बेलगाम नौकरशाही की कार्यशैली सुधारना सबसे बड़ी चुनौती !
पिछले दौर में अब तक की सरकारों के आदेशों की अक्सर उड़ती रही हैं धज्जियां
देहरादून। राज्य की नई-नवेली त्रिवेन्द्र सिंह रावत की सरकार के सामने जहां विकास एवं विभिन्न समस्याओं को लेकर चुनौतियां रहेंगी, वहीं इसके अलावा सबसे बड़ी चुनौती सूबे की उस नौकरशाही की कार्यशैली को देखते हुए रहेगी। जो कि अक्सर बीती अब तक की सरकारों के लिए दुखदायी साबित होती आयी हैं। यह कहा जा सकता है कि पिछले 17 वर्षों में जितनी भी सरकारों ने उत्तराखण्ड में सत्ता का लुत्फ उठाया, वे विकास कार्यों से संबंधित कई महत्वपूर्ण फाईलों को आगे बढ़ाने के लिए अपने ही विभागीय अफसरों से अक्सर जूझती रही हैं।
राज्य गठन के पश्चात सूबे की अंतरिम सरकार से लेकर अब तक की विभिन्न सरकारों का अपना-अपना सफर अलग-अलग कार्यशैलियों को लेकर रहा है। राज्य के शासन में अफसरों की टेबलों पर, खासतौर से सरकार के मुखिया के कार्यालय में तमाम ऐसी फाईलों का अंबार देखने एवं सुनने को मिलता रहा है जो कि विकास की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण रही हैं और उनके आगे न बढऩे से प्रदेश को नुकसान का खामियाजा ही भुगतना पड़ा।
सरकार द्वारा समय-समय पर की जाती रहीं अहम घोषणाओं में पेंच डालना शासन में बैठे अनेक अफसरों को बखूबी आता है, जिसके चर्चे भी सत्ता के गलियारों में होते रहे हैं। राज्य के नव मनोनीत हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत भाजपा की पूर्व की रही सरकार के कार्यकाल के दौरान कृषि मंत्री रह चुके हैं और वे इस कुर्सी पर रहकर अफसरों के हर तरह के रवैये अथवा उनकी कार्यशैली से भलि-भांति वाकिफ भी हैं। चूंकि अब यही पूर्व कृषि मंत्री प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गये हैं इसलिए उनके सामने निश्चित रूप में बड़ी चुनौती यही है कि उन्हें अपने राज्य की नौकरशाही से एक मजबूत विकास की रणनीति बनाकर कार्य लेना होगा।
सूबे के कई अफसरों पर बेलगाम होने के खुले आरोप भी लगते रहे, लेकिन ऐसे अफसरों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग पाती थी। सत्तारूढ़ दल के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के दबाव के साथ ही सरकारों पर अक्सर विभिन्न कार्यों को लेकर जिस प्रकार से दबाव के तीर भी छोड़े जाते थे उनसे भी कई अफसरों की मनमानियां बढ़ी हैं। मुख्य बात यह है कि आज सूबे में त्रिवेन्द्र रावत की सरकार है और केन्द्र में भी भाजपा की ही सरकार होने के नाते अनेक विकास कार्य सीधे केन्द्र की योजनाओं से सम्बद्घ रहेंगी इसलिए राज्य की नौकरशाही को सीधे तौर पर कार्य करने होंगे, न कि जलेबी की तरह अपना रवैया रखना होगा। बहरहाल, अतिशीइा्र ही सभी मंत्रियों को विभाग बांट दिये जाएंगे और उसके बाद ही मंत्रियों एवं अफसरों की परस्पर कार्य करने वाली शैली के परिणाम सामने आएंगे।