- सरकार को देश को भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस दिखाने मिला मौका
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
DEHRADUN : ऊधमसिंहनगर के चर्चित एनएच-74 मुआवजा घपले में और एसआईटी जांच आंच में आए तत्कालीन आर्बिट्रेटर रहे दो आईएएस अधिकारियों डा. पंकज कुमार पांडेय और चंद्रेश कुमार यादव से सरकार ने उनका पक्ष भी मांगा है। यह सब DOPT के स्वीकृति पत्र के सरकार के पास पहुँच जाने के बाद हुआ है। राज्य सरकार भी इस मामले पर कठोर कदम उठाने के मूड में है और किसी को भी बख़्शने का उसका कोई इरादा नहीं है। क्योंकि राज्य भाजपा की सरकार को देश -दुनिया को भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस दिखाने का यह अच्छा मौक़ा भी जब वह सीना ठोककर कह सकती है कि वह भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस के चलते उसने छोटे कर्मचारी से लेकर बड़े अधिकारी तक को नहीं बख्शा। यह बात बीते दिन मुह्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत भी साफ़ -साफ़ कह चुके हैं। उनका कहना है कि भ्रष्टाचार के मामले में सरकार पहले ही अपने इरादे जाहिर कर चुकी है। घपला करने वाला चाहे कितना ही बड़ा क्यों न हो, उसे किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।
वहीँ बिरि देर रात राज्य सरकार द्वारा DOPT से स्वीकृति मिलने के बाद तत्कालीन समय में उधमसिंह नगर जिले में जिलाधिकारी और NH -74 मामले में आर्बिट्रेटर रहे दो आईएएस अधिकारियों डा. पंकज कुमार पांडेय और चंद्रेश कुमार यादव से एसआईटी जांच कर रही टीम द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देने को कहा है। सरकार का मानना है कि उनका जवाब मिलने के बाद वह आगे की कार्रवाई ।
गौरतलब हो कि कांग्रेस शासन काल के दौरान ऊधमसिंहनगर में वर्ष 2012-16 तक जमीनों के मुआवजे में लगभग 300 करोड़ से अधिक मुआवजा बांटे जाने के मामले में घोटाला हुआ था। हालाँकि उस दौरान उधमसिंह नगर में पांच आईएएस अधिकारी जिलाधिकारी के रूप में तैनात रहे हैं, लेकिन और किसी आईएएस पर आंच नहीं आई। मामले में धीरे -धीरे एसआईटी की जांच जैसेआगे बढ़ी तो इसमें दो आईएएस अधिकारियों की मिलीभगत भी सामने आई, हालाँकि तत्कालीन समय में चर्चाओं के बाजार में इन्ही दो अधिकारियों का नाम भी सामने आ रहा था जिन्होंने मुआवजा घोटाले में गड़बड़ी की थी ।
एसआईटी जांच का जिम्मा उधमसिंह नगर के एसएसपी डॉ. सदानंद दाते के पास है और डॉ. दाते एक आईपीएस अधिकारी के रूप में और कागजों को पढ़ने और जांच के मामले में बेहद ईमानदार अधिकारियों में शुमार होते रहे हैं। डॉ. दाते ने जांच के बाद मामले में सामने आये दोनों आईएएस अधिकारियों की जांच रिपोर्ट पर सवाल -जवाब करने और आईएएस अधिकारी के मामले में लिप्त होने के बाद मुख्य सचिव को DOPT से स्वीकृति मांगए जाने को पत्र लिखा था। मामले में अब केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को पत्र भेजा गया जिसमें स्वीकृति मिलने के बाद बीती देर रात मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने संबंधित फाइल को हरी झंडी दे दी भेजी है। सूत्रों के अनुसार दोनों आईएएस अधिकारियों ने मुआवजा विवादों के निस्तारण के दौरान नौ से ज्यादा प्रकरणों में विवादित निस्तारण किए जिसका खुलासा एसआईटी जांच में हुआ है।
https://youtu.be/orGjAB2e1bU