सुप्रीम कोर्ट रणवीर एनकाउंटर मामले में पुलिसकर्मियों का पक्ष सुनने को हुआ तैयार
NEW DELHI : देहरादून के चर्चित और उत्तराखंड पुलिस की वर्दी पर दाग लगाने वाले रणवीर एनकाउंटर प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट ने जेल में बंद सात पुलिसकर्मियों का पक्ष सुनने पर सहमति जता दी है। इससे पहले कोर्ट ने उनका पक्ष सुनने से इनकार कर दिया था। निचली अदालत ने 18 पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई थी, जिनमें से 11 को इसी वर्ष दिल्ली हाईकोर्ट ने बरी कर दिया था।
बागपत निवासी रणवीर एनकाउंटर मामले में कोर्ट ने छह जून 2018 को 18 पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया था। जिसके बाद नौ जून को उन सभी को उम्रकैद सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ पुलिसकर्मियों ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपील की। दिल्ली हाईकोर्ट ने इसी वर्ष सात फरवरी को 11 पुलिसकर्मी सौरभ नौटियाल, विकास बलूनी, सतबीर सिंह, चंद्रपाल, सुनील सैनी, नागेंद्र राठी, संजय रावत, मोहन सिंह राणा, जसपाल गुंसाई, मनोज कुमार और दारोगा इंद्रभान सिंह को बरी कर दिया था। वहीं, अन्य सात पुलिसकर्मियों की सजा बरकरार रखी थी।
वहीं, डालनवाला कोतवाली के तत्कालीन इंस्पेक्टर एसके जायसवाल, आराघर चौकी इंचार्ज जीडी भट्ट, आरक्षी अजित सिंह, एसओजी प्रभारी नितिन चौहान, एसओ राजेश बिष्ट, एसआई नीरज यादव और चंद्रमोहन की सजा बरकरार रखी थी।
तारीखों में एनकाउंटर …
3 जुलाई 2009 को एनकाउंटर का नाम देकर रणवीर की हत्या हुई।
4 जुलाई को हत्या का आरोप, हंगामा, लाठीचार्ज किया।
5 जुलाई को पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई, 25 चोटें, 22 गोली धंसी।
5 जुलाई को सीबीसीआईडी से जांच कराने के आदेश।
6 जुलाई को पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज।
7 जुलाई को सीबीसीआईडी की टीम ने जांच शुरू की।
8 जुलाई को नेहरू कॉलोनी थाने से रिकार्ड जब्त किया।
8 जुलाई को सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की।
31 जुलाई को सीबीआई ने दून आकर जांच शुरू की।
6 जून 18 को कोर्ट ने पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया गया।
9 जून को उन सभी को उम्रकैद सजा सुनाई थी।