RUDRAPRAYAG

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत के रुद्रप्रयाग दौरे से जनता को हैं काफी उम्मीदें

  • आपदा के चार साल बाद भी केदारघाटी में नहीं बने एक दर्जन झूलापुल

  • -472 परिवारों का नहीं हो पाया विस्थापन, आपदा प्रभावितों को नहीं मिला आज तक मुआवजा

  • -जनपद मुख्यालय में पेयजल की गंभीर समस्या, लिफ्ट पंप योजना भी नहीं हुई साकार

  • -शिक्षा के नाम पर मात्र राजकीय महाविद्यालय, कई शिक्षक नही ंतो कई भवन का बना है अभाव

  • -मुख्यालय में ट्रामा सेंटर की स्थापना जरूरी

रुद्रप्रयाग । प्रदेश के मुखिया त्रिवेन्द्र सिंह रावत अपनी ताजपोशी के बाद पहली बार जनपद रुद्रप्रयाग के दौरे पर आ रहे हैं। उनके जनपद आगमन को लेकर जहां भाजपा कार्यकर्ताओं में खुशी का माहौल बना हुआ है, वहीं जिले की जनता को उनसे काफी उम्मीदें हैं। आपदा प्रभावित जनपद होने के कारण प्रभावित सीएम रावत से आश लगाये बैठे हैं कि उनकी समस्याओं का समाधान होगा।

प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत 15 सितम्बर की सुबह साढ़े नौ बजे रुद्रप्रयाग मुख्यालय के गुलाबराय मैदान पहुंचेंगे, जहां से वे वाहन के जरिये न्यू बस अड्डे पर आयेंगे और जनता मिलन कार्यक्रम में शिरकत करते हुए जनता की समस्याओं को सुनेंगे। सीएम रावत के जनपद दौरे को लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं में खुशी का माहौल बना हुआ है। हर कार्यकर्ता अपनी समस्या को सीएम के सामने रखना चाहता है। साथ ही सीएम दौरे से संगठन को भी मजबूती मिलेगी।

सत्ता संभालने के बाद पहली बार मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के जनपद आगमन से जनपद वासियों में भी खुशी की लहर है। जहां पर कार्यक्रम आयोजित किया जाना है, वहां तैयारियां जोरो-शोरों से की जा रही है। आलाधिकारी सीएम की तैयारियों में जुटे हुए हैं। वहीं सीएम के दीदार को जनता भी पलखे बिछाए बैठी है। केदारघाटी की जनता की उम्मीदें सीएम पर ज्यादा टिकी है। क्योंकि आपदा के चार साल बाद भी एक दर्जन से अधिक झूलापुलों का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया है, जबकि 472 परिवार आज भी विस्थापन की बाट जोह रहे हैं। आपदा के बाद केदारघाटी में समस्याओं का अम्बार लगा है। ग्रामीण सड़के बदहाल हैं तो शिक्षा को लेकर भी किसी का ध्यान नहीं है। इसके अलावा हिमालय को भी नुकसान पहुंच रहा है, जिस ओर सरकार को सोचने की आवश्यकता है। स्थानीय लोगों की माने तो मुख्यमंत्री रावत को शहरी इलाके से अच्छा दूरस्थ इलाके में जनता मिलन कार्यक्रम का आयोजन करना चाहिए, जिससे अंतिम छोर के व्यक्ति तक विकास की किरण दौड़ सके।

मुख्यालय में सीएम रावत का जनता मिलन कार्यक्रम तय किया गया है, लेकिन यहां पर भी कई समस्याएं फैली होने जनता से परेशान है। ऐसे में समझ नहीं आ रहा है कि सीएम रावत दूरस्थ जनता की समस्याओं को सुनेंगे या फिर मुख्यालय वासियों की समस्याएं सुनते-सुनते समय समाप्त हो जायेगा। जनपद निर्माण के बीस वर्ष बाद भी मुख्यालय में समुचित पेयजल की व्यवस्था नहीं हो पाई है।

अलकनंदा व मंदाकिनी के मुआने पर बसे रुद्रप्रयाग शहर में सर्दी का सीजन हो या फिर गर्मी का, पानी की समस्या बनी ही रहती है। जबकि वर्षो से लिफ्ट पंप योजना की मांग कर रही जनता की बातों को अनुसूना किया जा रहा है। शिक्षा के भी बुरे हाल हैं। कहने के लिए तो राजकीय महाविद्यालय की स्थापना की गई है, मगर महाविद्यालय का भवन आज तक नहीं बन पाया है और ना ही यहां अध्यापक मौजूद हैं। ऐसे में छात्रों का भविष्य भी अंधकारमय बना हुआ है।

सभासद दीपांशु भट्ट, पर्यावरणविद् राघवेन्द्र सिंह चौधरी ने कहा कि जनपद के ज्वलंत मुद्दों पर सीएम का ध्यान आकर्षिक किया जाना चाहिए। केदारघाटी में आपदा पीड़ित परेशान हैं तो रुद्रप्रयाग मुख्यालय पानी की गंभीर समस्या बनी है। छात्रों के लिए बेहतर कॉलेज नहीं है, जबकि चिकित्सालय में डॉक्टरों के साथ ही संसाधन नहीं है। जिला चिकित्सालय पर चमोली एवं रुद्रप्रयाग की जनता टिकी है। ऐसे में यहां पर ट्राम सेंटर की स्थापना जरूरी है। इसके अलावा शहर के विकास पर भी जोर दिये जाने की आवश्यकता है। जनपद के शिक्षा के बुरे हाल है। अध्यापकों और भवनों की भारी कमी बनी हुई है। सीएम रावत दौरे को लेकर विपक्ष भी तंज कसने में पीछे नहीं है।

कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता सूरज नेगी की माने तो सीएम त्रिवेन्द्र रावत की ताजपोशी को छः माह का समय हो गया है, लेकिन अभी तक ऐसी कोई उपलब्धि नहीं रही है, जिसकी जनता सराहना कर सके। सीएम का दौरा महज फिजूल खर्चा है, जबकि आपदा, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क को लेकर कोई काम नहीं किया जा रहा है। बहरहाल, सीएम त्रिवेन्द्र रावत के रुद्रप्रयाग दौरे को लेकर जनता में खासी उम्मीदें हैं। अब देखना होगा कि उनकी उम्मीदों पर पंख लगते हैं या फिर सीएम साहब का दौरा महज खानापूर्ति ही साबित होगा।

devbhoomimedia

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : देवभूमि मीडिया.कॉम हर पक्ष के विचारों और नज़रिए को अपने यहां समाहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह जरूरी नहीं है कि हम यहां प्रकाशित सभी विचारों से सहमत हों। लेकिन हम सबकी अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार का समर्थन करते हैं। ऐसे स्वतंत्र लेखक,ब्लॉगर और स्तंभकार जो देवभूमि मीडिया.कॉम के कर्मचारी नहीं हैं, उनके लेख, सूचनाएं या उनके द्वारा व्यक्त किया गया विचार उनका निजी है, यह देवभूमि मीडिया.कॉम का नज़रिया नहीं है और नहीं कहा जा सकता है। ऐसी किसी चीज की जवाबदेही या उत्तरदायित्व देवभूमि मीडिया.कॉम का नहीं होगा। धन्यवाद !

Related Articles

Back to top button
Translate »