- अखाड़ा परिषद किसी संत को अधार्मिक घोषित करने का अधिकारी नहींः त्रिकाल
- हिम्मत है तो उन संतों को फर्जी बतायें जो संतवेश में कर रहे बड़ा कारोबार
हरिद्वार । गायत्री त्रिवेणी प्रयाग पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य त्रिकाल भवन्ता सरस्वती महाराज ने कहा है कि अखाड़ा परिषद किसी संत को अधार्मिक घोषित करने का अधिकारी नहीं है और तेरह अखाड़ों के अतिरिक्ति किसी भी संत या व्यक्ति को फर्जी बताना उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है। अखाड़ा परिषद की स्थापना केवल कुंभ अथवा अर्द्धकुम्भ मेलों की व्यवस्था के लिए होती है लेकिन महंत नरेन्द्र गिरि अखाड़ा परिषद को राजनैतिक दल की तर्ज पर चला रहे हैं जिसका विरोध अखिल भारतीय संत समिति भी कर चुकी है।
गौरतलब हो कि कई धार्मिक गुरुओं के आपराधिक कृत्य सामने आने के बाद अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने फर्जी संतों की लिस्ट जारी की थी । इस लिस्ट में राम रहीम,आसाराम, नारायण साईं, रामपाल, निर्मल बाबा,राधे मां, सचिन दत्ता, असीमानंद सहित 14 बाबाओं के नाम शामिल थे । इलाहाबाद में कार्यकारिणी की बैठक में इस सूची में शामिल होने वाले नामों पर फैसला लिया गया था । इन संतों के प्रयाग कुंभ में प्रवेश पर प्रतिबंध रहेगा। इसके साथ ही अखाड़ा परिषद सनातन धर्मावलंबियों को इन बाबाओं से दूर रहने के लिए जागरूक भी करने का एलान किया है।
उल्लेखनीय है कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद देशभर के 13 अखाड़ों का संगठन है जिसमें बड़ी संख्या में संत शामिल हैं। इसे हिंदू धर्म में ऊंचा स्थान हासिल है हालांकि इसके नियंत्रण को लेकर भी बीच-बीच में विवाद उठते रहे हैं। अखाड़ा की तरफ से कहा गया था कि स्यंभू बाबाओं की बुरे कामों की वजह धर्म और समाज का नुकसान होता है इस वजह से फर्जी संतों की सूची जारी की जा रही है। इस सूची में आसाराम, सुखबिंदर कौर उर्फ राधे मां, सच्चिदानंद गिरि उर्फ सचिन दत्ता, गुरमीत राम रहीम, ओमबाबा उर्फ विवेकानंद झा, निर्मल बाबा उर्फ निर्मलजीत सिंह, इच्छाधारी भीमानंद उर्फ शिवमूर्ति द्विवेदी, स्वामी असीमानंद, ऊँ नमः शिवाय बाबा, नारायण साईं, रामपाल, आचार्य कुशमुनि, बृहस्तपति गिरि और मलखान सिंह के नाम हैं।
अखाड़ा परिषद अध्यक्ष नरेन्द्र गिरि पर साध्वियों के प्रति दुर्भावना रखने का आरोप लगाते हुए उन्हांेने बताया कि वे महिला संतों का एक अलग परी अखाड़ा संचालित कर रही हैं तथा परी अखाड़े ने महंत नरेन्द्र गिरि पर कई आरोप लगाते हुए उनसे जवाब मांगा था इसीलिए उन्होंने दुर्भावनावश फर्जी संतों की सूची में उनका नाम सम्मिलित कर दिया इसका नरेन्द्र गिरि को कोई अधिकार नहीं है। महंत नरेन्द्र गिरि ने अब तक वही सूची जारी की जिसे जनता और प्रशासन ने जेलों में पहुंचाया है जबकि अखाड़ों और आश्रमों में जो अपराधी संत वेश में रह रहे उन्हें सूची में सम्मिलित नहीं किया।
उन्होंने कहा महंत नरेन्द्र गिरि स्वयं एक अन्य संत के साथ मिलकर एक शराब कारोबारी को नियम विरुद्ध महामण्डलेश्वर बनाने के दोषी करार दिए जा चुके हैं और उन्हीं के अखाड़े ने दो अन्य अपात्र व्यक्तियों को भी महामण्डलेश्वर बना रखा है जो संत गरिमा के विपरीत कार्य कर रहे हैं। जो संत वेषधारी धर्म स्थलों से झूठ और फरेब का व्यापार कर अधिकारी और नेताओं का जमावड़ा संचालित करते हैं परिषद अध्यक्ष उन्हें सरकार की उपाधि से अलंकृत करते हैं। उसी संत पर एक महिला द्वारा उसकी अस्मिता से खिलवाड़ करने के आरोप रहे हों और 100 में 1008 झूठ बोलते हों उनको श्री श्री 1008 की उपाधि से संबोधित किया जाता है जो धर्म और संन्यास परम्परा का सबसे बड़ा उपहास है।
त्रिकाल भवन्ता सरस्वती जी महाराज ने महंत नरेन्द्र गिरि को चाटुकारिता करने वाले संतों का सरगना बताते हुए कहा कि वे संन्यास परम्परा के अनुरुप स्वतंत्र रुप से महिला अखाड़े का संचालन कर रही हैं जो देश की आधी आबादी का अधिकार है और साध्वियों के इस अधिकार को महंत नरेन्द्र गिरि नहीं छीन सकते हैं। उन्होंने महंत नरेन्द्र गिरि का ध्यान साधु संन्यासी परम्परा तथा आदि जगद्गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित परम्पराओं की ओर आकर्षित करते हुए कहा कि यदि महंत नरेन्द्र गिरि में हिम्मत है तो उन संतों को फर्जी बतायें जो संतवेश में बड़ा कारोबार कर रहे तथा संत वेश में राज सत्ता का संचालन कर रहे हैं।
उन्होंने महंत नरेन्द्र गिरि को संतत्व का सार समझाते हुए साध्वी त्रिकाल भवन्ता ने कहा कि हमारे ऋषि मुनियों ने राज सत्ता का मार्गदर्शन किया है लेकिन वर्तमान में धर्म सत्ता ही राज सत्ता का संचालन कर रही है जो संन्यास परम्परा के विपरीत है यदि महंत नरेन्द्र गिरि की इतनी हैसियत है तो व्यापार और राजनीति करने वाले संतों को फर्जी संतों की श्रेणी में सम्मिलित करें। उन्होंने सभी साध्वियों को धैर्य धारण करने का संबल प्रदान करते हुए कहा कि अखाड़ा परिषद को साध्वियों का अपमान करने या उनको फर्जी बताने का अधिकार नहीं है अखाड़ा परिषद अपना दामन साफ करे और जो अखाड़े धार्मिक सम्पत्तियों पर व्यवसायिक काम्पलेस बनाकर प्राॅपटी डीलिंग का काम कर रहे हैं, उन पर रोक लगायें ।
साध्वी त्रिकाल भवन्ता सरस्वती ने अखाड़ा परिषद अध्यक्ष को अपने दामन में झांकने के लिए संकेत देते हुए कहा कि अखाड़ा परिषद का ही एक पदाधिकारी अपने अखाड़े की तमाम सम्पत्तियों को ठिकाने लगाने के बाद आरोप लगने के डर से लापता हो गया पहले उसे ढूढ़ कर लायें तथा संतों का ध्यान फर्जी सूची में न भटकायें।