- जांच को प्रभावित करने के लिए 3-3 बार जांच अधिकारी बदले गए!
- जांच रिपोर्ट में 14 पेशेवर व जीव अपराधियों और अधिकारियों के नाम!
- आखिर कोमल सिंह पर ही क्यों मेहरबान है सचिवालय में बैठा आला अधिकारी !
- एक बार फिर राजाजी पार्क मामल एसटीएफ जांच के जाल में फंसा!
राजेन्द्र जोशी
देहरादून : उत्तराखंड के वन विभाग के वन्यजीव विभाग और शासन में बैठे आला अधिकारियों के बीच गठजोड़ का शायद यह एक नायाब उदाहरण होगा जब अधिकारियों ने अपनों को अवैध शिकार मामले में फंसता देख जोड़-तोड़ करके एक ही मामले की तीन-तीन बार जांच करवा डाली। विभाग में चल रही चर्चाओं के अनुसार यह जांच तब तक चलती और बदलती रहेगी जब तक गठजोड़ के अधिकारियों का एक भी आदमी बच नहीं जाता।
चर्चा यहाँ इस बात की भी हो रही है कि बार-बार जांच को प्रभावित करने के लिए जांच अधिकारी बदले गए व जब यह संदेह होने लगा कि अब पार्क निदेशक ही इस प्रकरण में फंस सकते हैं तो उनको ही जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया गया। इतना ही नहीं जांच अधिकारी मुख्य वन संरक्षक मनोज चंद्रन द्वारा जांच शासन व मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक को सौंपने और उस पर कार्यवाही करने के बजाय सचिवालय में बैठे आला अधिकारी ने जांच को दरकिनार कर एक बार फिर मामले को एसआईटी जांच के जाल में फंसा दिया ताकि अपनों को बचाते हुए निशाने पर आये लोगों को फंसाया जा सके। हालांकि इस आला अधिकारी का 31 मार्च को सेवानिवृति होनी है।
गौरतलब हो कि पिछले साल 2018 मार्च में राजाजी टाइगर रिजर्व की दूधियाबंद बीट में गुलदार और बाघ का मांस व हड्डियां मिली थीं। इस मामले में अब तक कई जांच अधिकारी बदले जा चुके हैं और जांच अधिकारियों की रिपोर्ट ने मामले के सच को भी सामने ला दिया लेकिन बावजूद इसके जांच परिणाम शून्य रहा। चर्चाओं के अनुसार अब एक बार फिर तीसरी बार इस प्रकरण में सूबे के मुख्यमंत्री को पूरे घटनाक्रम की जानकारी दिए बिना ही अँधेरे में रखते हुए एसआईटी जांच के आदेश करवा दिए गए हैं।
चर्चा है कि एसटीएफ जांच के इस आदेश के बाद वन विभाग के अधिकारियों में हडकंप मच गया है। मामले की पहले ही विभागीय जांच चल रही थी, लेकिन फिर हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई जांच शुरू की गयी थी लेकिन सूबे के वन्यजीव विभाग के कुछ अधिकारियों और शासन में बैठे एक आला अधिकारी के बीच गठजोड़ को जब यह पता चला कि वे इस मामले में फंस सकते हैं क्योंकि उन्हें पता था सीबीआई मामले के तह तक जरुर पहुंचेगी तो उनका सारा खेल खुल जाएगा।
ऐसे में कुछ अधिकारी योजनाबद्ध तरीके से सुप्रीम कोर्ट से सीबीआई जांच के खिलाफ स्थगन आदेश ले आये। इतना ही नहीं इस मामले में सीबीआई कई अधिकारियों और अन्यों के बयान दर्ज करवा चुकी थी। जिसके बाद वन्यजीव विभाग के कुछ अधिकारियों और सीबीआई में रार उत्पन्न हो गई जिसके बाद योजनाबद्ध तरीके से सुप्रीम कोर्ट से जांच के खिलाफ स्टे भी ले लिया गया था। बाद में पूरे प्रकरण की जांच ठंडे बस्ते में चली गई। इस मामले में अब तक तीन -तीन बार जांच अधिकारियों को बदला भी जा चुका है।
