चले थे मदन कौशिक से टकराने एक अदने से प्रधान के पति ने ही निकाल दी सिसौदिया की हवा !
चौबे जी छब्बे जी बनने चले और दूबे जी बनकर अपना सा मुंह लेकर लौट आए अपने घर
राजेंद्र जोशी
उत्तरप्रदेश में एक कहावत प्रचलित है कि चौबे जी छब्बे जी बनने चले और दूबे बनकर अपना सा मुंह लेकर लौट आए अपने घर। यह कहावत दिल्ली के उपमुख्यमंत्री श्री मनीष सिसौदिया जी पर बिल्कुल ठीक बैठती है। कहाँ तो दिल्ली के उप मुख्यमंत्री सिसौदिया जी सूबे के संसदीय कार्य मंत्री मदन कौशिक से बहस करने उत्तराखंड पहुँच गए और उसके बाद अपने को चमकाने के लिए पहुँच गए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की विधानसभा डोईवाला यह सोचकर कि यहाँ ही कुछ चमत्कार कर लिया जाए लेकिन यहां के एक अदने से प्रधान नहीं बल्कि उनके पति गुरजीत सिंह ने सिसौदिया की हवा निकालकर रख दी और वे अपना सा मुंह लेकर वापस दिल्ली लौट गए ,इसी को कहते हैं न मिला खुदा और न मिला विसाले सनम।
इस वाकये से सिसौदिया जी की समझ में आ गया होगा कि कहाँ वे तो बहस करने चले थे सूबे एक मंत्री से जब मंत्री ने उन्हें लिफ्ट नहीं दी तो सोचा मुख्यमंत्री की विधानसभा जाकर ही क्यों न कुछ मज़मा जुटा लिया जाए लेकिन वहां एक अदने से गांव के प्रधान तो छोड़िये प्रधान के पति ने ही उनके लावलश्कर सहित उनकी भी हवा तब निकाल डाली जब दिल्ली लौटते वक्त अचानक वे जॉलीग्रांट एयरपोर्ट के नजदीक स्थित जीवनवाला के सरकारी प्राइमरी स्कूल में पहुंच गए। वहां किसी स्थानीय व्यक्ति से बातचीत किये बगैर उन्होंने स्कूल में व्याप्त अव्यवस्थाओं का पोस्टमार्टम करना शुरू कर दिया। उन्होंने दावा किया कि जीवनवाला स्कूल का भवन जर्जर है। स्कूल परिसर में खड़े बूढ़े दरख़्त छात्रों के जीवन के लिए खतरनाक हैं। फिर उन्होंने अपने दिल्ली के स्कूलों की सुनहरी तश्वीर जनता के सामने रखी।
[videopress fKZj3nq8]सिसौदिया के इस बयान पर खबर मीडिया की सुर्खियां भी बन गई। मीडिया की भीड़ भी उनके साथ मौजूद थी। दरअसल, ये कोई मामूली स्कूल नहीं है, बल्कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की विधानसभा क्षेत्र डोईवाला का एक सरकारी प्राइमरी स्कूल है। जाहिर है सिसौदिया मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र के विधानसभा क्षेत्र के स्कूल की तुलना दिल्ली के सरकारी स्कूल करना चाहते थे। हो-हल्ला मचाने के बाद सिसौदिया एयरपोर्ट में विमान में बैठे भी नहीं होंगे कि तभी जीवनवाला प्राइमरी स्कूल में बच्चों के जीवन को खतरा बताने के उनके दावे की हवा निकल गई।
स्थानीय प्रधान नहीं बल्कि उनके पति सबूतों के साथ सामने आए और उन्होंने दावा किया कि त्रिवेंद्र सरकार शिक्षा व्यवस्था में सुधार के गंभीर प्रयास कर रही है। प्राइमरी स्कूल जीवनवाला के जीर्णोद्धार के लिए त्रिवेंद्र सरकार पहले ही 4.5 लाख रुपए स्वीकृत करने के साथ ही परिसर में खड़े बूढ़े दरख्तों को काटने की परमिशन दे चुकी है, जिस पर काम चल रहा है।
प्रधानपति के इस खुलासे के बाद यह तो साफ़ हो गया है कि सिसौदिया जी यहाँ केवल हवाबाज़ी करने आए थे और हवा में ही ‘आपके’ लिए जमीन तलाशने आये थे लेकिन जब एक प्रधान ने उनके दावों की हवा निकाल कर रख दी तो अब आप ही सोचिये प्रधान यदि सामने होती तो उनका क्या हश्र होता। जबकि उनकी बहस की चुनौती को सूबे के बदरीनाथ के विधायक स्वीकार कर चुके हैं। इतना ही नहीं मदन कौशिक तो साफ़ -साफ़ कह चुके हैं कि वे हमारे किसी आम कार्यकर्ता से तो बहस कर के आगे की तरफ बढें। वही इनको धूल चटा देगा।