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उल्लुओं को लेकर अलर्ट पर है उत्तराखंड का वन महकमा

- दीपावली के दौरान तंत्र क्रियाओं में उल्लू का होता है प्रयोग
देवभूमि मीडिया ब्यूरो

गौरतलब हो कि मान्यता के अनुसार दीपावली की रात तंत्र-मंत्र और यंत्र साधनाओं के लिए विशेष फलदायी मानी जाती रही है। यही मान्यता इस निरीह जीव पर भारी पड़ जाती है।मान्यता है कि उल्लू के पंजे धनस्थान अथवा तिजोरी में रखने से समृद्धि आती है। वहीं आंखें सम्मोहित करने में सक्षम होती हैं। चोंच किसी भी दुश्मन इंसान के लिए मारन क्रिया में काम आती है। इसी वजह से दीपावली के आसपास उल्लूओं की तस्करी चरम पर पहुंच जाती है। वन विभाग के लिए यही परेशानी का सबब बन गया है।
पहले ही सीबीआई जांच से लेकर हाथी दांत तस्करी का दाग लेकर घूम रहा वन विभाग अब उल्लुओं के मामलों में कोई लापरवाही नहीं बरतना चाहता है।बता दें कि वाइल्ड लाइफ एक्ट के तहत उल्लू संरक्षित प्रजाति का पक्षी की श्रेणी में है। इसकी तस्करी में पकड़े जाने पर 3 वर्ष या उससे अधिक समय तक के लिए जेल भेजे जाने का कानून है।
दीपावली में लोग धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं, लेकिन इसी पर्व पर मां लक्ष्मी के वाहन उल्लू की जान पर भी बन आती है। हालाकिं वन महकमे ने इसको लेकर अलर्ट जारी कर इस संरक्षित पक्षी की जान को बचाने के प्रयास कर दिए हैं । लेकिन शिकारी भी इन दिनों पूरा प्रयास करते हैं कि इस निरीह की जान लेकर इनको मंहगे दामों में बाजार तक पहुंचा सकें।