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वर्ष 2013 केदारनाथ आपदा की याद दिला गया तपोवन का मंजर

2013 का दिल दहला देने वाले मंजर सा था आज तपोवन का हाल 

देश के प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी के अध्यक्ष श्री नड्डा ने राज्य के साथ हुए खड़े 

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत सभी कार्यक्रम छोड़ तपोवन के घटना स्थल पहुंचे  

राजेंद्र जोशी  
देहरादून : वर्ष 2013 में चौराबाड़ी ग्लेशियर के टूटने के बाद केदारनाथ से लेकर रुद्रप्रयाग तक जिस तरह का मंजर देखने को मिला था रविवार को तपोवन से लगभग 20 किलोमीटर ऊपर मलारी मार्ग पर रेणी के पास ग्लेशियर के फटने से जो तबाही मची उसने धौली गंगा में भयंकर जल सैलाब ला दिया,  इस जल सैलाब के रस्ते में जो भी आया वह केदारनाथ में मन्दाकिनी नदी की आपदा की तरह तहस -नहस कर गया, बाकि बचा तो सिर्फ मलवा और मिट्टी में दबे तपोवन में एनएचपीसी के निर्माणाधीन बैराज के परखच्चे। इस सैलाब में अभी लगभग 150 लोगों के बहने की खबर है जबकि अभी 10 शव प्राप्त हो चुके हैं।  हालाँकि केदारनाथ आपदा के दौरान हज़ारों जानें चली गई थीं और लोगों को अपने परिजनों के शव आज तक नहीं मिल पाए हैं। दुनिया मीडिया ने इसे आपदा को तब सबसे बड़ी आपदाओं में से एक माना था।
इस सबके बावज़ूद प्रदेश के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आज इस आपदा की घडी में जिस सूझबूझ का परिचय दिया यदि समय रहते तत्कालीन विजय बहुगुणा की सरकार ने इसी तरह के एहतियादि कदम उठा लिए होते तो शायद भारी जान हानि से बचा जा सकता था, क्योंकि राज्य सरकार को उस दौरान 14 की सायं ही पता चल गया था कि चौराबाड़ी में बर्फ के तालाब से पानी रिसने लगा है और केदारनाथ में सरस्वती नदी में पानी बढ़ने लगा है , लेकिन तत्कालीन सरकार हाथ में हाथ धरे बैठी रही और मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा दिल्ली में राहुल गाँधी के जन्म दिवस की पार्टी में मशगूल थे। 
वहीं आज यानि रविवार को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के उनकी विधानसभा में कई कार्यक्रम लगे हुए थे, जिनमें भण्डारी बाग़ में ओवरहेड पुल का शिलान्यास और भूमि पूजन, बिंदाल नदी पर बने पुल का लोकार्पण सहित विभिन्न विकास योजनाओं के शिलान्यास और लोकार्पण आदि कार्यक्रम थे, लेकिन जैसे ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को तपोवन के घटना की जानकारी जिलाधिकारी चमोली के माध्यम से मिली, उन्होंने अपने सभी कार्यक्रम रद्द कर उच्चतम संवेदनशीलता और मानवता का परिचय देते हुए सीधे घटना स्थल पर जाना उचित समझा इतना ही नहीं ,उन्होंने सारी ब्यूरोक्रेसी की अलर्ट जारी कर अपने -अपने काम में जुट जाने के निर्देश तो दिए ही साथ ही उन्होंने खुद टिहरी डैम प्रशासन से बात कर जहां भागीरथी नदी के देवप्रयाग जा रहे पानी को रुकवाया वहीं श्रीनगर डैम मे पानी निकलने को कहा ताकि ऊपर से आ रहे अतिरिक्त सैलाब को वहाँ रोका जा सके, इतना ही नहीं उत्तराखंड में अचानक आए जल सैलाब की जैसे  ही उन्होंने जानकारी देश के प्रधानमंत्री मोदी सहित गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी के अध्यक्ष श्री नड्डा को दी सभी ने एक साथ खड़े होकर उनकी सक्रियता पर उन्हें पूरा साथ देने का वादा किया , इतना ही नहीं प्रधानमंत्री मोदी  व केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने तीन हज़ार एनडीआरएफ को उत्तराखंड हवाई मार्ग से भेजने की व्यवस्था कर दी। उनके इन प्रयासों से राज्य में इस आपदा से काफी कुछ राहत  मिली है और भारी नुक्सान से राज्य बचा है।  
वर्ष 2013 को 15 और 16 जून में आई आपदा ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था।  क्योंकि इस दौरान यात्रा भी अपने सबाब पर थी और हज़ारों लोग केदारनाथ के दर्शन करने उमड़ पड़े थे , उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि विनाशकारी प्रलय उनके ही अपनों को अपनों से वह भी बाबा केदार के आँचल में पहुंचकर अपनों से जुदा कर देगी और जिसका दर्द वे ताउम्र झेलने को मज़बूर हो जाएंगे।
ठीक उसी तरह की रविवार सात फ़रवरी की वह सुबह कई लोगों को चिर निंद्रा में सुला गयी। उत्तराखंड के जोशीमठ से मलारी मार्ग पर तपोवन में एनएचपीसी द्वारा बनाई जा रही जल विद्युत परियोजना का वही हाल हुआ जो गुप्तकाशी के नीचे कुंड में बन रहे पावर प्रोजेक्ट का हुआ था। हालांकि उस पावर प्रोजेक्ट में रात्रि होने के कारण ज्यादा मानवीय क्षति नहीं हुई लेकिन तपोवन में निर्माणाधीन परियोजना को भारी नुकसान आज की तबाही से उठाना पड़ा है।

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