UTTARAKHAND

बूढ़ी दिवाली पर लोक संस्कृति से हुआ गुलजार हुआ समूचा जौनसार

चकराता के गांवों में पौराणिक बूढ़ी दीपावली की अलग ही रंगत

होलियात के बाद बाजगियों ने कान पर लगाई हरियाड़ी

स्याणा ने भिरुड़ी में प्रसाद स्वरूप फेंके अखरोट

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून : जौनसार के कालसी व चकराता ब्लॉक के करीब 200 गांवों, खेड़ों व मजरों के मंदिरों में देवदर्शन को ग्रामीण श्रद्धालु उमड़े। जिसके बाद ग्रामीणों ने होलियात के साथ पर्व का जश्न तेज कर दिया। होलियात के बाद बाजगियों ने कान पर हरियाड़ी लगाई। हर गांव में स्याणा ने भिरुड़ी में प्रसाद स्वरूप अखरोट फेंके। प्रसाद पाने को ग्रामीणों में होड़ मची रही। विशायल, बाना, शिलगांव, अठगांव खतों समेत जौनसार के 200 गांवों में पंचायती आंगन लोक संस्कृति से गुलजार रहे। पंचायती आंगनों में महिलाओं व पुरुषों ने हारुल, ङोंता व रासो नृत्यों की प्रस्तुति देकर अनूठी लोक संस्कृति से सबका परिचय कराया।

चकराता ब्लॉक के गांवों में पौराणिक बूढ़ी दीपावली की अलग ही रंगत रही। दिवाली पर पौराणिक परंपराओं का पूरा ख्याल रखा गया। ग्रामीणों ने देवदर्शन कर पर्व की शुरूआत की। ग्रामीण पंचायती आंगन में सामूहिक रूप से नृत्यों से सबको लुभाते रहे। नृत्य के दौरान सितलू मोडा की हारुल के बाद कैलेऊ मैशेऊ की हारुल गायी गई। सभी गांवों में सुबह चार बजे ग्रामीण हाथों में कैल की मशालें लेकर नाचते गाते हुए होलियात लेकर बाहर निकले। जहां होलियात जलाकर पर्व का जश्न मनाया गया। देवता के आदेशानुसार भिरुड़ी में प्रसाद रूप में अखरोट फेंके गए। कालसी ब्लॉक के विशायल खत के डिमऊ, कोटा, लेल्टा, सिमोग, डांडा, जडाना, देसोऊ, कोटी, अतलेऊ, दोऊ, रूपौ, मुडवाण, पाटा के अलावा शिलगांव, बाना व अठगांव खतों के गांवों के अलावा कोठा तारली आदि में ग्रामीणों ने जश्न मनाया। हर गांव में ढोल दमाऊ, रणसिंघे के साथ हर गांव के पंचायती आंगनों में लोक संस्कृति का दौर चला। जैसे जैसे रात बढ़ती गई, वैसे वैसे लोगों पर लोक संस्कृति का रंग चढ़ता रहा। पुरुषों ने पारंपरिक वेशभूषा में जूडा नृत्य से सबको लुभाया, वहीं महिलाओं ने लोक नृत्यों से समा बांधा।

देवशदर्शनों को लगा रहा मंदिरों में भक्तों का हुजूम 

साहिया: बुधवार को जौनसार के सभी गांवों में बूढ़ी दिवाली पर देवदर्शन को मंदिरों में तांता लगा। कहीं पर ग्रामीणों ने महासू देवता तो कहीं पर शिलगुर विजट चुड़ेश्वर देवता तो कहीं पर भगवान परशुराम के दर्शन कर घर परिवार की खुशहाली की मन्नतें मांगी। पुरातत्व महत्व के प्राचीन शिव मंदिर लाखामंडल में भी देवदर्शन को लोग उमड़े। प्राचीन शिव मंदिर लाखामंडल, प्राचीन परशुराम मंदिर डिमऊ, शिलगुर विजट मंदिर सिमोग, महासू मंदिर लखवाड़, थैना, बुल्हाड़ में आस्था का सैलाब उमड़ा। श्रद्धालुओं ने देवदर्शन के बाद होलियात में हिस्सा लिया। जौनसार में पौराणिक परंपरा में पहले देवदर्शन फिर पर्व की शुरूआत की परंपरा वर्षों से चली आ रही है।

बूढ़ी दिवाली पर पारंपरिक वाद्य यंत्रों पर खूब मनाया जश्न

कालसी: ब्लॉक क्षेत्र के गांवों में बूढ़ी दिवाली धूमधाम से मनाई गई। वाद्य यंत्रों की थाप पर सामूहिक रूप से लोगों ने पारंपरिक नृत्य किया। सुबह से ही हर गांव में हेला यानी एक दूसरे के घर में आना जाना लगा रहा। सुबह देवदर्शन के बाद होलियात निकाली गई, जिसके बाद पंचायती आंगन में महिलाओं व पुरुषों ने ढोल दमाऊ की थाप पर हारूल, तांदी गीत, ङोंता व रासो नृत्य कर समा बांधा। बुजुर्गों ने जंगाबाजी लगाकर खूब तालियां बटोरी। पंचायती आंगन में अखरोट की भिरुड़ी डाली गई। जहां पर अखरोट उठाने में बच्चों से लेकर बुजुर्गों में उत्साह दिखाई दिया।

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