Uttarakhand

आपदा के छह साल बाद भी नहीं बन पायी एक अदद पुलिया

आखिर ऐसे कब तक चलेगा 

  • उत्तरकाशी जिले के दूरस्थ इलाके सरबडियार का मामला
  • सोये हुए तंत्र को आखिर कौन उसे जगायेगा ?
  • बल्लियों के सहारे नदियाँ पार करने को हैं मजबूर ग्रामीण 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून। वर्ष 2013 में आयी आपदा के बाद से छह साल होने को हैं लेकिन अभी तक दो-दो सरकारों के तमाम दावों के बावजूद पहाड़वासियों के हालात सुधर नहीं पा रहे हैं। बीते छह सालों से उत्तरकाशी जिले के दूरस्थ इलाके सरबडियार क्षेत्र में आठ गांवों को जोड़ने वाली जब एक पुलिया तक नहीं बन पाई है तो सूबे के ऐसे दूरस्थ ग्रामीण इलाकों के ग्रामीणों की क्या हालत होगी जहाँ उस दौरान कई पुलिया बह गयी थी। पांडुकेश्वेर -हनुमान चट्टी के पास भी आपदा के दौरान खीर नदी ने उपरी इलाकों के पैदल पुल बहा डाले थे वे भी आज तक नहीं बन पाए हैं। ऐसे इलाकों के लोग बीते छह सालों से पुलिया की मांग करते-करते अब थक हार चुके हैं, ग्रामीणों ने अपने जीवन के गुजर-बसर करने के लिए बल्लियां लगाई हैं। इन पर उन्हें जिंदगी तो नहीं बल्कि मौत ही मिल रही है।

उत्तरकाशी जिले के दूरस्थ इलाके सर बडियार पट्टी की बडियार गाड़ पर ग्रामीण आपदा के बाद से खुद लगाई गई बल्लियों के सहारे नदिया पार करने को मजबूर हैं। ऐसा नहीं कि पुलिया के बहने और ग्रामीणों को हो रही समस्या का शासन-प्रशासन के संज्ञान नहीं है लेकिन समस्या है सोये हुए तंत्र को जगाने की, कि आखिर कौन उसे जगायेगा या यह तंत्र मौतों का इंतज़ार कर रहा है। मामले में जिलाधिकारी उत्तरकाशी डॉ. आशीष चौहान का कहना है कि बडियार गाड में एक व्यक्ति के बहने से मौत होने की जानकारी मिली है। इस संबंध में निर्देश जारी किए है कि जो भी वैकल्पिक व्यवस्था होती है वह तत्काल की जाए। जिससे ग्रामीण आवाजाही कर सकें।

जिला मुख्यालय से करीब 135 किमी दूर पुरोला ब्लॉक का सरबडियार क्षेत्र आता है। इस क्षेत्र के आठ गांव सर, लेवटाड़ी, डिंगाडी, कंसलौं, पौंटी, गोल, किमडार और छानिका जाने के लिए अभी भी 12 से 16 किलोमीटर का पैदल सफर करना पड़ता है। वन कानून के फेर में यहां सड़क तो नहीं बन पा रही है। लेकिन, सरकारी तंत्र ने इन पैदल रास्ते और रास्ते में पड़ने वाली नदियों को पार करने के लिए पुलिया तक नहीं बनाई। जिला मुख्यालय में विकास योजनाओं के दावे करने वाले अधिकारियों के दावे सर बडियार में दम तोड़ रहे हैं।

गौरतलब हो कि सर बडियार इलाके के आठ गांवों को जोड़ने वाले बडियार गाड़ पर वर्ष 2013 की आपदा में बनी स्थायी पुलिया नदी के तेज बहाव में बह गई। इसके बाद वहां के ग्रामीणों ने आवाजाही के लिए यहां पर कई बार वैकल्पिक पुलिया बनाई। यह पुलिया भी नदी का जलस्तर बढ़ने से क्षतिग्रस्त हो गई। ग्रामीणों ने बडियार गाड पर स्थायी पुलिया निर्माण के लिए कई बार जिला प्रशासन, जिला पंचायत, मुख्य विकास अधिकारी, एसडीएम सहित तमाम अधिकारियों को अवगत कराया। लेकिन आज तक पुलिया निर्माण नहीं हुआ है।

वहीं डिंगाड़ी गांव के ग्रामीणों ने बताया कि आठ गांवों के ग्रामीण बल्लियों के सहारे नदी को पार कर रहे हैं। बरसात के दौरान जुलाई, अगस्त और सितंबर महीने में नदी का जलस्तर बढ़ जाता है तो नदी भी पार नहीं कर पाते हैं। जिसके कारण ग्रामीणों का जिला मुख्यालय व बाजार से भी संपर्क टूट जाता है। बडियार गाड पर स्थायी पुलिया निर्माण के लिए कई बार शासन-प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन आज तक ग्रामीणों की समस्या का समाधान नहीं हुआ है। वहीं पुरोला उपजिलाधिकारी पीएस राणा ने बताया कि मामला संज्ञान में है, इसके लिए प्रशासन स्तर पर शासन से पत्राचार किया जा रहा है। लेकिन यह सवाल अभी भी विचारणीय है कि जब बीते छह वर्षों में जिला प्रशासन नहीं जाग पाया तो आने वाले बरसात तक जाग पायेगा इसमें ग्रामीणों को संदेह है।

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