पिछले साल 2018 मार्च में जब यह मामला सामने आया तो जांच वार्डन कोमल सिंह को सौंपी गई। कोमल सिंह प्रकरण का खुलासा करने के करीब ही पहुंचने वाले ही थे कि उन्हें हटाकर मुख्य वन संरक्षक मनोज चंद्रन को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया। प्रकरण में रेंजर अनूप गुसाईं सहित दो अन्य वनकर्मी को आरोपी पाते हुए देहरादून संबद्ध कर दिया गया था। कुछ समय बाद हाईकोर्ट ने सीबीआई से प्रदेश में गुलदार और बाघ की मौत की जांच कराने का आदेश दिया। जिसके बाद दूधियांबद बीट के प्रकरण की जांच करने सीबीआई की टीम देहरादून पहुंची थी।
चर्चाओं के अनुसार इसके बाद एक बार फिर जांच अधिकारी मुख्य वन संरक्षक मनोज चंद्रन को तत्काल प्रभाव से हटाकर राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक सनातन सोनकर को अपर मुख्य सचिव डा. रणबीर सिंह ने जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया । इसके एक दिन बाद फिर वन मंत्री हरक सिंह रावत ने सनातन सोनकर को हटाकर मनोज चंद्रन को जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया था।जिसके बाद अब इस मामले में तीसरी बार एक बार फिर एसटीएफ जांच होगी।
वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जांच अधिकारी मनोज चंद्रन की जांच रिपोर्ट में राजा जी गुलदार प्रकरण में तीन गुलदार व दो बाघ का शिकार वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की मिली भगत से हुआ था जिसमें राजाजी गुलदार प्रकरण में वन विभाग के 11 अधिकारी और कर्मचारी संलिप्त पाए गए हैं । जांच अधिकारी ने रिपोर्ट में कहा है कि गलत तरीके से H2 केस दायर कर स्वयं सेवी संस्था के दो लोगों का नाम निदेशक के निर्देश में डाला गया जिससे उन्हें रंजिशन फंसाया जा सके। इतना ही नहीं जांच अधिकारी की जांच में 14 पेशेवर अन्य जीव अपराधियों के नाम भी स्पष्ट किये गए हैं। चर्चा है कि इनमें से कुछ के सम्बन्ध वन विभाग के अधिकारियों से है जो जांच अधिकारी की जांच में स्पष्ट है ।
- एसआइटी की चार सदस्यीय करेगी जांच
देहरादून : राजाजी टाईगर रिजर्व हरिद्वार में वन्य जीवों के शिकार की जांच चार सदस्यीय एसटीएफ करेगी। पुलिस मुख्यालय ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। टीम को जांच करने के साथ विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं हरिद्वार स्थित राजाजी टाईगर रिजर्व में 2017-18 में गुलदार की खाल और बाघ का मांस बरामद होने के साथ ही शिकार के प्रमाण मिले थे।
सरकार ने प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए एसआइटी जांच कराने के निर्देश गृह विभाग को दिए थे। 19 मार्च को गृह सचिव नितेश झा की तरफ से पुलिस मुख्यालय को एसआइटी जांच कराने के आदेश जारी हुए। मंगलवार को इस मामले में पुलिस मुख्यालय ने गृह विभाग के आदेश पर एसटीएफ की डीआइजी रिधिम अग्रवाल के नेतृत्व में सीओ स्वतंत्र कुमार, इंस्पेक्टर संदीप नेगी, इंस्पेक्टर विनोद गुसाईं की टीम गठित करते हुए जांच के आदेश दिए हैं।
पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था अशोक कुमार ने बताया कि चार सदस्यीय जांच दल को शिकार प्रकरण के हर पहलुओं की जांच कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय गिरोह के बारे में भी जानकारी जुटाने के निर्देश दिए हैं।