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योग शिविर में 1500 से अधिक योग साधकों का जमावड़ा

देवभूमि मीडिया ब्यूरो

ऋषिकेश (मुनि की रेती) । पर्यटन विकास परिषद और गढ़वाल मण्डल विकास निगम के सँयुक्त तत्वाधान के तीसरे दिन के योग महोत्सव कार्यक्रम में योग साधको के मध्य जबरदस्त उत्साह देखने को मिला है।इस योग शिविर में लगभग 1500 से अधिक योग साधक योग की विभिन्न शिक्षा प्राप्त कर रहे है योग महोत्सव में अपने वीर पायलट अभिनन्दन की पाकिस्तान से स्वदेश वापसी का जश्न भी मनाया गया योग के साथ साथ देश भक्ति का योग भारत माता के जयकारों के साथ गुंजायमान हो गया। आज योग की 30 कक्षाओ का संचालन कर योग गुरुओ में योग, आसन, नियम, प्राणायाम, मर्म चिकित्सा, हठ योग सहित अनेक प्रकार की क्रियाओं की जानकारी योग साधको को दी।

इस योग महोत्सव में गुरुकुल महाविद्यालय कण्वाश्रम कोटद्वार से आये योग गुरु डाक्टर योगीराज विश्वपाल ने योग साधको को कहा कि आज भारत मे ही नही अपितु विश्व पटल पर योग के प्रति जागरूकता नजर आ रही है।महर्षि पतंजलि ने अपने अनुभव के आधार पर अनेक योग को नाम दिए है जिनमे हठ योग, सहज योग,कुण्डलनी योग आदि अनेक नाम है।उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में जब विदेशों में उनसे प्रश्न किया गया कि आपका क्या योग है तो मैने कहा कि मेरे रिसर्च के अनुसार मेरे योग का नाम भीम प्राण पावर योग है ।इस योग को आज विश्व जगत में अपनाया भी जा रहा है ।इसके बेहद सुखद परिणाम नित प्रायः देखने को मिल रहे है।इसमें प्राणायाम के द्वारा अनेक क्रियाएं है।उन्होंने कहा कि योग का लाभ प्राप्त करने के लिए यम,नियम, आसन,प्राणायाम, धारणा, ध्यान, समाधि को अपनाया जाना महत्वपूर्ण है।योग की जटिल साधना समाधि तक पहुँचने के लिए इन नियमो का अपनाया जाना ही तो वास्तविक योग है। आप अपने शरीर के अंदर जटिल से जटिल समस्या का निदान योग की साधना से सहजता के साथ कर सकते है

अपने 50 साल के अनुभव के आधार पर अपने ब्रह्मचर्य ओर कठिन साधना के फलस्वरूप आधुनिक भीम की उपाधि प्राप्त की है।उन्होंने कहा कि हमे अपनी दिनचर्या में भोजन, रहन सहन,सयमित नियमो आदि को भी योगमय बनाना होगा ।प्राणायाम के द्वारा मन, इन्दियों पर कंट्रोल किया जा सकता है जिससे धारण शक्ति का प्रभाव बढ़ेगा और आसानी से सफलता मिल सकती है।ध्यासन कि अंतिम पराकाष्ठा समाधि हैजिसका आनन्द योग साधक प्राप्त कर सकते है।

योग महोत्सव के तीसरे दिन हठ योग,प्राकृतिक चिकित्सा, संजीवनी शुध्दि क्रिया ,पंचकर्म थैरेपिस्ट कोर्स एवं पंचकर्म चिकित्सा, स्वर योग सहित मर्म शिक्षा , सुदर्शन क्रिया, ओशो ध्यान साधना आदि का ज्ञान योग साधको को दिया गया।आज प्रात 5 बजे से हवन का कार्य स्वामी नारायण आश्रम के गुरुकुल छात्रों ने किया। योग गुरु जयदेवन ने प्राणायाम, योगी जितानन्द ने ट्रेडिशनलयोग(हठ) ,नितिन वीरखरे ने मुद्रा विन्यास, सौरभ शेलरने साउ योग, सुभाष पात्रीजी ने कास्मिक मैडिसन, मोहन बधानी ने हठ योगासन,गोकुल चन्द्रा जी ने विन्यास योग, डॉक्टर संजीव पाण्डेय प्राणायाम,स्वामी बोधि वर्तमान ने कुण्डलनी ध्यान, टीम जोंस ने योग एवम मैडिसन सहित उषा माता ने आएंगर योग की साधना की सभी जानकारी योग साधको को दी।

इसके अलावयोगी विश्वपालजयन्ति ने योग एंड न्यूरोपैथी, कर्मजीत सिंहने योगथेरेपी फ़ॉर स्पिनल डिसऑर्डर, चेतन महेश ने प्रीनेटल योग,राजीव तिवाड़ी ने योगिक मेडिशियशन, सिदार्थ जी ने वारियस मेंइंग्स ऑफवर्ड्योग ,डॉक्टर लक्ष्मी नारायण जोशीने नाड़ी विज्ञान, गोकुलचन्द्रजी योग फेलोसपी।रजनीश ने ट्रेडिशनलयोग ,सुशील ने पंच द्रव्य चिकित्सा,चरतसिंह ने क्लाशिकलकुण्डलनियोग ,स्ट्रोबल आशुतोष ने मैकेनिज्म ऑफ वर्ल्ड पीस बाय योग, संजय नोटियाल ने योग एंड लाइफ,व्हाट इजयोग के महत्व पर योग साधको को ज्ञान दिया।धीरेन्द्र भण्डारी ने अष्टाङ्ग विन्यास, सुभाष पात्रीजी ने सत्संग मेडिटेशरी,कमलसिंह ने अष्टाङ्ग विन्यास सहित आर्ट ऑफ लिविंग के योग गुरु ने डिवाइन सत्संग से रूबरू कराया।
योग महोत्सव के तीसरे दिन निगम की प्रबन्ध निदेशिका ज्योति नीरज खैरवाल, महाप्रबन्धक बी एल राणा जी ने आंगतुक सभी निगम अथितियों का आदर सत्कार कर उनका स्वागत किया।आज के कार्यक्रम को सफल बनाने में भगवती प्रसाद पुरोहित, सरोज कुकरेती, मनमोहन चौधरी, इंद्रमोहन सिंह नेगी,कृष्ण उप्रेती,अजय कान्त, संजय शर्मा,ओम प्रकाश भट्ट,नरेंद राणा सहित निगम परिवार से कई अधिकारी कर्मचारी उपस्थित रहे।

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