा है?

Related Articles

Back to top button
Translate »