शत्रु संपत्तियों पर सरकार की नजरें, इनको बेचकर भरेगा सरकारी खज़ाना !
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- किन-किन राज्यों में कितनी है शत्रु संपत्तियां
- एक लाख करोड़ से भरेगा सरकारी खजाना
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
नयी दिल्ली : मुंबई स्थित जिन्ना हाउस अब विदेश मंत्रालय की संपत्ति होगा। विदेश मंत्रालय ने जिन्ना हाउस के अधिग्रहण की प्रक्रिया में तेजी ला दी है। इस खबर के बाद से ही दुश्मन संपत्ति मामले ने एकबार फिर तूल पकड़ लिया है। मुंबई स्थिति जिन्ना हाउस के मालिक मूल रूप से पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना थे फिलहाल भारत में रह रहीं उनकी बेटी दीना वाडिया ने भारत सरकार से लंबी लड़ाई लड़ी है।
लेकिन पिछले दिनों संसद ने 49 साल पुराने शत्रु संपत्ति विवाद अधिनियम में बदलाव कर दिया गया है। इस बदलाव के बाद देश के बंटवारे के दौरान देश छोड़कर दूसरे देशों यानि पाकिस्तान और चीन में बसे लोगों के उत्तराधिकारियों का अब इस संपत्ति पर कोई दावा नहीं रह गया है।
सरकार इस संपत्ति को अपने कब्जे में लेकर बेचने की तैयारी में जुटी है। नियमों में किए गए बदलाव के बाद जिन्ना हाउस को अब विदेश मंत्रालय की संपत्ति घोषित किया जाएगा यह ठीक वैसा ही होगा जैसा कि नई दिल्ली स्थित हैदराबाद हाउस का किया जा रहा है।
- देश में एक लाख करोड़ की है शत्रु संपत्ति
बता दें कि इसी साल के शुरुआती महीनों में केंद्र सरकार ने शत्रु संपत्तियों को बेचने की कवायद भी शुरू कर दी है। इसके तहत सरकार ने अपने खजाने में तकरीबन एक लाख करोड़ रुपए की वृद्धि करने का लक्ष्य रखा गया है। केंद्र सरकार ने मुख्य संरक्षण कार्यालय यानी कस्टोडियन को इस साल जून-जुलाई तक तमाम शत्रु संपत्तियों की सूची देने का आदेश दिया है।
वंशज प्रॉपर्टी पर नहीं कर सकते हैं दावा
शत्रु संपत्ति पर नियंत्रण रखने और देख-रेख के लिए गृह मंत्रालय ने आदेश भी दिया है। मंत्रालय के आदेश के बाद जिन जिलों और राज्यों में शत्रु प्रॉपर्टी हैं उनके मूल्यांकन समितियां भी गठित की गई हैं जिसकी अध्यक्षता जिलाधिकारियों के हाथ में है। यह फैसला शत्रु संपत्ति (संशोधन एवं वैधीकरण) अधिनियम 2017 और शत्रु संपत्ति (संशोधन) नियम 2018 में संशोधन के बाद उठाया गया है। पिछले साल लोकसभा में उक्त विधेयक में संशोधन के बाद यह प्रावधान किया गया है कि भारत विभाजन के समय पाकिस्तान या चीन चले गए लोगों के वंशज भारत में अपने पुरखों की संपत्तियों पर कोई दावा या फिर दलील नहीं कर सकते हैं।
- जिन्ना हाउस है मुंबई की ऐतिहासिक इमारत
जिन्ना हाउस 2.5 एकड़ जमीन पर साल 1936 में बनाया गया था और आर्किटेक्ट क्लाउड बैटले ने इसका डिजाइन बनाया था। जिन्ना हाउस महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के आधिकारिक निवास वर्षा के ठीक सामने है। संरक्षित विरासत का दर्जा हासिल इस इमारत में विभाजन से पहले जवाहरलाल नेहरू, महात्मा गांधी और जिन्ना के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक हुई थी। एक समय पाकिस्तान जिन्ना हाउस को अपना मुंबई का वाणिज्य दूतावास बनाना चाहता था। जिन्ना हाउस को लेकर भारत सरकार और जिन्ना की बेटी दीना वाडिया के बीच लंबे समय से कानूनी लड़ाई चल रही थी। वाडिया ने साल 2007 में बॉम्बे हाईकोर्ट में संपत्ति के नियंत्रण को वापस पाने के लिए याचिका दायर की थी। पिछले साल नवंबर में वाडिया की मृत्यु हो गई थी।
- क्या होती है शत्रु संपत्ति
बंटवारे के दौरान देश छोड़ कर गए लोगों की संपत्ति सहित, 1962 के भारत-चीन युद्ध और 1965 के भारत-पाक युद्ध के बाद भारत सरकार ने इन देशों के नागरिकों की संपत्तियों को सीज कर दिया था। इन्हीं संपत्तियों को शत्रु संपत्ति करार दिया गया है। इन संपत्तियों में भूमि, मकान, फार्म, शेयर, बैंक बैलेंस, प्रोविडेंट फंड समेत कई अचल और चल चीजें शामिल हैं। फिलहाल इन संपत्तियों की देखरेख की जिम्मेदारी कस्टोडियन ऑफ एनमी प्रॉपर्टी फॉर इंडिया के पास है। युद्ध के दौर में चीन और पाक छोड़ने वाले भारतीयों की संपत्ति की सुरक्षा करने में असफल रहने के बाद भारत सरकार ने यह कदम उठाया था।
