Uttarakhand

फूलों की घाटी आज पर्यटकों के लिए हो जाएगी बंद

  • इस साल 750 विदेशी पर्यटकों समेत पहुंचे  कुल 14965 पर्यटक
देवभूमि मीडिया ब्यूरो 
देहरादून । विश्व धरोहर फूलों की घाटी 31 अक्टूबर को पर्यटकों के लिए बंद कर दी जाएगी। इस साल 750 विदेशी पर्यटकों समेत कुल 14965 पर्यटकों ने घाटी का दीदार किया। यह अब तक की सर्वाधिक संख्या है। इससे पहले 2017 में 13754 पर्यटक फूलों की घाटी पहुंचे थे। 
2013 की प्राकृतिक आपदा के बाद इस साल पहली बार इतनी अधिक तादाद में फूलों की घाटी का रुख किया। घाटी कपाट हर साल एक जून को पर्यटकों के लिए खोले जाते हैं और 31 अक्टूबर को बंद कर दिए जाते हैं। वन क्षेत्राधिकारी फूलों की घाटी बृजमोहन भारती ने बताया कि यह साल पर्यटकों के साथ कमाई के लिहाज से भी बेहतर रहा। विदित हो कि फूलों की घाटी दुनिया का इकलौता पर्यटन स्थल है, जहां 500 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते हैं। इनमें कई प्रजाति दुर्लभ की श्रेणी में शामिल हैं।
 इस साल 750 विदेशी पर्यटकों समेत कुल 14965 पर्यटकों ने घाटी का दीदार किया। यह अब तक की सर्वाधिक संख्या है। इससे पहले 2017 में 13754 पर्यटक फूलों की घाटी पहुंचे थे। 2013 की प्राकृतिक आपदा के बाद इस साल पहली बार इतनी अधिक तादाद में फूलों की घाटी का रुख किया। घाटी कपाट हर साल एक जून को पर्यटकों के लिए खोले जाते हैं और 31 अक्टूबर को बंद कर दिए जाते हैं। वन क्षेत्राधिकारी फूलों की घाटी बृजमोहन भारती ने बताया कि यह साल पर्यटकों के साथ कमाई के लिहाज से भी बेहतर रहा। विदित हो कि फूलों की घाटी दुनिया का इकलौता पर्यटन स्थल है, जहां 500 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते हैं। इनमें कई प्रजाति दुर्लभ की श्रेणी में शामिल हैं।
फूलों की घाटी की खोज 1931 मे ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रेंक एस स्माइथ ने की थी। कामेट पर्वत आरोहण के बाद रास्ता भटककर वे यहां पहुंचे थे। उन्होंने वैली ऑफ फ्लावर नाम की विश्व प्रसिद्ध पुस्तक प्रकाशित की। समुद्रतल से 12500 फीट की ऊंचाई पर 87.5 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैली फूलों की घाटी जैव विविधिता का खजाना है। यहां पर दुनिया के दुर्लभ प्रजाति के फूल, वन्य जीव-जंतु, जड़ी-बूटियां व पक्षी पाए जाते हैं। फूलों की घाटी को वर्ष 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया। वर्ष 2005 में यूनेस्को ने इसे विश्व प्राकृतिक धरोहर का दर्जा प्रदान किया। फूलों की घाटी दुनिया में एकमात्र ऐसी घाटी है, जहां 500 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते हैं।
विश्व धरोहर फूलों की घाटी में इन दिनों ब्लू पॉपी अपनी छटा बिखेर रहा है। कहा जाता है कि चार दशक पूर्व यह फूल घाटी में मेहमान बनकर आया था। तब से यह घाटी का स्थायी सदस्य बन गया। इस फूल को विदेशी सैलानी खासा पसंद करते हैं। ब्लू पॉपी को हिमालयी फूलों की रानी भी कहा जाता है। जुलाई से अगस्त के आखिर तक हेमकुंड साहिब व फूलों की घाटी में यह फूल प्रचुर मात्रा में खिलता है। दुनिया में ब्लू पॉपी की 40 प्रजातियां मौजूद हैं। इनमें से 20 तो भारत में ही पाई जाती हैं। 

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