लखवाड़ बिजली परियोजना के लिए छह राज्यों के बीच हुआ समझौता
- लखवाड़ राष्ट्रीय परियोजना से साझेदार छह राज्यों को होगा लाभ : त्रिवेन्द्र
- बिजली उत्पादन पर होने वाले 1388.28 करोड़ का खर्च करेगा राज्य
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
नयी दिल्ली : केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी की मध्यस्थता में ऊपरी यमुना बेसिन क्षेत्र में 3966.51 करोड़ रुपये की लागत वाली लखवाड़ बहुद्देशीय परियोजना को लेकर एक समझौता (एमओयू) किया गया जिसमें उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ, राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया, हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर, हिमाचल प्रदेश के सीएम जयराम ठाकुर और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने हस्ताक्षर किए।
- समझौता मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की उपलब्धियों में हुआ शुमार
समझौते (एमओयू) का यह कार्यक्रम मंगलवार को नेशनल मीडिया सेंटर नई दिल्ली में आहूत किया गया था। यह समझौता मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की उपलब्धियों में शुमार हो गया, वे बीते एक साल से इस पर अपने सचिवों और स्वयं भी केंद्र सरकार के साथ परियोजना को लेकर संपर्क और पत्राचार कर रहे थे, ताकि इसका अधिकतम लाभ उत्तराखंड राज्य को मिले।
- लोहारी गांव के पास बनेगा यमुना नदी पर 204 मीटर ऊंचा बाँध
गौरतलब हो कि लखवाड़ परियोजना के तहत राज्य के देहरादून जिले में लोहारी गांव के पास यमुना नदी पर 204 मीटर ऊंचा कंक्रीट का बांध बनाया जाना है। बांध की जल संग्रहण क्षमता 330.66 एमसीएम होगी। इससे 33,780 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जा सकेगी। इसके अलावा इससे यमुना बेसिन क्षेत्र वाले छह राज्यों में घरेलू तथा औद्योगिक इस्तेमाल और पीने के लिए 78.83 एमसीएम पानी उपलब्ध कराया जा सकेगा। परियोजना से 300 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। समझौते के अनुसार इस परियोजना से मिलने वाली बिजली पर उत्तराखंड का अधिकार होगा जबकि पानी छह राज्यों के बीच बंटेगा।समझौते के अनुसार इस महत्वाकांक्षी परियोजना निर्माण का काम उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (उज्जवल) द्वारा किया जाएगा।
- परियोजना से मिलने वाली बिजली पर उत्तराखंड का होगा पूर्ण स्वामित्व
समझौते के अनुसार परियोजना पर आने वाले कुल 3966.51 करोड़ रुपये की लागत में से बिजली उत्पादन पर होने वाले 1388.28 करोड़ का खर्च उत्तराखंड सरकार खर्च करेगी। परियोजना से जुड़े सिंचाई और पीने के पानी की व्यवस्था वाले हिस्से के कुल 2578.23 करोड़ के खर्च का 90 प्रतिशत (2320.41 करोड़ रुपये) केंद्र सरकार वहन करेगी, जबकि बाकी 10 प्रतिशत का खर्च छह राज्यों के बीच बांट दिया जाएगा। इसमें हरियाणा को 123.29 करोड़ रुपये, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में से प्रत्येक राज्य को 86.75 करोड़ रुपये, राजस्थान को 24.08 करोड़ रुपये, दिल्ली को 15.58 करोड़ रुपये तथा हिमाचल प्रदेश को 8.13 करोड़ रुपये देने होंगे। समझौते के अनुसार लखवाड़ परियोजना के तहत संग्रहित जल का बंटवारा यमुना के बेसिन क्षेत्र वाले छह राज्यों के बीच 12 मई 1994 को राज्यों के मध्य किए गए समझौता ज्ञापन की व्यवस्थाओं के अनुरूप होगा। लखवाड़ बांध जलाशय का नियमन अपर यमुना रिवर बोर्ड (यूवाईआरबी) के प्रावधानों के अनुसार किया जाएगा।
बिजली जरूरतों को पूरा करने में योजना होगी महत्वपूर्ण साबित :सीएम
उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि लखवाड़ राष्ट्रीय परियोजना है। इससे सभी साझेदार छह राज्यों को लाभ होगा। उत्तराखंड की बिजली जरूरतों को पूरा करने में यह योजना महत्वपूर्ण साबित होगी। उन्होंने कहा इसके बाद अब राज्य की अन्य बंद पड़ी जल विद्युत परियोजनाओं पर भी केंद्र का ध्यान आकृष्ट किया गया है ताकि राज्य सहित देश कि बिजली की जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा।