बीआरओ की टीम ने दिनरात मेहनत करके पांच दिन में तैयार कर दिया पुल
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने खुशी व्यक्त करते हुए बीआरओ के अधिकारियों और इंजीनियरों की प्रशंसा की है
अति सामरिक महत्व के वैली ब्रिज को दुबारा बनाकर उच्चस्तरीय तकनीकी क्षमता का परिचय दिया, इस पुल की भार वहन क्षमता दोगुनी हो गई
सामरिक महत्व का पुल पिथौरागढ़ के बड़ी संख्या में गांवों को भी जोड़ता है
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून। बीआरओ ने उत्तराखंड सरकार के सहयोग से पांच दिन के भीतर ही मुनस्यारी रोड पर सिनर गाड़ धापा में टूटे पुल को आवाजाही लायक बना दिया। सामरिक महत्व के इस पुल पर यातायात के पुनः शुरू होने पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने खुशी व्यक्त करते हुए बीआरओ के अधिकारियों और इंजीनियरों की प्रशंसा की है।
गौरतलब हो कि 22 जून की सुबह ट्रक के जरिए भारी मशीन ले जाते समय यह पुल टूट गया था, जिसमें दो लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। वर्षों पुराने और सामरिक महत्व के इस पुल के टूटने पर बीआरओ की टीम तुरंत सक्रिय हो गई। पुल पर पुनः आवाजाही शुरू कराने के लिए बीआरओ ने दिनरात एक कर दिया। वहीं उत्तराखंड सरकार ने भी बीआरओ को हरसंभव सहयोग दिया।
इस तरह पांच दिन में ही पुल पर आवाजाही शुरू कर दी गई। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन की प्रशंसा करते हुए कहा कि पिथौरागढ़ के मुन्स्यारी में केवल पांच दिन में ही अति सामरिक महत्व के वैली ब्रिज को दुबारा बनाकर उच्चस्तरीय तकनीकी क्षमता का परिचय दिया है। अब इस पुल की भार वहन क्षमता दोगुनी है। मुख्यमंत्री ने इस निर्माण कार्य में दिन रात लगे बीआरओ के अधिकारियों और इंजीनियरों को बधाई दी है।
इस पुल के टूटने से सीमांत इलाके के दस गांवों मिलम, बिल्जू, बुर्फू, तूला, पांछू, गनघर, रालम, खिलांच, लास्पा, रिलकोट, लास्पा, बौगडियार और रालम सहित कई अन्य गांवों का संपर्क भी जिला मुख्यालय से टूट गया था।
बीआरओ ने बनाए गए नये पुल पर पोकलैंड, ड्रोजर और बीआरओ के ट्रक लाकर पुल के वजन सहने की शक्ति का परीक्षण किया। परीक्षण में पुल सफल रहा। इसके बाद अब आम नागरिकों सहित सैन्य वाहनों की मिलम की तरफ आवाजाही शुरू हो गई।
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