- 2017 में किया गया शत्रु संपत्ति कानून संशोधन विधेयक में बदलाव
पिछले वर्ष संसद में शत्रु संपत्ति कानून संशोधन विधेयक 2017 पारित होने के बाद शत्रु संपत्ति पर अपने मालिकाना हक की कानूनी लड़ाई लड़ने वालों को काफी निराशा हुई है। वहीं सरकार ने कानून में संशोधन के बाद से ही केंद्र सरकार ने एनेमी प्रॉपर्टी (शत्रु संपत्तियों) को बेचने की कवायद तक शुरू कर दी। इसके तहत सरकार ने अपने खजाने में तकरीबन एक लाख करोड़ रुपए की वृद्धि करने का भी लक्ष्य रखा है।
- 9,280 शत्रु संपत्तियां हैं पूरे देश में …
गृह मंत्रालय ने शत्रु संपत्तियों का एक लेखा-जोखा तैयार किया है जिसके अनुसार देश में 9,280 संपत्तियां अचल हैं। और ये सभी संपत्तियां पाकिस्तानी नागरिकों से संबंधित हैं। यह कुल संपत्ति 12,000 एकड़ में फैली है और इनकी कीमत 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक आंकी गई है।
- उत्तर प्रदेश और बंगाल में सबसे ज्यादा संपत्तियां
विभाजन के दौरान उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल से सबसे अधिक लोगों ने पलायन किया है। पाकिस्तान गए लोगों से संबंधित 9,281 शत्रु संपत्तियों में उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 4,991 संपत्तियां हैं। वहीं पश्चिम बंगाल में 2,735 और दिल्ली में 487 संपत्तियां हैं। चीन गए लोगों से जुड़े 126 शत्रु संपत्तियों में मेघालय में 57 और पश्चिम बंगाल में 29 संपत्तियां हैं।
- आंध्र प्रदेश :पाकिस्तानी नागरिकों की प्रॉपर्टी: 159 जिसकी कुल कीमत-11,641 करोड़ है।
- असम :पाकिस्तानी नागरिकों की प्रॉपर्टी: 6 ,चीनी नागरिकों की प्रॉपर्टी: 64 कीमत 41.26 करोड़ है।
- बिहार :पाकिस्तानी नागरिकों की प्रॉपर्टी: 79, कीमत 101 करोड़ है ।
- छत्तीसगढ़ :पाकिस्तानी नागरिकों की प्रॉपर्टी: 78 है और इसकी कीमत 54.6 करोड़ है।
- दिल्ली : पाकिस्तानी नागरिकों की प्रॉपर्टी: 487 ,चीनी नागरिकों की प्रॉपर्टी: 02 इसकी कीमत 816 करोड़ रुपये है।
- गोवा : पाकिस्तानी नागरिकों की प्रॉपर्टी: 263 इसकी कीमत 100 करोड़ रुपये है।
- गुजरात :पाकिस्तानी नागरिकों की प्रॉपर्टी: 146 कीमत 844 करोड़ आंकी गई है।
- हरियाणा :पाकिस्तानी नागरिकों की प्रॉपर्टी: 09 इसकी कीमत 791 करोड़ है।
- कर्नाटक :पाकिस्तानी नागरिकों की प्रॉपर्टी: 20 ,जबकि चीनी नागरिकों की प्रॉपर्टी: 01 कीमत 151 करोड़ है।
केरल : पाकिस्तानी नागरिकों की प्रॉपर्टी: 60, कीमत 1375 करोड़ है। - मध्य प्रदेश : पाकिस्तानी नागरिकों की प्रॉपर्टी: 88, चीनी नागरिकों की प्रॉपर्टी: 01 कीमत- 1796 रुपये है।
- महाराष्ट्र : पाकिस्तानी नागरिकों की प्रॉपर्टी: 48, कीमत- 571 करोड़ है
राजस्थान : पाकिस्तानी नागरिकों की प्रॉपर्टी: 22 ,चीनी नागरिकों की प्रॉपर्टी: 01 कीमत 23 करोड़ है। - उत्तराखंड : यहाँ भी पाकिस्तानी नागरिकों की सम्पत्तियाँ हैं लेकिन प्रशासनिक हीला हवाली के चलते भू-माफियाओं ने इन पर कब्जाकर इनके दस्तावेज़ों को नष्ट कर दिया है।
- ताशकंद समझौते में बनी थी सहमति
जितनी शत्रु संपत्ति भारत में है उतनी ही संपत्ति पाकिस्तान में भी भारतीयों की है। इन संपत्तियों के विवाद को देखते हुए भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 में हुए युद्ध के बाद ताशकंद समझौते में इस बात पर सहमति बनी थी कि दोनों देश विवाद के दौरान जब्त की संपत्तियों और एसेट्स को वापस लौटाएंगे। गौरतलब हो कि पाकिस्तान सरकार ने इस समझौते पर अमल न करते हुए करीब 47 साल पहले ही यानी 1971 में भारतीय नागरिकों और कंपनियों से संबंधित संपत्तियों को बेच दिया। दूसरी तरफ भारत में यह संपत्तियां अब भी कस्टोडियन ऑफ एनमी प्रॉपर्टी के नियंत्रण में है।