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1992 में संशोधित 1986 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति में उपयुक्त बदलाव की जरूरत : ”निशंक”

केन्द्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (सीएबीई) की विशेष बैठक
राष्ट्रीय शिक्षा नीतिका मसौदा 2019 (डीएनईपी 2019) पर चर्चा
हमारे देश को एक ज्ञान महाशक्ति बनाना है : रमेश पोखरियाल
साहित्यिक चोरी निरोधी सॉफ्टवेयर (पीडीएस) “शोधशुद्धि” हुआ लॉन्च

The Minister of State for Youth Affairs & Sports (Independent Charge) and Minority Affairs, Shri Kiren Rijiju, the Minister of State for Human Resource Development, Communications and Information Technology, Shri Dhotre Sanjay Shamrao, the Secretary, Department of Higher Education, Shri R. Subrahmanyam and other dignitaries are also seen.
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्री श्री पोखरियाल नेकहा कि सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति तैयार करने के लिए उल्लेखनीय पहल शुरू की है,जिसका उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए युवाओं की आकांक्षा को पूरा करना और हमारे देश को एक ज्ञान महाशक्ति बनाना है।इस लिहाज से 1992 में संशोधित 1986 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति में उपयुक्त बदलाव करने की जरूरत है ताकि हमारी बड़ी युवा आबादी की समकालीन और भविष्य की जरूरतों को पूरा किया जा सके। इसलिए इस नीति को तीन दशक से अधिक समय के बाद लाया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि चार वर्षों के दौरान एक व्यापक परामर्श प्रक्रिया शुरू की गई और डॉ. के. कस्तूरी रंगन की अध्यक्षता में गठित राष्ट्रीय शिक्षा मसौदा नीति समिति नेराष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2019 का मसौदा 31 मई, 2019 को मंत्रालय को सौंप दिया।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने शनिवार को नई दिल्ली में आयोजित केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (सीएबीई) की विशेष बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि सीएबीई की यह विशेष बैठक एनईपी के मसौदे पर चर्चा करने के लिए बुलाई गई है ताकि केन्द्र एवं राज्य दोनों सरकारों में सहकारी संघवाद की भावना बरकरार रहे और वे एक मजबूत नीति लाने के लिए स्वस्थ एवं समृद्ध बातचीत में संलग्न हों ताकि हमारे युवाओं को 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने के लिए सशक्त बनाया जा सके।
सरकार गतिशील सामाजिक-आर्थिक जरूरतों के अनुकूल उपयुक्त बदलाव लाने के लिए प्रतिबद्ध : धोत्रे
वहीं बैठक में उपस्थित मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री श्री धोत्रे ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि स्कूल एवं उच्च शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने, समावेश को सुनिश्चित करने और गुणवत्ता एवं उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए कई नई पहल की जा रही हैं। उन्होंने सराहना करते हुए कहा कि राज्य सरकारें भी शिक्षा को सुलभ, न्यायसंगत और गुणात्मक बनाने के लिए उल्लेखनीय प्रयास कर रही हैं। उन्होंने कहा कि शैक्षिक सुधार एक सतत प्रक्रिया है और सरकार गतिशील सामाजिक-आर्थिक जरूरतों के अनुकूल उपयुक्त बदलाव लाने के लिए प्रतिबद्ध है।
शैक्षिक संस्थानों में फिट इंडिया मूवमेंट को लोकप्रिय बनाने की जरुरत : किरेन रिजिजु
श्री किरेन रिजिजु ने अपने संबोधन में फिट इंडिया मूवमेंट के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का मानना है कि फिट इंडिया मूवमेंट एक राष्ट्रीय लक्ष्य बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी ने हमारे दैनिक तंदरुस्ती रूटीन को कम कर दिया है और शारीरिक तंदरुस्ती के अभाव में जीवनशैली की बीमारियां पैदा हुई हैं। उन्होंने राज्यों को अपने शैक्षिक संस्थानों में फिट इंडिया मूवमेंट को लोकप्रिय बनाने और लोगों को तंदरुस्तीके प्रति जागरूक करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि हमारे देश में युवाओं की एक बड़ी और लगातार बढ़ रही आबादी है और यदि हमारे युवा स्वस्थ और तंदरुस्त नहीं होंगे तो वे आर्थिक वृद्धि एवं राष्ट्रीय विकास में योगदान नहीं कर सकते हैं।
संस्कृति और शिक्षा एक दूसरे पर आश्रित और संबंधित : प्रह्लाद सिंह पटेल
श्री प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा कि संस्कृति और शिक्षा एक दूसरे पर आश्रित और संबंधित है। उन्होंने कहा कि बच्चों और युवाओं को विभिन्न संस्कृतियों के बीच मेलजोल से अधिक से अधिक सीखने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा को नई पीढ़ी तक ज्ञान एवं संस्कृति संप्रेषित करना चाहिए और छात्रों के दृष्टिकोण को बदलना चाहिए।
उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण (एआईएसएचई) 2018-19 किया जारी

The Minister of State for Youth Affairs & Sports (Independent Charge) and Minority Affairs, Shri Kiren Rijiju, the Minister of State for Human Resource Development, Communications and Information Technology, Shri Dhotre Sanjay Shamrao, the Secretary, Department of Higher Education, Shri R. Subrahmanyam and other dignitaries are also seen.